4. असमंजस

कहानी का उद्देश्य:विद्यार्थी रोजमर्रा के जीवन में आने वाली असमंजस की परिस्थितियों में विवेक पूर्वक निर्णय ले पाने में समर्थ होंगे।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

कहानी
आज क्लास में गणित के पर्चे दिखाए गए। सब बच्चे अपने नम्बरों की गिनती करने लगे। मीना भी अपने नम्बर जोड़ रही थी। यह तीसरी बार था कि वह पलट पलट कर पर्चा देखती और नंबर जोड़ती। दरअसल टीचर ने चौंतीस की जगह सैंतीस नंबर दे रखे थे। एक बार और जोड़ किया तो अब उसे पक्का विश्वास हो गया कि नंबर गलती से ज़्यादा दिए गए हैं।
उसने सोचा कि टीचर को बता दूं। लेकिन बताते ही नंबर कम हो जाएँ गे।
फिर उसने सोचा, “बात तो गलत है, मुझे टीचर को सही बताना चाहिए।” वह उठने लगी तो पास बैठी ममता ने उसे रोका। वह समझ चुकी थी कि मीना के नम्बर गलती से ज़्यादा लग गए हैं। वह मीना से बोली,”अरे छोड़ न, अपने नम्बर क्यों कम करवाना चाहती है, चुपचाप बैठ जा।
मीना एक क्षण के लिए तो रुकी। मगर दूसरे ही पल यह बोलते हुए कि मुझे नंबरों के बजाय ईमानदार रहने में ज़्यादा खुशी होती है, हिम्मत कर टीचर के पास जा पहुंची और बोली, ”मैडम आपने मेरे नम्बर गलत जुड़ गए हैं। नंबर तो चौंतीस बनते हैं पर आपने सैंतीस दे दिए हैं।
टीचर मीना की बात सुनकर बहुत खुश हो गई। उसने मीना के हाथ से कॉपी ले ली और उसमें कुछ लिखने लगी ।

चर्चा की दिशा:
हम सब अक्सर शिक्षा को पढ़ना लिखना समझे बैठे हैं जबकि पढ़ाई लिखाई का अर्थ एक अच्छा मानव बनाना भी है तभी असमंजस की स्थिति में शीघ्र निर्णय लिया जा सकता है। हम असमंजस की स्थिति में सही निर्णय ले पाएँ तो हम खुश होते है। हम एक बेहतर इंसान बनें और समाज को खूबसूरत बनाने में योगदान दे पाएँ , तभी शिक्षा सफल हो पाएगी। सब के लिए खुशी सुनिश्चित हो पाएगी।

चर्चा के लिए प्रश्न:
1 आपको क्या लगता है कि मीना के पेपर पर टीचर ने क्या लिखा होगा?
2 क्या आपके साथ भी ऐसा कभी हुआ है? ऐसी परिस्थिति में आप ने क्या किया?
3 अपने जीवन से उदाहरण दे कर ऐसी ही कोई घटना साझा करें जब आप असमंजस में रहे हों कि सच बताऊँ या नहीं। आपने फिर निर्णय किस आधार पर लिया। स्वेच्छा से साझा करें। (कक्षा के अलावा किसी अन्य परिस्थिति का उदाहरण दें)

घर जाकर देखो ,पूछो समझो(विद्यार्थियों के लिए)
अपने माता-पिता, भाई -बहन के साथ ऐसी घटनाओं की चर्चा करो जब आपने या उन्होंने अपनी ईमानदारी का परिचय दिया हो। यह भी साझा करें ऐसा करने से आपको किस प्रकार का सुख मिला?
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

दूसरा दिन:

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

पिछले दिन की कहानी की पुनरावृत्ति की जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।
घर से मिले फीडबैक के आधार पर पिछले दिन के चर्चा के प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थी छोटे समूहों में बातचीत करेंगे।
पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों(जिन्होंने पहले दिन उत्तर न दिए हों)के लिए पुनः किया जा सकता है।

चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1 पढ़ लिख जाने पर सभी व्यक्ति ईमानदार इंसान क्यों नहीं बन पाते हैं?
3 हम जो कुछ भी करते है अपनी खुशी के लिए करते हैं तो इस प्रकार की असमंजस वाली परिस्थिति होने पर सही(ईमानदारी का) फैसले लेने से हमें क्या मिलता है?उदाहरण देकर बताएं।
4 ऐसी घटनाओं को साझा करें जब आप असमंजस की परिस्थिति में रहे हो।

कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

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  1. माँ का चश्मा
  2. समझा तो जाना
  3. राजू की नीयत
  4. असमंजस
  5. समस्या या समाधान
  6. छोटी-सी पर मोटी-सी बात
  7. रूपम की पहिया कुर्सी
  8. नीता का पेन
  9. शाबाशी की कलम
  10. ख़ुश व्यक्ति ख़ुशी बाँटता है
  11. मैं हूँ ना
  12. मेरे प्यारे पापा
  13. तैयारी
  14. आओ पिकनिक चलें
  15. मन की बात
  16. मैन विद ए स्टिकर
  17. तराना का छाता
  18. फ़र्क तो पड़ता है
  19. गिफ्ट रैप
  20. रोड ब्लॉक

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