7. रुक जाना नहीं

कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों को हर परिस्थिति में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना।
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक

Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

कहानी:
प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफ़न हॉकिंग इक्कीस वर्ष की आयु में एक बेहद ख़तरनाक बीमारी से ग्रसित हो गए थे। इस बीमारी में शरीर के सारे अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं। इसमें रोगी की श्वास नली बंद हो जाने से कभी भी मौत हो जाने का ख़तरा बना रहता है।
इस बीमारी से वे डरे नहीं बल्कि उन्होंने बीमारी को चुनौती देते हुए व्हीलचेयर पर कैंब्रिज विश्वविद्यालय जाना प्रारंभ कर दिया। डॉक्टर ने दबी ज़बान से बोल दिया था कि स्टीफ़न बस चंद दिनों के मेहमान हैं। कुछ डॉक्टरों ने तो स्पष्ट रूप से बोल दिया था कि वे दो वर्ष से ज़्यादा जीवित नहीं रह पाएँगे। इस बात पर स्स्टीफ़न हॉकिंग ने कहा, "मैं दो नहीं, बीस नहीं बल्कि पूरे पचास सालों तक जिऊँगा। मुझे जीना है और अपने लक्ष्य तक पहुँचना है।"
आज पूरी दुनिया जानती है कि उन्होंने अपनी इस बात को सही साबित कर दिखाया। उनका निधन 76 वर्ष की आयु में हुआ। उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति से न केवल असाध्य बीमारी को पराजित किया बल्कि अपनी वैज्ञानिक प्रतिभा का भी लोहा मनवाया।
आज अगर किसी व्यक्ति के शरीर का एक अंग खराब हो जाए तो वह निराश हो जाता है। कोई काम सफल न हो तो वह निराश होने लगता है। लेकिन स्टीफ़न हॉकिंग ने दिखाया कि इच्छा शक्ति के दम पर इंसान क्या नहीं कर सकता है। बीमारी के कारण उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना पूरी तरह बंद कर दिया था। उनके हाथ, पैर, जीभ सब ख़राब हो चुके थे, लेकिन इसके बावज़ूद उन्होंने अपने दिमाग के दम पर दुनिया की कई महत्त्वपूर्ण खोज की। विज्ञान में उनकी कई खोज ऐसी हैं जिनके दम पर आज भी हम ब्रह्मांड के कई रहस्यों को समझ रहे हैं।

चर्चा की दिशा:
कई बार यह देखने में आता है कि कुछ लोग शारीरिक ताकत कम होने के बावज़ूद अपने मनोबल से बड़ी उपलब्धियाँ भी हासिल कर लेते हैं। जैसे- हेलेन केलर, स्टीफ़न हॉकिंग और सुधा चंद्रन आदि। वहीं कुछ लोग शारीरिक ताकत अधिक होने पर भी प्रतिकूल परिस्थितियों में बहुत अधिक चिंतित हो जाते हैं। ऐसे लोग अपनी मानसिक क्षमताओं से अवगत नहीं होते हैं।
इस कहानी और प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों का ध्यान मन की ताकत की ओर दिलाने का प्रयास किया गया है ताकि उन्हें यह स्पष्ट हो जाए कि शारीरिक बल और मनोबल दो अलग-अलग वास्तविकताएँ हैं। इससे प्रत्येक विद्यार्थी में यह भरोसा जगेगा कि वे अपने मन की ताकत से जीवन में सफलताएँ हासिल कर सकते हैं फिर चाहे शारीरिक ताकत कम ही क्यों न हो।

पहला दिन:

चर्चा के लिए प्रश्न:
1 अपने जीवन से कोई उदाहरण देकर बताइए जब किसी ने आपको कहा हो कि यह काम आप नहीं कर सकते हो और आपने वह काम करके दिखाया हो?
2. आपने अपने आसपास ऐसे लोग देखे होंगे जो शारीरिक रूप से सक्षम न होने के बावज़ूद भी अच्छे से कार्य कर पाने में सक्षम होते हैं? इसका क्या कारण हो सकता है?
3. ज़िंदगी में बड़ी उपलब्धियाँ शरीर की ताकत के कारण हासिल होती हैं या मन की ताकत के कारण? चर्चा करें।

घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए):
  • घर जाकर इस कहानी को अपने परिवार में सुनाएँ और इस पर परिवार के सदस्यों के विचार व अनुभव जानें। 
  • अपने आसपास यह जानने का प्रयास करें कि क्या कभी किसी ने शारीरिक रूप से सक्षम न होते हुए भी कोई बड़ा काम किया है।
Check out: कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
दूसरा दिन:

Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
  • कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, कहानी का रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं। 
  • कहानी पर घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ। 
  • पहले दिन के चर्चा के लिए प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुन: किया जा सकता है जो रह गए थे या अनुपस्थित थे।
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1. अपने जीवन से कोई उदाहरण देकर बताइए जब आपके मार्ग में बाधाएँ आई हों और आपने फिर भी हार नहीं मानी और आप उस कार्य को करने में सफल हुए।
2. आपके जीवन में रुकावट आने पर आपको प्रोत्साहन कौन देता है l उनके प्रोत्साहन देने से आप पर क्या असर पड़ता है?
3. क्या हम स्वयं भी अपना मनोबल बढ़ा सकते हैं? कैसे?
4. ‘मन के हारे हार है, मन के जीते जीत’ कैसे? चर्चा करें।

Check out: कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

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