17. तराना का छाता

कहानी का उद्देश्य: इस कहानी का उद्देश्य बच्चों में समानुभूति (empathy) और समाधानमूलक दृष्टिकोण ( problem solving attitude) का विकास करना है।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

कहानी :
जब भी बारिश होती थी, तराना और उसका भाई एक ही छतरी के नीचे चलकर स्कूल जाते थेl उनके गाँव के अधिकांश छात्र अपनी छतरी नहीं खरीद सकते थे, इसलिए रास्ते में वे अक्सर छाता शेयर करते थे। छतरी साझा करने वाले ज़्यादातर छात्र विद्यालय पहुँचने तक पूरी तरह से भीग जाते थे।ऐसे में बहुत से विद्यार्थी या तो भीगकर स्कूल पहुंचते या विद्यालय ही नहीं आते थेl तराना अक्सर सोचा करती कि वह इन बच्चों की मदद कैसे कर सकती है!इसका हल निकालने में उसे कुछ ज़्यादा समय नहीं लगा। कुछ ही दिनों की मेहनत के बाद उसने एक ऐसा छाता बना लिया जिसे दो किनारों से दो बच्चे पकड़ लें तो छाते के नीचे बहुत से बच्चे आ सकते थे और बिना भीगे स्कूल पहुंच सकते थे।
ग्यारह साल की तराना का एक ऐसी छतरी का विचार खूब कारगर सिद्ध हुआ। इसे दो बच्चों द्वारा दो तरफ से पकड़ा जा सकता है तथा अन्य बच्चे उसके नीचे रह कर बारिश से बच सकते हैं और इस तरह से भीगे बिना एक साथ स्कूल जा सकते हैं।

चर्चा की दिशा:
हम सभी अक्सर बहुत सारी समस्याओं को नजरंदाज करते रहते है जिनका हल उतना कठिन नहीं होता। उसके हल निकलने से समाज के एक बड़े वर्ग को फायदा हो सकता है। चर्चा करने से विद्यार्थियों का ध्यान कम से कम उन समस्याओं की ओर तो जाएगा जिनसे काफी लोग परेशान है।

चर्चा के लिए प्रश्न:
1अपनी दिनचर्या में आने वाली छोटी छोटी समस्याएँ बताओ?(शिक्षक श्यामपट्ट पर सूची बना सकते हैं।
2 क्या आपने अपनी कोई छोटी-सी समस्या अपनी बुद्धि से सुलझाई है? उदाहरण के साथ साझा करें ऐसा करके आपको कैसा लगा?
3 अपने जीवन से कोई उदाहरण दें जब आपके किसी मित्र ने आपकी कोई समस्या को सुलझाने में मदद की है।
4 किसी की समस्या को सुलझाने में मदद करने से आपको क्या मिला? उदाहरण दे कर बताओ।

घर जाकर देखो ,पूछो,समझो(विद्यार्थियों के लिए)
अपने विद्यालय एवं अड़ोस पड़ोस में पता लगाओ कि कौन-कौन लोग छोटी-छोटी समस्याओं के हल जल्दी से निकाल लेते हैं। यह भी देखो कि कौन सी समस्या का हल निकलने से बहुत से लोगों का भला हो जाता है।

कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

दूसरा दिन:

कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

कहानी की एक बार पुनरावृत्ति की जाए।
कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।

चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1 क्या कभी आपने अपनी ऐसी किसी समस्या का हल ढूंढा जिससे आपके बहुत सारे मित्रों को भी फायदा हो गया? उदाहरण देकर बताएं।
2 ऐसी स्थिति में क्या आपको अपनी कोई उपयोगिता समझ में आई? कब कब आपको अपनी उपयोगिता दिखाई देती है? उदाहरण के साथ बताएं।
3 ऐसी समस्याओं के उदाहरण दो जिनसे केवल आप ही नहीं बल्कि बहुत से अन्य बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं। ऐसी समस्या का हल निकालने के लिए चर्चा करें।

कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

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  1. माँ का चश्मा
  2. समझा तो जाना
  3. राजू की नीयत
  4. असमंजस
  5. समस्या या समाधान
  6. छोटी-सी पर मोटी-सी बात
  7. रूपम की पहिया कुर्सी
  8. नीता का पेन
  9. शाबाशी की कलम
  10. ख़ुश व्यक्ति ख़ुशी बाँटता है
  11. मैं हूँ ना
  12. मेरे प्यारे पापा
  13. तैयारी
  14. आओ पिकनिक चलें
  15. मन की बात
  16. मैन विद ए स्टिकर
  17. तराना का छाता
  18. फ़र्क तो पड़ता है
  19. गिफ्ट रैप
  20. रोड ब्लॉक

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