कहानी का उद्देश्य: जीवन में पूर्व तैयारी का महत्व
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी
कुंदन एक किसान था, लेकिन परेशान इतना कि उससे ज़्यादा परेशान शायद ही कोई पूरे गाँव में हो। उसकी परेशानी की एक बड़ी वजह तो यह थी कि उसका घर और खेत, दोनों नदी के किनारे पर थे। हर बार जब बरसात के मौसम में नदी में पानी बढ़ जाता तो कुंदन का बहुत सारा नुक़सान होता। कुंदन इसलिए भी परेशान था कि उसे खेत और घर में काम करने के लिए कोई सहयोगी नहीं मिल पा रहा था। कोई मिल भी जाता तो बहुत दिन तक टिकता नहीं था।
जब-जब नदी में पानी बढ़ जाता या बाढ़ आ जाती, कुंदन अपने आप को असहाय पाता। वह दौड़-भाग तो ख़ूब करता लेकिन अकेला क्या-क्या करें ! अगर वह अनाज ढकता तो मुर्गियाँ भाग लेतीं और अगर मुर्गियों को संभालता तो अनाज भीग जाता।
हर तूफ़ान के बाद कुंदन रो-रो कर पूरा गाँव सिर पर उठा लिया करता और अपने नुक़सान के बारे में बताता। कुंदन के दोस्त उसे दिलासा देते हुए कहते, “अरे! जब तुझे पता है कि तूफ़ान कभी भी आ सकता है तो तू तैयारी क्यों नहीं करके रखता?” कुंदन के पास एक ही जवाब होता, “भाई! रोज़-रोज़ थोड़ी तूफ़ान की तैयारी करूँगा?”सब जानते थे कि तूफ़ान तो कभी भी आ सकता है। इसलिए आख़िर में सब यही कहते, “कुंदन! तुझे कोई सहयोगी रख लेना चाहिए।” कुंदन कहता, “भाई! कोई मिले तो! और मिल जाए तो टिके भी!”
कई दिन बाद कुंदन की मुलाक़ात सचिन से हुई। वह काम करने को राज़ी हो गया।वह एक मेहनती लड़का था।
कुंदन देखता कि सचिन सुबह से शाम तक कड़ी मेहनत करता है। दो हफ़्तों में ही उसने सचिन के पैसे भी बढ़ा दिए। ऐसा सहयोगी पाकर कुंदन बहुत ख़ुश था। एक रात शोर से कुंदन की नींद टूटी और उसने पाया कि बड़े ज़ोर का तूफ़ान आया है। कुंदन घबरा कर उठा और सचिन की झोंपड़ी की ओर दौड़ा। वहाँ जाकर उसने देखा कि सचिन तो बड़े आराम से चादर मुँह पर ओढ़े, ज़ोर ज़ोर से ख़र्राटे मार रहा था।
मुसीबत की घड़ी में सचिन को इस तरह बेख़बर सोता देख, कुंदन ने उसे झिंझोड़ा और कहा, “तुम मज़े से सो रहे हो? तूफ़ान आया है, जल्दी मेरे साथ चलकर चीज़ों को संभालो।” सचिन ने उबासी लेते हुए जवाब दिया, “आप चलो, मैं आ रहा हूँ।”
कुंदन खेतों की ओर दौड़ा जहाँ कटी हुई फ़सल रखी थी। लेकिन जैसे ही वह खेत में पहुँचा उसके आश्चर्य की कोई सीमा न रही। उसने पाया कि सचिन ने कटी हुई फ़सल को ऊंचे स्थान पर रख कर तिरपाल से अच्छी तरह से ढका हुआ था। मुर्गियां दड़बे में थीं और दरवाज़ों को भी अच्छे से बंद किया हुआ था। फ़सल तूफ़ान से बिलकुल सुरक्षित थी, खेत के चारों ओर ऊंची मेढ़ बनी थी और मुर्गियाँ दड़बे में आराम कर रहीं थीं।
कुंदन समझ गया था कि सचिन क्यों निश्चिंत होकर सो रहा था। अब वह सचिन के पास जा कर उसे धन्यवाद करने के बारे में सोच ही रहा था कि उसकी नज़र हँसते हुए सचिन पर पड़ी मानो कह रहा हो, “तूफान हमें दुखी थोड़ा ही कर सकता है।” कुंदन ने दौड़कर उसे गले से लगा लिया।
चर्चा की दिशा:
हम सब जीवन में अक्सर किसी कार्य को बखूबी नहीं कर पाते क्योंकि हमारी कोई पूर्व तैयारी नहीं होती। कार्य से पहले उसकी तैयारी में समय लगाना समय की बरबादी नहीं बल्कि समय का सही निवेश है। तैयारी की कमी के कारण काम खराब हो जाने के बाद दुख मनाने से बेहतर है पूर्व तैयारी करना क्योंकि समाधान ही सुख है। पूर्व तैयारी से समाधान प्राप्ति में मदद मिलती है।
चर्चा के लिए प्रश्न:
1 आप किस किस कार्य की पूर्व तैयारी अक्सर करके रखते हैं? जिस दिन यह पूर्व तैयारी न हो पाए वह दिन कैसा जाता है? उदाहरण देकर बताएं।
2 जिस दिन आप पूर्व तैयारी के साथ होते हैं उस दिन आप कैसा महसूस करते हैं?
3 एक विद्यार्थी होने के नाते आपको किन किन कार्यों की पूर्व तैयारी करनी चाहिए? बच्चों द्वारा बताए गए कार्यों की सूची अध्यापक श्यामपट्ट पर बना दे।
4 आज इस चर्चा के बाद आपको क्या लगता है कि आगे आप किस किस कार्य की पूर्व तैयारी करेंगे?
5, परीक्षा की पूर्व तैयारी करने पर आपको परीक्षा के दिनों में कैसा अनुभव होता है और क्यों? इसकी विपरीत स्थिति पर भी चर्चा करें।
घर जाकर देखो ,पूछो,समझो(विद्यार्थियों के लिए):
आज इस बात पर ध्यान दें कि क्या आपके माता पिता, भाई बहन अपने कामों की पूर्व तैयारी करके रखते हैं। यदि आवश्यकता हो तो उन्हें भी पूर्व तैयारी के लाभ से अवगत कराने का प्रयत्न करें।
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
पिछले दिन की कहानी पुनरावृत्ति की जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।
घर से मिले फीडबैक के आधार पर पिछले दिन के चर्चा के प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थी छोटे समूहां में बातचीत करेंगे।
पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों(जिन्होंने पहले दिन उत्तर न दिए हों)के लिए पुनः किया जा सकता है।
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1 अपने परिवार, आस-पड़ोस या विद्यालय में क्या आपने किसी व्यक्ति को अपने कार्यों की पूर्व तैयारी करते हुए देखा है? उदाहरण देकर बताएं।
2 अपने जीवन से ऐसे उदाहरण साझा करें जिसमें आपने पूर्व तैयारी की और आपको सफलता भी मिली, या पूर्व तैयारी न करने से आपको परेशानी हुई।
3 पूर्व तैयारी के महत्व को जानते हुए भी बहुत बार हम पूर्व तैयारी क्यों नहीं करते। चर्चा करें।
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी
कुंदन एक किसान था, लेकिन परेशान इतना कि उससे ज़्यादा परेशान शायद ही कोई पूरे गाँव में हो। उसकी परेशानी की एक बड़ी वजह तो यह थी कि उसका घर और खेत, दोनों नदी के किनारे पर थे। हर बार जब बरसात के मौसम में नदी में पानी बढ़ जाता तो कुंदन का बहुत सारा नुक़सान होता। कुंदन इसलिए भी परेशान था कि उसे खेत और घर में काम करने के लिए कोई सहयोगी नहीं मिल पा रहा था। कोई मिल भी जाता तो बहुत दिन तक टिकता नहीं था।
जब-जब नदी में पानी बढ़ जाता या बाढ़ आ जाती, कुंदन अपने आप को असहाय पाता। वह दौड़-भाग तो ख़ूब करता लेकिन अकेला क्या-क्या करें ! अगर वह अनाज ढकता तो मुर्गियाँ भाग लेतीं और अगर मुर्गियों को संभालता तो अनाज भीग जाता।
हर तूफ़ान के बाद कुंदन रो-रो कर पूरा गाँव सिर पर उठा लिया करता और अपने नुक़सान के बारे में बताता। कुंदन के दोस्त उसे दिलासा देते हुए कहते, “अरे! जब तुझे पता है कि तूफ़ान कभी भी आ सकता है तो तू तैयारी क्यों नहीं करके रखता?” कुंदन के पास एक ही जवाब होता, “भाई! रोज़-रोज़ थोड़ी तूफ़ान की तैयारी करूँगा?”सब जानते थे कि तूफ़ान तो कभी भी आ सकता है। इसलिए आख़िर में सब यही कहते, “कुंदन! तुझे कोई सहयोगी रख लेना चाहिए।” कुंदन कहता, “भाई! कोई मिले तो! और मिल जाए तो टिके भी!”
कई दिन बाद कुंदन की मुलाक़ात सचिन से हुई। वह काम करने को राज़ी हो गया।वह एक मेहनती लड़का था।
कुंदन देखता कि सचिन सुबह से शाम तक कड़ी मेहनत करता है। दो हफ़्तों में ही उसने सचिन के पैसे भी बढ़ा दिए। ऐसा सहयोगी पाकर कुंदन बहुत ख़ुश था। एक रात शोर से कुंदन की नींद टूटी और उसने पाया कि बड़े ज़ोर का तूफ़ान आया है। कुंदन घबरा कर उठा और सचिन की झोंपड़ी की ओर दौड़ा। वहाँ जाकर उसने देखा कि सचिन तो बड़े आराम से चादर मुँह पर ओढ़े, ज़ोर ज़ोर से ख़र्राटे मार रहा था।
मुसीबत की घड़ी में सचिन को इस तरह बेख़बर सोता देख, कुंदन ने उसे झिंझोड़ा और कहा, “तुम मज़े से सो रहे हो? तूफ़ान आया है, जल्दी मेरे साथ चलकर चीज़ों को संभालो।” सचिन ने उबासी लेते हुए जवाब दिया, “आप चलो, मैं आ रहा हूँ।”
कुंदन खेतों की ओर दौड़ा जहाँ कटी हुई फ़सल रखी थी। लेकिन जैसे ही वह खेत में पहुँचा उसके आश्चर्य की कोई सीमा न रही। उसने पाया कि सचिन ने कटी हुई फ़सल को ऊंचे स्थान पर रख कर तिरपाल से अच्छी तरह से ढका हुआ था। मुर्गियां दड़बे में थीं और दरवाज़ों को भी अच्छे से बंद किया हुआ था। फ़सल तूफ़ान से बिलकुल सुरक्षित थी, खेत के चारों ओर ऊंची मेढ़ बनी थी और मुर्गियाँ दड़बे में आराम कर रहीं थीं।
कुंदन समझ गया था कि सचिन क्यों निश्चिंत होकर सो रहा था। अब वह सचिन के पास जा कर उसे धन्यवाद करने के बारे में सोच ही रहा था कि उसकी नज़र हँसते हुए सचिन पर पड़ी मानो कह रहा हो, “तूफान हमें दुखी थोड़ा ही कर सकता है।” कुंदन ने दौड़कर उसे गले से लगा लिया।
चर्चा की दिशा:
हम सब जीवन में अक्सर किसी कार्य को बखूबी नहीं कर पाते क्योंकि हमारी कोई पूर्व तैयारी नहीं होती। कार्य से पहले उसकी तैयारी में समय लगाना समय की बरबादी नहीं बल्कि समय का सही निवेश है। तैयारी की कमी के कारण काम खराब हो जाने के बाद दुख मनाने से बेहतर है पूर्व तैयारी करना क्योंकि समाधान ही सुख है। पूर्व तैयारी से समाधान प्राप्ति में मदद मिलती है।
चर्चा के लिए प्रश्न:
1 आप किस किस कार्य की पूर्व तैयारी अक्सर करके रखते हैं? जिस दिन यह पूर्व तैयारी न हो पाए वह दिन कैसा जाता है? उदाहरण देकर बताएं।
2 जिस दिन आप पूर्व तैयारी के साथ होते हैं उस दिन आप कैसा महसूस करते हैं?
3 एक विद्यार्थी होने के नाते आपको किन किन कार्यों की पूर्व तैयारी करनी चाहिए? बच्चों द्वारा बताए गए कार्यों की सूची अध्यापक श्यामपट्ट पर बना दे।
4 आज इस चर्चा के बाद आपको क्या लगता है कि आगे आप किस किस कार्य की पूर्व तैयारी करेंगे?
5, परीक्षा की पूर्व तैयारी करने पर आपको परीक्षा के दिनों में कैसा अनुभव होता है और क्यों? इसकी विपरीत स्थिति पर भी चर्चा करें।
घर जाकर देखो ,पूछो,समझो(विद्यार्थियों के लिए):
आज इस बात पर ध्यान दें कि क्या आपके माता पिता, भाई बहन अपने कामों की पूर्व तैयारी करके रखते हैं। यदि आवश्यकता हो तो उन्हें भी पूर्व तैयारी के लाभ से अवगत कराने का प्रयत्न करें।
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत दो-तीन मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
पिछले दिन की कहानी पुनरावृत्ति की जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।
घर से मिले फीडबैक के आधार पर पिछले दिन के चर्चा के प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थी छोटे समूहां में बातचीत करेंगे।
पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग शेष विद्यार्थियों(जिन्होंने पहले दिन उत्तर न दिए हों)के लिए पुनः किया जा सकता है।
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1 अपने परिवार, आस-पड़ोस या विद्यालय में क्या आपने किसी व्यक्ति को अपने कार्यों की पूर्व तैयारी करते हुए देखा है? उदाहरण देकर बताएं।
2 अपने जीवन से ऐसे उदाहरण साझा करें जिसमें आपने पूर्व तैयारी की और आपको सफलता भी मिली, या पूर्व तैयारी न करने से आपको परेशानी हुई।
3 पूर्व तैयारी के महत्व को जानते हुए भी बहुत बार हम पूर्व तैयारी क्यों नहीं करते। चर्चा करें।
कक्षा के अंत में 1- 2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
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