14. आओ पिकनिक चलें

कहानी का उद्देश्य : बच्चों का ध्यान इस ओर ले जाना कि जिन के साथ हम संबंध पहचानते और स्वीकारते हैं उनके साथ आसानी से शेयरिंग कर लेते हैं ।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

कहानी
आज पिकनिक का दिन था ।सभी बच्चे पिकनिक पर जाने के लिए बहुत उत्साहित थे। वैसे तो हर वर्ष ही पिकनिक जाते थे, परन्तु हर वर्ष नए स्थानों पर जाने और जानकारी लेने को लेकर उत्साह सदा बना ही रहता।
सभी बसें भी आ चुकी थी। सभी अपने मित्रों के साथ बैठ कर आनंद लेना चाहते थे।
जैसे ही पिकनिक के लिए निकलने का समय हुआ टीचर ने आकर बताया कि एक बस का टायर पंचर हो गया है तो हमें एक दूसरे का सहयोग करते हुए कुछ सीटें शेयर करनी होंगी। प्लीज़ सभी सहयोग करें। बस में हर सीट पर दो की जगह तीन-तीन बच्चे बैठ गए। कुछ बच्चे अभी भी शेष थे रिया ने बस में चढ़कर शीतल के पास बैठने की कोशिश की, तो शीतल ने उसे यह कह कर मना कर दिया कि पहले ही दो की जगह पर हम तीन लोग बैठे हैं, तुम कहीं और सीट ढूंढ लो। रिया ने दोबारा कहाा , किन्तु शीतल अपनी सीट से नहीं हिली। दो ही मिनट बाद शीतल की पक्की सहेली निधि भी बस में चढ़ी। अभी वह बैठने के लिए जगह ढूंढ ही रही थी कि शीतल की नजर उस पर पड़ गई।शीतल निधि को देख कर खुश हो गई और दूर से ही उसे आवाज लगाई, निधि यहां आ जाओ , मेरे पास जगह है”। और बड़ी आसानी से दो की सीट पर चौथा बच्चा भी बैठ गया।
रिया सीट की तलाश में इधर उधर देख रही थी।
सामने की सीट पर बैठी अध्यापिका ने सारी स्थिति का जायज़ा लिया। उन्होंने शीतल से तो कुछ नहीं कहा परन्तु रिया को आवाज़ लगाई, रिया तुम मेरे पास आ जाओ यहां जगह बन जाएगी।

चर्चा की दिशा:
इस कहानी से अपना -पराया के भाव से ध्यान हटा कर मानवीयता के भाव की ओर ध्यान दिलाने का प्रयास किया गया है। साथ ही प्रश्नों के माध्यम से बच्चों का ध्यान इस ओर भी दिलाएं कि अपनों के बीच हम खुशी के भाव में रहते हैं। इसलिए जब हममें मानवीयता का भाव विकसित हो जाएगा तो हम सभी के साथ हर समय खुश रह पाएँगे ।

चर्चा के लिए प्रश्न:
1. आपको क्या लगता है निधि के साथ सीट शेयर करने से शीतल को परेशानी क्यों नहीं हो रही थी?
2. क्या आप अपनी चीजें सभी के साथ आसानी से शेयर करते हैं या केवल उनके साथ जिन्हें आप अपना मानते हैं? उदाहरण देकर बताएं ।
3. किन आधारों पर आप किसी को अपना मानते हैं? अपने जीवन से उदाहरण देकर चर्चा करें।

घर जाकर देखो ,पूछो,समझो(विद्यार्थियों के लिए):
अपने घर में या आस पड़ोस में ऐसे लोगों के बारे में सोचें जिन्हें आप बहुत पसंद करते हैं और जिनके साथ आप अपना सामान बड़ी आसानी से शेयर भी कर सकते हैं

कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

दूसरा दिन:

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

पिछले दिन की कहानी की पुनरावृत्ति की जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।
घर से मिले फीडबैक के आधार पर पिछले दिन के चर्चा के प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थी छोटे समूह में बातचीत करेंगे।

चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1 कक्षा में जब अध्यापिका अपने ग्रुप में दोस्तों के साथ बैठने की बजाए रोल नंबर से बैठने को कहती हैं तो आपको कैसा लगता है? क्यों?
2 क्या हम सभी के साथ अपनेपन के भाव के साथ रह सकते हैं? उसके लिए क्या-क्या करना होगा? चर्चा करें।
3 अधिकाधिक लोगों में अपनापन बढ़ाने को क्यों कहा जा रहा है? उसके क्या क्या फायदे और नुकसान हैं? चर्चा करें।

कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

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  1. माँ का चश्मा
  2. समझा तो जाना
  3. राजू की नीयत
  4. असमंजस
  5. समस्या या समाधान
  6. छोटी-सी पर मोटी-सी बात
  7. रूपम की पहिया कुर्सी
  8. नीता का पेन
  9. शाबाशी की कलम
  10. ख़ुश व्यक्ति ख़ुशी बाँटता है
  11. मैं हूँ ना
  12. मेरे प्यारे पापा
  13. तैयारी
  14. आओ पिकनिक चलें
  15. मन की बात
  16. मैन विद ए स्टिकर
  17. तराना का छाता
  18. फ़र्क तो पड़ता है
  19. गिफ्ट रैप
  20. रोड ब्लॉक

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