कहानी का उद्देश्य: इस कहानी द्वारा विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाएगा कि अच्छे कार्य करते हुए हमारा ध्यान आस पास भी बना रहे जिससे कोई और नुकसान या परेशानी ना हो।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
राजू को पेड़ पौधों व पशु पक्षियों से बहुत लगाव था। उसके घर के पास एक पीपल का पेड़ था उस पेड़ पर चिड़ियों का घोंसला था। एक दिन बहुत तेज आंधी आई और चिड़िया का घोंसला पेड़ से नीचे गिर गया । राजू स्कूल से लौट रहा था ,जब उसने घोंसला जमीन पर गिरा हुआ देखा। उसने देखा कि घोंसले के अंदर चिडिया के दो बच्चे भी हैं। घोंसले के पास ही चिड़िया जोर जोर से चीं-चीं कर रही थी । उसे चिड़िया पर दया आ गई। उसने अपना बस्ता नीचे रखा। अपनी स्कूल की सफेद शर्ट भी उतारी और घोंसले को उठा कर पेड़ पर रख दिया। तभी वहां से गुजरते हुए उसके एक दोस्त रोहित ने उसे देखा और उससे पूछा कि तुम ने सड़क पर यह शर्ट क्यों उतार रखी है। राजू ने उसे सारी बात बताई और कहा यदि वह शर्ट पहन कर ही पेड़ पर चढ़ जाता तो उसके कपड़े गंदे हो जाते जिसकी वजह से मम्मी को कितनी परेशानी होती ,वैसे ही उन्हें घर का काम करने में कितना समय लग जाता है। यह सुनकर रोहित ने राजू की समझदारी की प्रशंसा की और दोनों दोस्त घर की ओर चल दिए।
चर्चा की दिशा:
हम सभी अक्सर कुछ भी कार्य करते हुए(अक्सर आवेश में) यह भूल जाते हैं कि कहीं कुछ नुकसान तो नहीं हो रहा जो किसी और को झेलना पड़ेगा। चर्चा के द्वारा विद्यार्थियों को इस स्थिति में लाना कि आवेशित होकर कुछ भी करने से पहले यह ध्यान रखें कि किसी को उसका कष्ट न हो।
चर्चा के लिए प्रश्न:
1क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपने कुछ अच्छा काम किया परन्तु आपके कपडे गंदे हो गए। आपके घर पहुंचने पर आपकी मां,अध्यापक,बड़े बूढ़ों ने क्या प्रतिक्रिया दी?
1 आपके साथ ऐसा कब हुआ है जब आपने किसी की मदद की हो ,लेकिन अपने आसपास ध्यान ना देने के कारण कुछ नुकसान हो गया हो। अपने अनुभव साझा करें।
2 अपने जीवन से एक ऐसा उदाहरण दें जब आपने किसी को दूसरे व्यक्ति की मदद करते हुए देखा, पर ऐसा करते हुए उससे कोई नुकसान हो गया हो।
घर जाकर देखो ,पूछो समझो(विद्यार्थियों के लिए):
घर जाकर अपने मम्मी पापा या किसी बड़े व्यक्ति को रसोई में काम करते हुए देखिए कि वे किस सजगता के साथ वहां काम करते हैं जिससे कोई दुर्घटना न हो ।
चर्चा भी करें कि कभी उनके किसी कार्य से ऐसा भी हुआ है कि दूसरे को कष्ट मिला हो।
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
दूसरा दिन
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
पिछले दिन की कहानी की पुनरावृत्ति की जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।घर से मिले फीडबैक के आधार पर पिछले दिन के चर्चा के प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थी छोटे समूहों में बात चीत करेंगे।
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1 ऐसी घटनाओं को साझा करें जब आपने मम्मी-पापा या किसी और को कोई भी काम बड़ी सावधानी पूर्वक करते देखा हो। यदि वे सावधानी न बरतते तो क्या दुर्घटना हो सकती थी?
2 कोई ऐसी घटना साझा करें जिसमें आपने कुछ अच्छा कार्य किया परन्तु अंततः उसका ऐसा नुकसान भी हुआ जो आपके किसी परिचित को पूरा करना पड़ा।
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
राजू को पेड़ पौधों व पशु पक्षियों से बहुत लगाव था। उसके घर के पास एक पीपल का पेड़ था उस पेड़ पर चिड़ियों का घोंसला था। एक दिन बहुत तेज आंधी आई और चिड़िया का घोंसला पेड़ से नीचे गिर गया । राजू स्कूल से लौट रहा था ,जब उसने घोंसला जमीन पर गिरा हुआ देखा। उसने देखा कि घोंसले के अंदर चिडिया के दो बच्चे भी हैं। घोंसले के पास ही चिड़िया जोर जोर से चीं-चीं कर रही थी । उसे चिड़िया पर दया आ गई। उसने अपना बस्ता नीचे रखा। अपनी स्कूल की सफेद शर्ट भी उतारी और घोंसले को उठा कर पेड़ पर रख दिया। तभी वहां से गुजरते हुए उसके एक दोस्त रोहित ने उसे देखा और उससे पूछा कि तुम ने सड़क पर यह शर्ट क्यों उतार रखी है। राजू ने उसे सारी बात बताई और कहा यदि वह शर्ट पहन कर ही पेड़ पर चढ़ जाता तो उसके कपड़े गंदे हो जाते जिसकी वजह से मम्मी को कितनी परेशानी होती ,वैसे ही उन्हें घर का काम करने में कितना समय लग जाता है। यह सुनकर रोहित ने राजू की समझदारी की प्रशंसा की और दोनों दोस्त घर की ओर चल दिए।
चर्चा की दिशा:
हम सभी अक्सर कुछ भी कार्य करते हुए(अक्सर आवेश में) यह भूल जाते हैं कि कहीं कुछ नुकसान तो नहीं हो रहा जो किसी और को झेलना पड़ेगा। चर्चा के द्वारा विद्यार्थियों को इस स्थिति में लाना कि आवेशित होकर कुछ भी करने से पहले यह ध्यान रखें कि किसी को उसका कष्ट न हो।
चर्चा के लिए प्रश्न:
1क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपने कुछ अच्छा काम किया परन्तु आपके कपडे गंदे हो गए। आपके घर पहुंचने पर आपकी मां,अध्यापक,बड़े बूढ़ों ने क्या प्रतिक्रिया दी?
1 आपके साथ ऐसा कब हुआ है जब आपने किसी की मदद की हो ,लेकिन अपने आसपास ध्यान ना देने के कारण कुछ नुकसान हो गया हो। अपने अनुभव साझा करें।
2 अपने जीवन से एक ऐसा उदाहरण दें जब आपने किसी को दूसरे व्यक्ति की मदद करते हुए देखा, पर ऐसा करते हुए उससे कोई नुकसान हो गया हो।
घर जाकर देखो ,पूछो समझो(विद्यार्थियों के लिए):
घर जाकर अपने मम्मी पापा या किसी बड़े व्यक्ति को रसोई में काम करते हुए देखिए कि वे किस सजगता के साथ वहां काम करते हैं जिससे कोई दुर्घटना न हो ।
चर्चा भी करें कि कभी उनके किसी कार्य से ऐसा भी हुआ है कि दूसरे को कष्ट मिला हो।
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
दूसरा दिन
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
पिछले दिन की कहानी की पुनरावृत्ति की जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।घर से मिले फीडबैक के आधार पर पिछले दिन के चर्चा के प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थी छोटे समूहों में बात चीत करेंगे।
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1 ऐसी घटनाओं को साझा करें जब आपने मम्मी-पापा या किसी और को कोई भी काम बड़ी सावधानी पूर्वक करते देखा हो। यदि वे सावधानी न बरतते तो क्या दुर्घटना हो सकती थी?
2 कोई ऐसी घटना साझा करें जिसमें आपने कुछ अच्छा कार्य किया परन्तु अंततः उसका ऐसा नुकसान भी हुआ जो आपके किसी परिचित को पूरा करना पड़ा।
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
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