कहानी का उद्देश्य: गलत आदतों को न अपनाने या गहरी होने से पहले ही छोड़ने के लिए प्रेरित करना।
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक
Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
चीनू की मोबाइल पर गेम खेलने की आदत से पूरा परिवार परेशान था। उसे कई बार समझाया गया, लेकिन उसकी यह आदत दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी।
गर्मियों की छुट्टियों में चीनू का परिवार उसके ननिहाल आया हुआ था। चीनू के नाना जी को जब उसकी आदत के बारे में पता चला तो उन्होंने उसे समझाने का एक रोचक तरीका अपनाया। अगले दिन सुबह नाना जी चीनू को घुमाने के लिए खेतों में ले गए। नाना जी अचानक टमाटर के पौधों की क्यारी के पास रुके और चीनू से कहा, “देखो बेटा, टमाटर के पौधों के साथ कुछ और पौधे भी उग आए हैं। ये हमारे लिए आवश्यक नहीं हैं। ये टमाटर के पौधों को भी अच्छे से बढ़ने में रुकावट डालते हैं। क्या तुम इन्हें उखाड़ने में मदद कर सकते हो?”
चीनू तो मानो इसी काम का इंतज़ार कर रहा था, इसलिए तुरंत कहा, “क्यों नहीं नाना जी? मुझे बताओ कौनसा पौधा उखाड़ना है?" नाना जी ने एक छोटे-से पौधे की ओर इशारा किया। चीनू ने उसे आसानी से उखाड़ दिया। अब नाना जी ने एक दूसरे पौधे की ओर इशारा किया जो पहले वाले से बड़ा था। चीनू ने उस पौधै के तने को पकड़ा और पूरी ताकत से खींचने लगा, लेकिन वह पौधा नहीं उखड़ा। जब बहुत प्रयास करने के बाद भी वह नहीं उखड़ा तो चीनू बोला, "नाना जी, यह तो बहुत मज़बूत है। लगता है इसकी जड़ें काफी गहराई तक हैं।"
नाना जी ने उसे प्यार से समझाते हुए कहा, "बेटा, तुम सही कह रहे हो। ऐसा ही हमारी गलत आदतों के साथ भी होता है। वे जैसे-जैसे पुरानी और गहरी होती जाती हैं, उन्हें छोड़ना मुश्किल हो जाता है।”
यह सुनकर चीनू मन ही मन अपनी आदत को लेकर सोचने लगा।
चर्चा की दिशा:
जब तक व्यक्ति विचारपूर्वक जीना शुरु नहीं करता है तब तक वह मान्यताओं और आदतों (beliefs and habiits) का परिणाम होता है। विचारवान व्यक्ति हर बात को अपने में जाँचता है। वह तार्किक व सहज स्वीकार होने वाली बातों को ही अपनाता है। वह किसी लक्ष्य के साथ होता है। उसकी सोच और आदतें लक्ष्य के अनुरूप होती हैं।
जो लोग बिना किसी लक्ष्य के होते हैं वे सुनी-सुनाई बातों को मानकर चलते हैं और लक्ष्य विहीन आदतों में जकड़े रहते हैं। यह ठीक वैसे ही होता है जैसे हम खेत में अपने लिए आवश्यक पौधे नहीं उगाएँगे तो भी कई तरह के पौधे उग ही जाते हैं जो अधिकतर हमारे लिए आवश्यक नहीं होते हैं।
इस कहानी और प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अपनी सोचने की ताकत को सही दिशा में काम में लेने के लिए प्रेरित किया गया है ताकि वे अपनी उन्नति में बाधक किसी आदत के शिकार न हों।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न:
1. आप अपनी कौन-कौनसी आदतों को छोड़ना चाहेंगे? सूची बनाओ और कक्षा में स्वेच्छा से साझा करो।
2. हम किस आधार पर तय करें कि हमारी कौन-कौनसी आदतें हमारे लिए ठीक हैं और कौन-कौनसी आदतें ठीक नहीं हैं? चर्चा करें।
3. क्या आप कभी अपनी किसी ऐसी आदत को छोड़ पाए जो आपको ही पसंद नहीं थी? कैसे? कक्षा में साझा करें।
4. जो आदतें हमें ही पसंद नहीं हैं वे हमारे व्यवहार में कैसे आ जाती हैं?
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए):
दूसरा दिन:
Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
1. किसी पुरानी आदत को छोड़ना मुश्किल क्यों हो जाता है?
2. कुछ लोग उन आदतों को क्यों अपना लेते हैं जो उनके लिए ठीक नहीं होती हैं?
3. जो लोग किसी गलत आदत के शिकार हो जाते हैं इससे उनको और दूसरे लोगों को किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है?
4. लोगों को पता होता है कि कुछ आदतें उनके लिए ठीक नहीं हैं फिर भी वे उन्हें छोड़ते क्यों नहीं हैं? कक्षा में चर्चा करें।
Check out: कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक
Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
चीनू की मोबाइल पर गेम खेलने की आदत से पूरा परिवार परेशान था। उसे कई बार समझाया गया, लेकिन उसकी यह आदत दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी।
गर्मियों की छुट्टियों में चीनू का परिवार उसके ननिहाल आया हुआ था। चीनू के नाना जी को जब उसकी आदत के बारे में पता चला तो उन्होंने उसे समझाने का एक रोचक तरीका अपनाया। अगले दिन सुबह नाना जी चीनू को घुमाने के लिए खेतों में ले गए। नाना जी अचानक टमाटर के पौधों की क्यारी के पास रुके और चीनू से कहा, “देखो बेटा, टमाटर के पौधों के साथ कुछ और पौधे भी उग आए हैं। ये हमारे लिए आवश्यक नहीं हैं। ये टमाटर के पौधों को भी अच्छे से बढ़ने में रुकावट डालते हैं। क्या तुम इन्हें उखाड़ने में मदद कर सकते हो?”
चीनू तो मानो इसी काम का इंतज़ार कर रहा था, इसलिए तुरंत कहा, “क्यों नहीं नाना जी? मुझे बताओ कौनसा पौधा उखाड़ना है?" नाना जी ने एक छोटे-से पौधे की ओर इशारा किया। चीनू ने उसे आसानी से उखाड़ दिया। अब नाना जी ने एक दूसरे पौधे की ओर इशारा किया जो पहले वाले से बड़ा था। चीनू ने उस पौधै के तने को पकड़ा और पूरी ताकत से खींचने लगा, लेकिन वह पौधा नहीं उखड़ा। जब बहुत प्रयास करने के बाद भी वह नहीं उखड़ा तो चीनू बोला, "नाना जी, यह तो बहुत मज़बूत है। लगता है इसकी जड़ें काफी गहराई तक हैं।"
नाना जी ने उसे प्यार से समझाते हुए कहा, "बेटा, तुम सही कह रहे हो। ऐसा ही हमारी गलत आदतों के साथ भी होता है। वे जैसे-जैसे पुरानी और गहरी होती जाती हैं, उन्हें छोड़ना मुश्किल हो जाता है।”
यह सुनकर चीनू मन ही मन अपनी आदत को लेकर सोचने लगा।
चर्चा की दिशा:
जब तक व्यक्ति विचारपूर्वक जीना शुरु नहीं करता है तब तक वह मान्यताओं और आदतों (beliefs and habiits) का परिणाम होता है। विचारवान व्यक्ति हर बात को अपने में जाँचता है। वह तार्किक व सहज स्वीकार होने वाली बातों को ही अपनाता है। वह किसी लक्ष्य के साथ होता है। उसकी सोच और आदतें लक्ष्य के अनुरूप होती हैं।
जो लोग बिना किसी लक्ष्य के होते हैं वे सुनी-सुनाई बातों को मानकर चलते हैं और लक्ष्य विहीन आदतों में जकड़े रहते हैं। यह ठीक वैसे ही होता है जैसे हम खेत में अपने लिए आवश्यक पौधे नहीं उगाएँगे तो भी कई तरह के पौधे उग ही जाते हैं जो अधिकतर हमारे लिए आवश्यक नहीं होते हैं।
इस कहानी और प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अपनी सोचने की ताकत को सही दिशा में काम में लेने के लिए प्रेरित किया गया है ताकि वे अपनी उन्नति में बाधक किसी आदत के शिकार न हों।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न:
1. आप अपनी कौन-कौनसी आदतों को छोड़ना चाहेंगे? सूची बनाओ और कक्षा में स्वेच्छा से साझा करो।
2. हम किस आधार पर तय करें कि हमारी कौन-कौनसी आदतें हमारे लिए ठीक हैं और कौन-कौनसी आदतें ठीक नहीं हैं? चर्चा करें।
3. क्या आप कभी अपनी किसी ऐसी आदत को छोड़ पाए जो आपको ही पसंद नहीं थी? कैसे? कक्षा में साझा करें।
4. जो आदतें हमें ही पसंद नहीं हैं वे हमारे व्यवहार में कैसे आ जाती हैं?
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए):
- घर जाकर इस कहानी को अपने परिवार में सुनाएँ और इस पर परिवार के सदस्यों के विचार व अनुभव जानें।
- अपने मित्र की उस आदत के बारे में चर्चा करें जिसे वह छोड़ना चाहता है। यह भी पता करें कि उसके व्यवहार में यह आदत कैसे आई थी?
दूसरा दिन:
Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
- कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, कहानी का रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं।
- कहानी पर घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
- पहले दिन के चर्चा के लिए प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुन: किया जा सकता है जो रह गए थे या अनुपस्थित थे।
1. किसी पुरानी आदत को छोड़ना मुश्किल क्यों हो जाता है?
2. कुछ लोग उन आदतों को क्यों अपना लेते हैं जो उनके लिए ठीक नहीं होती हैं?
3. जो लोग किसी गलत आदत के शिकार हो जाते हैं इससे उनको और दूसरे लोगों को किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है?
4. लोगों को पता होता है कि कुछ आदतें उनके लिए ठीक नहीं हैं फिर भी वे उन्हें छोड़ते क्यों नहीं हैं? कक्षा में चर्चा करें।
Check out: कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
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