कहानी का उद्देश्य: स्वयं को समाधान के साथ प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित करना।
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक
Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
एक नगर में एक मशहूर चित्रकार रहता था। चित्रकार ने एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनाई और उसे नगर के चौराहे पर लगा दिया। वह उस तस्वीर को बहुत ही नायाब बनाना चाहता था, इसलिए उसके नीचे लिख दिया कि जिस किसी को इस तस्वीर में जहाँ कहीं भी कोई कमी नज़र आए तो निशान लगा दें। जब उसने शाम को तस्वीर देखी तो पूरी तस्वीर निशानों से ख़राब हो चुकी थी। यह देखकर वह बहुत दु:खी हुआ। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे।
वह दुःखी बैठा हुआ था तभी उसका एक मित्र वहाँ से गुज़रा। उसने उसके दुःखी होने का कारण पूछा तो उसने उसे पूरी घटना बताई। उसके मित्र ने कहा, "एक काम करो, कल दूसरी तस्वीर बनाना और उसमें लिखना कि जिस किसी को इस तस्वीर में जहाँ कहीं भी कोई कमी नज़र आए उसे ठीक कर दे।" उसने अगले दिन यही किया। शाम को जब उसने तस्वीर देखी तो बहुत आश्चर्य हुआ। उसने पाया कि तस्वीर पर किसी ने कुछ नहीं किया था।
चर्चा की दिशा:
अकसर देखने में आता है कि अधिकतर लोग दूसरों के कामों में कमियाँ निकालते रहते हैं। केवल कमियाँ सुनना शायद ही किसी को स्वीकार होता है।
यदि हम पहले किसी के काम की ख़ूबियों और व्यक्ति के प्रयासों की सराहना करें और उसके बाद कमियों को समाधान के साथ बताएँ तो यह अवश्य ही स्वागत योग्य होता है।
इस कहानी और प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को समाधान के साथ प्रस्तुत होने के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया गया है।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न:
1. जब कोई आपके काम में केवल गलतियाँ ही निकालता है तो उस समय आपको कैसा लगता और क्यों? कोई उदाहरण देकर बताइए।
2. एक उदाहरण देकर बताओ जब कभी आपने किसी की कमी की ओर ध्यान दिलाने के साथ-साथ उसे दूर करने का उपाय भी बताया हो?
3. दूसरों से हम क्या अपेक्षा रखते हैं- कोई हमें सिर्फ़ कमियाँ बताएँ या उसे ठीक करने का तरीका भी बताएँ? ऐसी अपेक्षा हम क्यों रखते हैं?
4. ऐसी ही स्थिति में क्या हम दूसरों की अपेक्षा का ध्यान रखते हैं? यदि हाँ तो कैसे? नहीं तो क्यों नहीं?
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए):
दूसरा दिन:
Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
1. किसी के काम की कमियों की ओर ध्यान दिलाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखें जिससे कि वह दूसरे को स्वीकार हो जाए?
(संकेत- प्रयास की सराहना, ख़ूबियों की सराहना, बेहतर बनाने के लिए सुझाव देना, दूसरे विकल्प का प्रस्ताव देना, और अधिक सोचने के लिए प्रेरित करना, मन में सहयोग की भावना रखना आदि।)
2. किसी व्यक्ति के व्यवहार की कमियाँ या गलतियाँ बताते समय निम्नलिखित स्थितियों का क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों?
Check out: कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक
Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
एक नगर में एक मशहूर चित्रकार रहता था। चित्रकार ने एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनाई और उसे नगर के चौराहे पर लगा दिया। वह उस तस्वीर को बहुत ही नायाब बनाना चाहता था, इसलिए उसके नीचे लिख दिया कि जिस किसी को इस तस्वीर में जहाँ कहीं भी कोई कमी नज़र आए तो निशान लगा दें। जब उसने शाम को तस्वीर देखी तो पूरी तस्वीर निशानों से ख़राब हो चुकी थी। यह देखकर वह बहुत दु:खी हुआ। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे।
वह दुःखी बैठा हुआ था तभी उसका एक मित्र वहाँ से गुज़रा। उसने उसके दुःखी होने का कारण पूछा तो उसने उसे पूरी घटना बताई। उसके मित्र ने कहा, "एक काम करो, कल दूसरी तस्वीर बनाना और उसमें लिखना कि जिस किसी को इस तस्वीर में जहाँ कहीं भी कोई कमी नज़र आए उसे ठीक कर दे।" उसने अगले दिन यही किया। शाम को जब उसने तस्वीर देखी तो बहुत आश्चर्य हुआ। उसने पाया कि तस्वीर पर किसी ने कुछ नहीं किया था।
चर्चा की दिशा:
अकसर देखने में आता है कि अधिकतर लोग दूसरों के कामों में कमियाँ निकालते रहते हैं। केवल कमियाँ सुनना शायद ही किसी को स्वीकार होता है।
यदि हम पहले किसी के काम की ख़ूबियों और व्यक्ति के प्रयासों की सराहना करें और उसके बाद कमियों को समाधान के साथ बताएँ तो यह अवश्य ही स्वागत योग्य होता है।
इस कहानी और प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को समाधान के साथ प्रस्तुत होने के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया गया है।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न:
1. जब कोई आपके काम में केवल गलतियाँ ही निकालता है तो उस समय आपको कैसा लगता और क्यों? कोई उदाहरण देकर बताइए।
2. एक उदाहरण देकर बताओ जब कभी आपने किसी की कमी की ओर ध्यान दिलाने के साथ-साथ उसे दूर करने का उपाय भी बताया हो?
3. दूसरों से हम क्या अपेक्षा रखते हैं- कोई हमें सिर्फ़ कमियाँ बताएँ या उसे ठीक करने का तरीका भी बताएँ? ऐसी अपेक्षा हम क्यों रखते हैं?
4. ऐसी ही स्थिति में क्या हम दूसरों की अपेक्षा का ध्यान रखते हैं? यदि हाँ तो कैसे? नहीं तो क्यों नहीं?
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए):
- घर जाकर इस कहानी को अपने परिवार में सुनाएँ और इस पर परिवार के सदस्यों के विचार व अनुभव जानें।
- अपने परिवार में चर्चा करें कि किसी व्यक्ति को उसकी कमियों की ओर कैसे ध्यान दिलाएँ कि उसे बुरा न लगे।
दूसरा दिन:
Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
- कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, कहानी का रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं।
- कहानी पर घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
- पहले दिन के चर्चा के लिए प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुन: किया जा सकता है जो रह गए थे या अनुपस्थित थे।
1. किसी के काम की कमियों की ओर ध्यान दिलाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखें जिससे कि वह दूसरे को स्वीकार हो जाए?
(संकेत- प्रयास की सराहना, ख़ूबियों की सराहना, बेहतर बनाने के लिए सुझाव देना, दूसरे विकल्प का प्रस्ताव देना, और अधिक सोचने के लिए प्रेरित करना, मन में सहयोग की भावना रखना आदि।)
2. किसी व्यक्ति के व्यवहार की कमियाँ या गलतियाँ बताते समय निम्नलिखित स्थितियों का क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों?
- उसका मूड: अच्छा या ख़राब होने पर
- उद्देश्य: उसकी बेहतरी या अपमान
- तरीका: स्नेहपूर्वक या गुस्से से
- स्थान: सबके सामने या अकेले में
- बताने वाले से संबंध: उसका मित्र या कोई अन्य व्यक्ति
- बताने वाले का आचरण: जो स्वयं गलती नहीं करता या जो स्वयं बहुत गलती करता है
Check out: कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
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बहुत खूब��
ReplyDeleteKayal ho gaya main to aap ka
ReplyDeleteThat story impact learn to help to other to grow their negative fact
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