8. नीता का पेन

कहानी का उद्देश्य: बच्चों का ध्यान इस ओर दिलाना कि कई बार हमसे गलती हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में गलती होने के बाद उसे छुपाने से बहुत समय हमारे मन पर बोझ रहता है जबकि गलती को स्वीकार कर लेना कहीं ज्यादा संतुष्टिजनक होता है।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

कहानी :
कीर्ति पांचवीं कक्षा की छात्रा थी। वह अपने माता-पिता की बहुत लाडली संतान थी। जो भी वह उनसे मांगती वह उसे तुरंत दिला देते। वह पढ़ाई में बहुत अच्छी थी। सबकी मदद भी करती थी । परंतु उसमें एक आदत थी। जो भी चीज उसे अच्छी लगती उसका मन उस चीज पर अटक ही जाता था। चाहे उसे उस चीज की जरूरत भी न हो।
एक दिन नीता एक नया पेन लाई थी और सब बच्चे उसके पेन की तारीफ कर रहे थे । कीर्ति ने भी पेन को देखा और उसे पेन बहुत अच्छा लगा। तभी प्रार्थना की घंटी बज गई । सभी बच्चे मैदान में चले गए । कीर्ति थोड़ी देर रुक गई और नीता के बैग से उसका नया पेन निकाल कर उसे देखने लगी। अचानक किसी के कदमों की आवाज़ सुनकर वह घबरा गई। उस घबराहट में उसने वह पेन अपनी जेब में रख लिया। उसने मुड़ कर देखा तो सामने से विभा आ रही थी आज प्रार्थना में उसकी तबीयत खराब होने के कारण अध्यापिका ने उसे क्लास में भेज दिया था। कीर्ति को वह पेन वापस रखने का मौका नहीं मिला और वह उसे जेब में रख कर चुपचाप प्रार्थना सभा में चली गई।
काम शुरू करते समय नीता ने देखा कि उसका पेन उसके बैग में नहीं था। सभी का शक विभा पर ही जा रहा था। किसी का ध्यान कीर्ति की ओर तो गया ही नहीं। इस पर विभा बहुत रोई। कीर्ति कुछ समय तक अपनी सीट पर बैठे-बैठे सब देख रही थी।
इससे पहले कि विभा कुछ कहती, कीर्ति ने खड़े होकर सबके सामने अपनी गलती को स्वीकार लिया और नीता को उसका पेन वापस कर दिया।
उसने वादा किया कि वह आगे से कभी ऐसी गलती नहीं करेगी और उसने विभा और नीता दोनों से माफी मांगी।

चर्चा की दिशा:
सभी का ध्यान इस ओर जाए कि कोई भी व्यक्ति गलती करना नहीं चाहता बल्कि योग्यता में कमी होने के कारण गलती हो जाती हैं। यदि गलती हो जाए तो उसे छुपाना नहीं होता बल्कि गलती को स्वीकार करके यह ध्यान रखना होता है कि हम से उस प्रकार की गलती दोबारा से ना हो। इसके लिए हमें अपनी योग्यता बढ़ाने का प्रयास करना होगा।

चर्चा के लिए प्रश्न:
1 आपको क्या लगता है कीर्ति ने अपनी गलती क्यों स्वीकारी होगी।
2 ऐसा करने पर कीर्ति के साथ बाकी बच्चों के संबंधों पर क्या असर पड़ा होगा? चर्चा करें।
3 हम अपनी गलतियों को छुपाने की कोशिश क्यों करते हैं?
4 अपने जीवन से उदाहरण देकर बताओ कि गलती छुपा लेने और गलती स्वीकार कर लेने के नतीजों में क्या फर्क है?
5 जब दूसरे हम पर विश्वास नहीं करते तो कैसा लगता है? उदाहरण दे कर बताओ।

घर जाकर देखो ,पूछो,समझो(विद्यार्थियों के लिए):
पिछले दिनों आप से विद्यालय में या घर पर कोई गलती हुई है तो बताओ। उस गलती के बारे में अपने माता पिता के साथ चर्चा करें और उनसे यह वादा करें कि आने वाले समय में आप पूरा ध्यान रखेंगे कि आप से इस प्रकार की गलती दोबारा न हो।

कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

दूसरा दिन:

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

कहानी की पुनरावृत्ति की जाए।
कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए,आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:

1 क्या तुम से कभी कोई ऐसी गलती हुई है जो तुम बताना चाहोगे?
(कुछ बच्चों से शेयरिंग करवा ले।)
2 उदाहरण देकर बताएं कि जब आपने कभी गलती होने पर उसे छुपाया हो तब आपको कैसा लगा ?
3 आप ने हिम्मत करके आप से हुई गलती को बताया हो तब आपको कैसा लगा।
4 गलती बताने और छिपाने में क्या फर्क है?

कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

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  1. माँ का चश्मा
  2. समझा तो जाना
  3. राजू की नीयत
  4. असमंजस
  5. समस्या या समाधान
  6. छोटी-सी पर मोटी-सी बात
  7. रूपम की पहिया कुर्सी
  8. नीता का पेन
  9. शाबाशी की कलम
  10. ख़ुश व्यक्ति ख़ुशी बाँटता है
  11. मैं हूँ ना
  12. मेरे प्यारे पापा
  13. तैयारी
  14. आओ पिकनिक चलें
  15. मन की बात
  16. मैन विद ए स्टिकर
  17. तराना का छाता
  18. फ़र्क तो पड़ता है
  19. गिफ्ट रैप
  20. रोड ब्लॉक

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