12. मेरे प्यारे पापा

कहानी का उद्देश्य: कहानी के माध्यम से विद्यार्थियों को अपने भाव स्थिर रखने की प्रेरणा।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

कहानी:
एक बार मीता अपने घर की खिड़की से बाहर देख रही थी I सामने वाले घर के बगीचे में बच्चे अपने पिताजी के साथ खेल रहे थे I मीता मन ही मन सोचती रही, “क्या पिता ऐसे भी होते है जो अपने बच्चो के साथ खेलते है, हंसते है , एक दूसरे पर पानी की बौछार डाल कर खुश होते है I ऐसा सोचते सोचते वह सो गयी ।
“मीता , कहाँ हो”? एक ऊंची आवाज़ के साथ उसकी आँख खुली I
डरी और सहमी वह बैठक में आयी I उसके पिताजी सोफे पर बैठे थेI वह बोले ,”मीता जल्दी से चाय और अख़बार ले आओ I” मीता जल्दी-जल्दी चाय व अख़बार पापा को दे कर अपने कमरे में आ गयी I वह इसी उधेड़ बुन में रही कि क्या पापा ऐसे भी होते है जैसे उसने खिड़की से देखे थे I दो ही दिन बाद उसकी दादी की तबीयत खराब हो गयी और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। वह दादी के साथ सोती थी। आज अकेले सोने में उसे डर लग रहा था। जैसे ही उसने आंखें बंद की, उसे डरावनी सूरतें दिखने लगी। वह और डर गयी ।
अचानक बिजली चली गयी। अब तो डर के मारे उसका बुरा हाल था।तभी अंधेरे में उसे एक रोशनी दिखायी दी और अचानक पापा की आवाज़ भी सुनायी दी ,”मीता, बेटा क्या सो गयी“? मीता ने कहा ,“डर लग रहा है “
मीता के पापा उसके सिरहाने बैठ गये और उसके सर पर हाथ रखा और बोले, “तुम्हे तो तेज़ बुखार है।” वह रात भर उसके माथे पर ठंडे पानी की पट्टियां रखते रहे ।
मीता को नींद आने लगी। सुबह मीता की नींद खुली तो देखा कि पापा बैठे बैठे पास में रखी कुर्सी पर ही सो गए थे। वह सोचने लगी कि पापा को कितने काम है इसलिए मुझे अधिक समय नही दे पाते।आज मैं पापा के साथ कितना सुरक्षित महसूस कर रही हूँ।
मीता का अपने पापा के प्रति विश्वास पक्का हुआ। वह अब उनकी बातों को ध्यान से सुनने लगी और उसका डर भी समाप्त हो गया।

चर्चा की दिशा:
अक्सर माता-पिता या बड़े भाई-बहन या कोई और बच्चों में अपेक्षित व्यवहार लाने को लेकर गुस्सा करते हैं और बच्चे इस बात को भूल जाते हैं कि कोई भी उनसे कुछअपेक्षित व्यवहार चाहता है क्योंकि वह उनसे प्रेम करता है। उनका आपस में एक सम्बन्ध है ठीक वैसा जैसा कि पतंग और डोर में।( डोर पतंग को अपने साथ बांधे रखकर उसे सही दिशा देती है तथा ऊंचा उड़ने में मदद भी करती है।)
सम्बन्ध है तो विश्वास है, और विश्वास है तो खुशी भी है

चर्चा के लिए प्रश्न:
1 आपके मम्मी-पापा या कोई अन्य आपको क्यों डांटते हैं?
2 जब वह आपको डांटते हैं तो आप को कैसा लगता है?(उस समय उठने वाले विचारों को साझा करवाएं।
3 किस किस व्यक्ति की डांट आपको मंज़ूर होती है?कारण भी बताएं।

घर जाकर देखो ,पूछो,समझो(विद्यार्थियों के लिए):
अपने आस पास पता लगाओ कि कोई भी तुम्हें डांटता है वह ऐसा क्यों करता है।
यह भी पता लगाओ कि यदि आपके माता पिता आपको किसी बात पर गुस्सा करें तो आप उनके प्रति अपने भाव कैसे सही रख पाएँगे।

कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

दूसरा दिन :

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

कहानी की पुनरावृत्ति की जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।

चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1 क्या आप बता सकते हैं कि जब आपके माता पिता आपको डांटते हैं तो वह आपके बारे में क्या सोचते हैं?
2 क्या वह आपको इसलिए डांटते हैं कि वह आपसे प्यार नहीं करते? उनकी डांट के पीछे क्या- क्या कारण होते है?
3 यदि आपको पक्का विश्वास हो कि वह आपसे प्यार करते हैं तब क्या उनकी बात आपको बुरी लगेगी?
4 जब आपको मालूम है कि आपके माता पिता आपकी भलाई के लिए डांटते हैं तब आप के व्यवहार में क्या परिवर्तन रहेगा?

कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

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  1. माँ का चश्मा
  2. समझा तो जाना
  3. राजू की नीयत
  4. असमंजस
  5. समस्या या समाधान
  6. छोटी-सी पर मोटी-सी बात
  7. रूपम की पहिया कुर्सी
  8. नीता का पेन
  9. शाबाशी की कलम
  10. ख़ुश व्यक्ति ख़ुशी बाँटता है
  11. मैं हूँ ना
  12. मेरे प्यारे पापा
  13. तैयारी
  14. आओ पिकनिक चलें
  15. मन की बात
  16. मैन विद ए स्टिकर
  17. तराना का छाता
  18. फ़र्क तो पड़ता है
  19. गिफ्ट रैप
  20. रोड ब्लॉक

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