कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थी यह समझ पाएँगे कि सच्ची खुशी संबंधों में जीने मे ही है।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
मृदु की माँ चश्मा लगाये मशीन पर लगातार पैर चला रही थी,सुबह से वह एक सूट तैयार करने में लगी थी। आज उसकी लाडली बेटी मृदु का जन्मदिन जो था। बहुत होनहार लड़की थी मृदु ।कितना ख्याल रखती थी सबका। विद्यालय में होने वाले सभी कार्यक्रमों में भी खूब बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थी।
सूट तैयार करने के बाद उन्हें मृदु के स्कूल में पैरेंट टीचर्स मीटिंग (PTM)में भी जाना था।
जल्दी-जल्दी सूट तैयार करके वह मृदु के विद्यालय की ओर मीटिंग के लिए निकल पड़ीं।वहां उसकी कक्षा अध्यापिका से मिलीं।उन्होंने बताया कि विद्यालय के वार्षिक महोत्सव में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागी बच्चों को ईनाम स्वरूप कुछ रकम मिली थी। जब बच्चों से पूछा कि उन्होंने ईनाम में मिली राशि का क्या किया।।
किसी ने कहा, “मैंने वीडियो गेम खरीदी। तो किसी ने कहा, “मैंने क्रिकेट का बैट खरीदा।” किसी ने कहा, “मैंने अपने लिए प्यारी-सी गुड़िया खरीदी।” तो किसी ने कहा, “मैंने नई पुस्तक खरीदी।” मृदु कुछ सोच में डूबी हुई थी। जब उससे पूछा, “तुम क्या सोच रही हो? तुमने क्या खरीदा”?वह बोली, “मैडम, मेरी मां सिलाई का काम करती है। चश्मा ना होने के कारण उन्हें बहुत तकलीफ होती है। नज़र कमज़ोर होने के कारण कभी - कभी उनके हाथ में सुई भी चुभ जाती है। सुई में धागा डालने में उन्हें कई बार बहुत समय लग जाता है। मैंने तो अपनी मां के लिए चश्मा ख़रीदा”।जब मैंने पूछा कि तुम्हारी मां के लिए चश्मा तो तुम्हारे पापा भी खरीद सकते थे।तो उसने जवाब दिया कि पापा ने मां को बहुत बार कहा है पर मां हर बार यह कह कर टाल देती है कि अगले महीने खरीद लेंगे।
पूरी बात सुनकर मृदु की मां फूली न समा रही थी।उन्होंने वहीं मृदु का लाया हुआ चश्मा पहन लिया ।
चर्चा की दिशा:
हम सभी अपनी अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति में व्यस्त रहते हैं और इस व्यस्तता के रहते संबंधों पर ध्यान नहीं दे पाते।हम यह भी नहीं जान पाते कि हमारे परिजनों की क्या परेशानियां हैं जो उन्हें रोजमर्रा के जीवन में कष्ट देती हैं। हम यह भी भूल जाते हैं कि उन्हें हम से क्या अपेक्षा हो सकती है। चर्चा के माध्यम से विद्यार्थियों को इन सब के लिए संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है।
चर्चा के माध्यम से विद्यार्थियों का ध्यान, घर में उनकी उपयोगिता पर जाए।और इस ओर भी ध्यान जाए कि अपनी उपयोगिता को जान पाने में हमारी खुशी भी है।
चर्चा के लिए प्रश्न:
1 ऐसी कुछ चीजों के नाम बताओ जो आपको पता है कि आपके परिवार के सदस्यों की जरूरत है पर अभी उनके पास नहीं है ।
2क्या कभी ऐसा हुआ है कि आपने अपनी पसंद की चीज़ खरीदने की ज़िद की, पर आपके माता-पिता ने आपको नहीं दिलाई। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा?
3 अपने जीवन से कोई ऐसा उदाहरण दें जब आपके माता पिता ने आपको कुछ दिलाने के लिए अपनी किसी जरूरत की चीज को छोड़ दिया हो।
4 सभी के घर में पहले क्या खरीदना है और बाद में क्या, इसका फैसला कैसे लिया जाता है? चर्चा करें।
घर जाकर देखो,पूछो,समझो(विद्यार्थियों के लिए):
अपने प्रियजनों की ज़रूरतों का पता लगाएं ।यह भी पता लगाएं कि उनमें से ऐसा क्या है जो आप उनके लिए कर सकते हैं।
यह भी पता लगाएं कि वे आपसे क्या चाहते हैं। जैसे: मां चाहती है कि आप घर में गंदगी न फैलाएं।
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी की पुनरावृत्ति की जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।
घर से मिले फीडबैक के आधार पर पिछले दिन के चर्चा के प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थी छोटे समूहों में बातचीत करेंगे।
पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों(जिन्होंने पहले दिन उत्तर न दिए हों) के लिए पुनः किया जा सकता है।
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1 तुम्हारे माता -पिता अथवा प्रियजनों को किसी वस्तु की ज़रूरत है लेकिन किसी कारणवश अभी ले नहीं पा रहे हैं।स्वेच्छा से कारण साझा करें।
2 कभी आपने अपने से पहले अपने माता पिता, भाई -बहन को कोई वस्तु दी हो।ऐसा करने पर आपको कैसा लगा?(लेने से ज़्यादा देने में खुशी होती है।)
3 वस्तुओं के अलावा उनकी और कौन सी ज़रूरत है जो तुम अभी पूरी कर सकते हो?(भावनात्मक स्तर पर सोचने के लिए प्रेरित करें)
4आपके माता -पिता अथवा भाई- बहन की ऐसी कौन सी ज़रूरतें हैं जो आप अभी पूरी करते हैं?(उदाहरण:बाज़ार से सामान लेकर देना, छोटे भाई बहन की देखभाल)!
5 आपके माता -पिता अथवा भाई- बहन की ऐसी कौन सी ज़रूरतें हैं जो आप बड़े होकर पूरी करना चाहोगे?(जो आज आपकी सामर्थ्य में नहीं है।)
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
मृदु की माँ चश्मा लगाये मशीन पर लगातार पैर चला रही थी,सुबह से वह एक सूट तैयार करने में लगी थी। आज उसकी लाडली बेटी मृदु का जन्मदिन जो था। बहुत होनहार लड़की थी मृदु ।कितना ख्याल रखती थी सबका। विद्यालय में होने वाले सभी कार्यक्रमों में भी खूब बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थी।
सूट तैयार करने के बाद उन्हें मृदु के स्कूल में पैरेंट टीचर्स मीटिंग (PTM)में भी जाना था।
जल्दी-जल्दी सूट तैयार करके वह मृदु के विद्यालय की ओर मीटिंग के लिए निकल पड़ीं।वहां उसकी कक्षा अध्यापिका से मिलीं।उन्होंने बताया कि विद्यालय के वार्षिक महोत्सव में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागी बच्चों को ईनाम स्वरूप कुछ रकम मिली थी। जब बच्चों से पूछा कि उन्होंने ईनाम में मिली राशि का क्या किया।।
किसी ने कहा, “मैंने वीडियो गेम खरीदी। तो किसी ने कहा, “मैंने क्रिकेट का बैट खरीदा।” किसी ने कहा, “मैंने अपने लिए प्यारी-सी गुड़िया खरीदी।” तो किसी ने कहा, “मैंने नई पुस्तक खरीदी।” मृदु कुछ सोच में डूबी हुई थी। जब उससे पूछा, “तुम क्या सोच रही हो? तुमने क्या खरीदा”?वह बोली, “मैडम, मेरी मां सिलाई का काम करती है। चश्मा ना होने के कारण उन्हें बहुत तकलीफ होती है। नज़र कमज़ोर होने के कारण कभी - कभी उनके हाथ में सुई भी चुभ जाती है। सुई में धागा डालने में उन्हें कई बार बहुत समय लग जाता है। मैंने तो अपनी मां के लिए चश्मा ख़रीदा”।जब मैंने पूछा कि तुम्हारी मां के लिए चश्मा तो तुम्हारे पापा भी खरीद सकते थे।तो उसने जवाब दिया कि पापा ने मां को बहुत बार कहा है पर मां हर बार यह कह कर टाल देती है कि अगले महीने खरीद लेंगे।
पूरी बात सुनकर मृदु की मां फूली न समा रही थी।उन्होंने वहीं मृदु का लाया हुआ चश्मा पहन लिया ।
चर्चा की दिशा:
हम सभी अपनी अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति में व्यस्त रहते हैं और इस व्यस्तता के रहते संबंधों पर ध्यान नहीं दे पाते।हम यह भी नहीं जान पाते कि हमारे परिजनों की क्या परेशानियां हैं जो उन्हें रोजमर्रा के जीवन में कष्ट देती हैं। हम यह भी भूल जाते हैं कि उन्हें हम से क्या अपेक्षा हो सकती है। चर्चा के माध्यम से विद्यार्थियों को इन सब के लिए संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है।
चर्चा के माध्यम से विद्यार्थियों का ध्यान, घर में उनकी उपयोगिता पर जाए।और इस ओर भी ध्यान जाए कि अपनी उपयोगिता को जान पाने में हमारी खुशी भी है।
चर्चा के लिए प्रश्न:
1 ऐसी कुछ चीजों के नाम बताओ जो आपको पता है कि आपके परिवार के सदस्यों की जरूरत है पर अभी उनके पास नहीं है ।
2क्या कभी ऐसा हुआ है कि आपने अपनी पसंद की चीज़ खरीदने की ज़िद की, पर आपके माता-पिता ने आपको नहीं दिलाई। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा?
3 अपने जीवन से कोई ऐसा उदाहरण दें जब आपके माता पिता ने आपको कुछ दिलाने के लिए अपनी किसी जरूरत की चीज को छोड़ दिया हो।
4 सभी के घर में पहले क्या खरीदना है और बाद में क्या, इसका फैसला कैसे लिया जाता है? चर्चा करें।
घर जाकर देखो,पूछो,समझो(विद्यार्थियों के लिए):
अपने प्रियजनों की ज़रूरतों का पता लगाएं ।यह भी पता लगाएं कि उनमें से ऐसा क्या है जो आप उनके लिए कर सकते हैं।
यह भी पता लगाएं कि वे आपसे क्या चाहते हैं। जैसे: मां चाहती है कि आप घर में गंदगी न फैलाएं।
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी की पुनरावृत्ति की जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।
घर से मिले फीडबैक के आधार पर पिछले दिन के चर्चा के प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थी छोटे समूहों में बातचीत करेंगे।
पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों(जिन्होंने पहले दिन उत्तर न दिए हों) के लिए पुनः किया जा सकता है।
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1 तुम्हारे माता -पिता अथवा प्रियजनों को किसी वस्तु की ज़रूरत है लेकिन किसी कारणवश अभी ले नहीं पा रहे हैं।स्वेच्छा से कारण साझा करें।
2 कभी आपने अपने से पहले अपने माता पिता, भाई -बहन को कोई वस्तु दी हो।ऐसा करने पर आपको कैसा लगा?(लेने से ज़्यादा देने में खुशी होती है।)
3 वस्तुओं के अलावा उनकी और कौन सी ज़रूरत है जो तुम अभी पूरी कर सकते हो?(भावनात्मक स्तर पर सोचने के लिए प्रेरित करें)
4आपके माता -पिता अथवा भाई- बहन की ऐसी कौन सी ज़रूरतें हैं जो आप अभी पूरी करते हैं?(उदाहरण:बाज़ार से सामान लेकर देना, छोटे भाई बहन की देखभाल)!
5 आपके माता -पिता अथवा भाई- बहन की ऐसी कौन सी ज़रूरतें हैं जो आप बड़े होकर पूरी करना चाहोगे?(जो आज आपकी सामर्थ्य में नहीं है।)
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
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