6. छोटी-सी पर मोटी-सी बात

कहानी का उद्देश्य: अपने साथी की मदद को अपनी ज़िम्मेदारी समझना और उसका निर्वाह करना।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

कहानी:
अज़रा तीसरे दिन भी स्कूल नहीं आई थी। क्लास-टीचर को अज़रा की चिंता हुई। उन्होंने तुरंत अज़रा की मम्मी से फोन पर बात की। पता चला कि अज़रा की तबीयत ख़राब है और डॉक्टर ने उसे अभी पाँच दिन और आराम करने को कहा है। टीचर सोचने लगीं कि पाँच दिन में तो पढ़ाई का बहुत नुक़्सान हो जायेगा। उन्हें इस समस्या का हल ढूंढना था, उन्होंने कक्षा के सामने सारी बात रखते हुए कहा, "हमें मिलकर अज़रा की मदद करनी चाहिए.....!"
अभी टीचर की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि गीतू उठ के बोला, "टीचर! मैं उसके घर के नज़दीक रहता हूँ, मैं करूँगा उसकी मदद! कुछ महीने पहले मैं भी तो बीमार हुआ था और बंटी ने मेरी सहायता की थी।" टीचर ने पूछा कि तुम उसकी सहायता कैसे करोगे। गीतू ने जवाब दिया, “मैं रोज़ स्कूल में पढ़े पाठों को उसके साथ शेयर करूंगा और होम वर्क में उसकी सहायता करूँगा।”
गीतू का इस तरह आगे बढ़ कर अज़रा की मदद करने का फ़ैसला सारी कक्षा को बहुत पसंद आया और टीचर ने सबके सामने गीतू की बहुत तारीफ़ की। अंत में टीचर बोलीं, "सबसे पहले यह बात घर में बताना। गीतू ने ऐसा ही किया।माँ की सहमति पाकर उसने अज़रा की भरपूर मदद की। टीचर रोज़ाना अज़रा का हाल-चाल पूछती रहतीं।
आज एक सप्ताह के बाद अज़रा स्कूल वापस आई थी। उसने सबके सामने गीतू को मदद करने के लिए धन्यवाद किया। सारी कक्षा के सामने गीतू की बहुत प्रशंसा की। गीतू व सारी कक्षा की ख़ुशी की कोई सीमा न रही जब अज़रा ने घोषणा की“अगर किसी और के साथ ऐसी समस्या आती है तो मैं सबसे पहले उसकी मदद करुँगी।” यह सुनकर क्लास-टीचर (मैम) बोलीं, “ बेटा! किसी की मदद कभी भी की जा सकती है, ज़रूरी नहीं कि हम सिर्फ़ ज़रूरत के समय ही मदद करें।”

चर्चा की दिशा:
यदि हम सब अपने परिवार, विद्यालय, समाज एवं इस धरती पर अपनी सहभागिता को समझ पाएँ तो यह धरती बहुत सुंदर और सुचारू रूप से जीवन चलाने के लिए उपयुक्त बनी रह सकती है। हम ऐसा वातावरण बनायें कि सभी का विकास संभव हो सके। हम सब प्रतियोगी नहीं बल्कि सहभागी बन जाएँ।
हम जहां है वहां होने का कुछ महत्व है, यही हमारी उपयोगिता भी है। अपनी उपयोगिता समझकर ज़िम्मेदारी पूरी कर हमें सुख भी मिलता है।

चर्चा के लिए प्रश्न :
1 आपके साथ क्या कभी ऐसी स्थिति आई है जब आपको भी स्कूल से लम्बी छुट्टी लेनी पड़ी हो? ऐसे में आपने अपना कार्य कैसे पूरा किया?
2 गीतू ने अज़रा की रोज़ाना मदद करने के लिए अपनी दिनचर्या में से समय कैसे निकाला होगा? अनुमान लगाएं और कक्षा में साझा करें।
3 क्या आपने किसी की मुश्किल समय में मदद की है? क्यों और कैसे?

घर जाकर देखो ,पूछो,समझो(विद्यार्थियों के लिए):
आज घर में इस बात पर चर्चा करें कि घर में सभी सदस्य किस प्रकार एक दूसरे को सहयोग देते हैं।साथ ही इस बात पर भी ध्यान दें कि घर को सुचारू रूप से चलाने में आपका क्या योगदान है।

कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

दूसरा दिन:

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

पिछले दिन की कहानी की पुनरावृत्ति की जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।
क्या
घर से मिले फीडबैक के आधार पर पिछले दिन के चर्चा के प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थी छोटे समूहों में बातचीत करेंगे।
पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों (जिन्होंने पहले दिन उत्तर न दिए हों) के लिए पुनः किया जा सकता है।

चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1 क्या आपकी कभी किसी ने मुसीबत में मदद की है? कब और कैसे? कुछ शब्दों में अपने भाव उस व्यक्ति के प्रति व्यक्त करें।
2 घर के सदस्य एक दूसरे की मदद किन किन कार्यों में कर सकते है या करते हैं?
3 कोई हमारी मदद क्यों करता है या हम किसी की मदद क्यों करते हैं?
4 जो हमारी मदद नहीं करता क्या हमें उसकी मदद करनी चाहिए? ऐसा करके हमें क्या मिलेगा?

कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

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  1. माँ का चश्मा
  2. समझा तो जाना
  3. राजू की नीयत
  4. असमंजस
  5. समस्या या समाधान
  6. छोटी-सी पर मोटी-सी बात
  7. रूपम की पहिया कुर्सी
  8. नीता का पेन
  9. शाबाशी की कलम
  10. ख़ुश व्यक्ति ख़ुशी बाँटता है
  11. मैं हूँ ना
  12. मेरे प्यारे पापा
  13. तैयारी
  14. आओ पिकनिक चलें
  15. मन की बात
  16. मैन विद ए स्टिकर
  17. तराना का छाता
  18. फ़र्क तो पड़ता है
  19. गिफ्ट रैप
  20. रोड ब्लॉक

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