उद्देश्य: विद्यार्थियों में अपने समाज,देश और विश्व के प्रति जागरूक रहने की भावना का विकास
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी :
मयंक अपने पापा के साथ स्कूल जा रहा था। यह उसकी रोज की दिनचर्या थी । उसने देखा रोड पर चारों तरफ गाड़ियाँ,स्कूटर,बस,ट्रक, रिक्शा खड़े थे। कोई वाहन नहीं चल रहा था उसने पूछा, “पापा क्या बात है ट्रैफिक चल क्यों नहीं रहा।” पापा ने कहा पता नहीं क्या हुआ शायद रोड ब्लॉक है।
हां, वह रास्ता ही बंद था क्योंकि पिछली रात के तूफान के कारण सड़क के किनारे पर लगा एक पेड़ टूट गया था,और टूटकर सड़क के बीचो-बीच गिर गया था। सभी लोग आसपास की गाड़ियों में,बसों में, रिक्शों में इंतजार कर रहे थे और कोस रहे थे तो बस सरकार को या दूसरे लोगों को। कोई भी हिम्मत करके आगे नहीं आ रहा था कि उस पेड़ को धकेलकर किनारे कर दिया जाए। तभी एक गाड़ी से एक बच्चा निकल कर आया और पेड़ को धकेलने लगा। पेड़ बहुत भारी था। उसे हिलाना उस बच्चे के बस की बात नहीं थी। किन्तु उसे पेड़ को धकेलता देख आसपास से कई बच्चे निकल-निकल कर उसकी मदद करने आ पहुंचे। यह दृश्य देख बहुत से लोगों से रहा न गया और वे अपनी अपनी गाड़ियों से उतरकर पेड़ को धकेल कर किनारे करने लगे। इतने लोगों की मेहनत से वह पेड़ थोड़ा सा सरक गया। तभी किसी ने फोन करके क्रेन भी बुला ली । जब थोड़ी सी जगह बनी तो सभी अपने अपने रास्ते चल दिए।परन्तु आज सभी को एक बच्चा अच्छा सबक दे गया।
चर्चा की दिशा:
हम सब रोजमर्रा के जीवन में अपने ही कार्यों में इतने व्यस्त रहते हैं कि अपने आस पास के लोगों के प्रति भी संवेदनहीन हो जाते हैं।कभी कभी तो छोटी सी बात के लिए भी इंतजार करते हैं कि कोई दूसरा ही उसे पूरा करेगा क्योंकि यह हमारी जिम्मदारी नहीं है।चर्चा के माध्यम से विद्यार्थियों को अपने वातावरण के प्रति सजग बनाने और उनके पहल करने की भावना के विकास करने का प्रयास किया गया है।
चर्चा के लिए प्रश्न:
1 क्या आपने कभी किसी काम को करने की पहल की है जो कोई नहीं कर रहा था, उदाहरण देकर बताओ।
2 उन कार्यों को साझा करो जो आपको लगता है कोई नहीं कर रहा परन्तु काम उतना कठिन भी नहीं है।
(बाहर रोड पर कई पौधे लगे हैं जो सूख रहे है क्योंकि कोई पानी नही दे रहा, पास के पार्क के गेट में नुकीला लोहा निकला है जो आने जाने वाले लोगों को लग जाता है, सड़क के कूड़ेदान के बाहर लोग कूड़ा फेंक जाते हैं)
घर जाकर देखो ,पूछो समझो (विद्यार्थियों के लिए):
अपने आस पड़ोस में पता लगाएं कि क्या कोई ऐसे कार्य हैं जिनमें आप अपने मित्रों के साथ मिलकर कोई भागीदारी कर सकते हो।
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी की पुनरावृत्ति की जाए।
कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1 क्या आपने अपने आस पास किसी को किसी कार्य की पहल करते देखा है? आपके मन में उनके लिए क्या विचार /भाव आए?साझा करें।
2 उदाहरण दे कर बताएं कि जब आपने किसी कार्य में पहल करनी चाही हो तब आपके माता-पिता , भाई-बहन आदि की क्या प्रतिक्रिया रही?
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी :
मयंक अपने पापा के साथ स्कूल जा रहा था। यह उसकी रोज की दिनचर्या थी । उसने देखा रोड पर चारों तरफ गाड़ियाँ,स्कूटर,बस,ट्रक, रिक्शा खड़े थे। कोई वाहन नहीं चल रहा था उसने पूछा, “पापा क्या बात है ट्रैफिक चल क्यों नहीं रहा।” पापा ने कहा पता नहीं क्या हुआ शायद रोड ब्लॉक है।
हां, वह रास्ता ही बंद था क्योंकि पिछली रात के तूफान के कारण सड़क के किनारे पर लगा एक पेड़ टूट गया था,और टूटकर सड़क के बीचो-बीच गिर गया था। सभी लोग आसपास की गाड़ियों में,बसों में, रिक्शों में इंतजार कर रहे थे और कोस रहे थे तो बस सरकार को या दूसरे लोगों को। कोई भी हिम्मत करके आगे नहीं आ रहा था कि उस पेड़ को धकेलकर किनारे कर दिया जाए। तभी एक गाड़ी से एक बच्चा निकल कर आया और पेड़ को धकेलने लगा। पेड़ बहुत भारी था। उसे हिलाना उस बच्चे के बस की बात नहीं थी। किन्तु उसे पेड़ को धकेलता देख आसपास से कई बच्चे निकल-निकल कर उसकी मदद करने आ पहुंचे। यह दृश्य देख बहुत से लोगों से रहा न गया और वे अपनी अपनी गाड़ियों से उतरकर पेड़ को धकेल कर किनारे करने लगे। इतने लोगों की मेहनत से वह पेड़ थोड़ा सा सरक गया। तभी किसी ने फोन करके क्रेन भी बुला ली । जब थोड़ी सी जगह बनी तो सभी अपने अपने रास्ते चल दिए।परन्तु आज सभी को एक बच्चा अच्छा सबक दे गया।
चर्चा की दिशा:
हम सब रोजमर्रा के जीवन में अपने ही कार्यों में इतने व्यस्त रहते हैं कि अपने आस पास के लोगों के प्रति भी संवेदनहीन हो जाते हैं।कभी कभी तो छोटी सी बात के लिए भी इंतजार करते हैं कि कोई दूसरा ही उसे पूरा करेगा क्योंकि यह हमारी जिम्मदारी नहीं है।चर्चा के माध्यम से विद्यार्थियों को अपने वातावरण के प्रति सजग बनाने और उनके पहल करने की भावना के विकास करने का प्रयास किया गया है।
चर्चा के लिए प्रश्न:
1 क्या आपने कभी किसी काम को करने की पहल की है जो कोई नहीं कर रहा था, उदाहरण देकर बताओ।
2 उन कार्यों को साझा करो जो आपको लगता है कोई नहीं कर रहा परन्तु काम उतना कठिन भी नहीं है।
(बाहर रोड पर कई पौधे लगे हैं जो सूख रहे है क्योंकि कोई पानी नही दे रहा, पास के पार्क के गेट में नुकीला लोहा निकला है जो आने जाने वाले लोगों को लग जाता है, सड़क के कूड़ेदान के बाहर लोग कूड़ा फेंक जाते हैं)
घर जाकर देखो ,पूछो समझो (विद्यार्थियों के लिए):
अपने आस पड़ोस में पता लगाएं कि क्या कोई ऐसे कार्य हैं जिनमें आप अपने मित्रों के साथ मिलकर कोई भागीदारी कर सकते हो।
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी की पुनरावृत्ति की जाए।
कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1 क्या आपने अपने आस पास किसी को किसी कार्य की पहल करते देखा है? आपके मन में उनके लिए क्या विचार /भाव आए?साझा करें।
2 उदाहरण दे कर बताएं कि जब आपने किसी कार्य में पहल करनी चाही हो तब आपके माता-पिता , भाई-बहन आदि की क्या प्रतिक्रिया रही?
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
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