15. दीक्षा

कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों का ध्यान हर वस्तु की उपयोगिता की ओर दिलाना।
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक

Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

कहानी:
एक गुरु ने बारह साल तक गुरुकुल में अपने शिष्यों को शिक्षा प्रदान की। दीक्षा के समय उनकी परीक्षा लेने के लिए गुरु ने निर्देश दिया कि आश्रम के आसपास जो पौधे हैं, उनमें से अनुपयोगी पौधों की सूची बनाकर लाओ।
सभी शिष्य प्रसन्न मन से गए और सभी अपने-अपने दृष्टिकोण से अनुपयोगी पौधों की सूची बना लाए।
एक शिष्य ने खाली काग़ज़ गुरु के सामने रख दिया। गुरु ने पूछा, “क्या बात है? तुमने अनुपयोगी पौधों की सूची क्यों नहीं बनाई?”
शिष्य ने कहा, “गुरुदेव! हर पौधा किसी न किसी गुण से युक्त है। प्रकृति में वह यूँ ही पैदा नहीं हुआ है। प्रकृति में हर चीज़ का अपना महत्त्व है। जिन पौधों को हम फ़ालतू समझते हैं वह भी पशुओं और वैद्य-हकीमों के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। बेकार दिखाई देने वाले पौधों में भी कई औषधीय गुण होते हैं। यदि किसी पौधे की उपयोगिता को हम अभी नहीं पहचान पाए हैं तो इससे वह पौधा अनुपयोगी नहीं हो जाता है। अत: मेरी नज़र में कोई भी पौधा अनुपयोगी नहीं है।"
गुरु ने अन्य शिष्यों से कहा, “तुम्हारी शिक्षा अभी अधूरी है। दीक्षा केवल इसे ही प्रदान की जाएगी।”

चर्चा की दिशा:
प्रकृति में हर चीज़ के होने का एक प्रयोजन (purpose) है। यदि हम उस प्रयोजन को नहीं पहचान पाते हैं तो यह हमारी अयोग्यता है। हमारे द्वारा न पहचानने से किसी चीज़ का महत्त्व कम नहीं हो जाता है।
किसी चीज़ का अपने से बड़ी व्यवस्था में भागीदारी ही उसका प्रयोजन होता है। किसी चीज़ का प्रयोजन ही उसकी उपयोगिता या उसका मूल्य होता है। प्रकृति में कोई भी चीज़ मूल्यहीन नहीं हैं। किसी वस्तु के मूल्य को पहचानना ही उसका सम्मान है।
इस कहानी और प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को चीज़ों के सदुपयोग करने और हर चीज़ के होने के प्रयोजन को जानने के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया गया है।

पहला दिन:

चर्चा के लिए प्रश्न:
1. क्या आपने कभी किसी ऐसी वस्तु का सदुपयोग किया है जिसे आप अनुपयोगी मानते थे? कैसे? कक्षा में साझा करें।
2. अपने आसपास कौन-कौनसी वस्तुएँ अनुपयोगी दिखाई पड़ रही हैं? उनकी एक सूची बनाएँ। छोटे समूहों में चर्चा करें कि एक-दूसरे की सूची में शामिल वस्तुओं का उपयोग किन-किन कामों में किया जा सकता है?

घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए):
  • घर जाकर इस कहानी को अपने परिवार में सुनाएँ और इस पर परिवार के सदस्यों के विचार व अनुभव जानें।
  • अपने घर पर ऐसी चीज़ों को देखें जो अब किसी काम की दिखाई नहीं पड़ती हैं। इन चीज़ों को अन्य किस काम में लाया जा सकता है इसकी चर्चा परिवार के अन्य सदस्यों से करें। जैसे- पुराने या टूटे हुए प्लास्टिक के डिब्बे, पानी की टंकी, कूलर की टंकी आदि को औषधीय पौधे, सब्जी आदि उगाने के लिए प्रयोग करना।
Check out: कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

दूसरा दिन:

Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
  • कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, कहानी का रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं। 
  • कहानी पर घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ। 
  • पहले दिन के चर्चा के लिए प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुन: किया जा सकता है जो रह गए थे या अनुपस्थित थे।
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1. प्रकृति में हर चीज़ की कोई न कोई उपयोगिता होती है। आप स्वयं को किस तरह उपयोगी देख पाते हो?
2. आप स्वयं को समाज के लिए किस प्रकार उपयोगी या योग्य बनाना चाहते हो?
3. स्वयं को समाज के लिए उपयोगी बनाने के लिए आप क्या प्रयास कर रहे हो?
4. "मेरी उपयोगिता ही मेरी पहचान है।" सहमत या असहमत? चर्चा करें।

Check out: कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

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