20. कहानी एक बीज की

कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों को जीवन में ईमानदारी और धैर्य के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना।
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक

Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

कहानी:
किसी नगर में एक व्यवसायी रहता था। उसने ईमानदारी और धैर्य के बल पर अपने छोटे से व्यवसाय को इतना बढ़ा लिया था कि वह कई लोगों को रोज़गार देने लगा। जब वह बहुत वृद्ध हो गया तो उसे यह चिंता होने लगी कि मेरे बाद इस काम को कौन संभालेगा, क्योंकि उसकी कोई संतान नहीं थी। उसने सोचा कि जो लोग उसके काम में लंबे समय से सहयोग कर रहे हैं उन्हीं में से किसी एक को उत्तराधिकारी बनाया जाए। अपने जीवन के आदर्शों के अनुसार उसने सबसे योग्य व्यक्ति चुनने के लिए एक योजना बनाई।
उस वृद्ध व्यवसायी ने सबको बुलाया और कहा कि मैं आप सभी को कोई ख़ास बीज दे रहा हूँ। आपको इसे गमले में लगाकर पौधा उगाना है और उस पौधे की अच्छे से देखभाल करनी है। जिस व्यक्ति का पौधा सबसे अधिक स्वस्थ और विकसित होगा मैं उसे इस व्यवसाय का उत्तराधिकारी बनाना चाहूँगा। उसने कहा कि मैं छह महीने बाद सभी के पौधों को देखूँगा।
सभी लोग उन बीजों को घर ले गए और बड़े उत्साह के साथ गमले में लगा दिए। सभी लोगों ने इसके बारे में अपने घर पर भी बताया ताकि सभी मिलकर उस पौधे की देखभाल कर सकें। कुछ दिनों बाद ही सभी ने अपने-अपने पौधे के बारे में बातें करना भी शुरू कर दिया।
उस व्यवसायी के सहयोगियों में जिम नाम का व्यक्ति भी था। उसको दिया गया बीज तो अभी अंकुरित भी नहीं हुआ था। उसने सोचा कि कुछ बीज देरी से भी अंकुरित होते हैं, इसलिए वह खाद-पानी देने का प्रयास करता रहा।
छह महीने बाद व्यवसायी ने सभी को अपने पौधे दिखाने के लिए कहा। सभी अपने-अपने गमले लेकर आए जिनमें बड़े-बड़े पौधे थे। जिम के गमले में तो बीज अभी अंकुरित भी नहीं हुआ था, लेकिन उसे ख़ुद पर भरोसा था कि मैंनें अपने काम में कोई कसर नहीं छोड़ी है, इसलिए मुझे इस बात का कोई अफ़सोस नहीं है कि परिणाम क्या आया है। जिम भी अपने गमले को लेकर आया था ताकि कोई यह न सोचें कि उसने कोई प्रयास ही नहीं किया। दूसरे सभी सहयोगी जिम के खाली गमले को देखकर हँस रहे थे। जब व्यवसायी ने जिम से इसका कारण पूछा तो उसने सारी बातें सच-सच बता दी।
वह वृद्ध व्यवसायी गंभीर होकर बोला, "मैं जिम को अपना उत्तराधिकारी घोषित करता हूँ और मैं चाहता हूँ कि तुम सभी जिम के मार्गदर्शन में इस काम को और आगे बढ़ाओ और ख़ुद को भी आगे बढ़ाओ।" जब सभी इस घोषणा को सुनकर एक-दूसरे की ओर आश्चर्य से देखने लगे तो व्यवसायी ने कहा कि मैंने आप सभी को उबले हुए बीज दिए थे जो अंकुरित ही नहीं हो सकते हैं। जिम ने किसी लालच के लिए अपने ईमान को नहीं खोया और छह महीने तक अपना धैर्य भी नहीं खोया, इसलिए मैं इस ज़िम्मेदारी के लिए उसे ही सबसे अधिक योग्य समझता हूँ।
अब सभी को इस बात का पता चल गया था कि जिम को छोड़कर सभी ने बीज अंकुरित न होने पर दूसरा बीज लगा दिया था, इसलिए वे बहुत शर्मिंदा हुए और क्षमा माँगते हुए जिम के मार्गदर्शन में उस काम को और स्वयं को आगे बढ़ाने के लिए सहर्ष तैयार हो गए।

चर्चा की दिशा:
बहुत से लोग अपनी बाहरी उन्नति (भौतिक उन्नति) तो बहुत कर लेते हैं, लेकिन अपनी आंतरिक उन्नति (भावात्मक उन्नति) की ओर ध्यान भी नहीं देते पाते हैं। जिन लोगों की आंतरिक उन्नति अच्छी होती है वे अपने उच्च मनोबल और आत्मबल से न केवल स्वयं ख़ुशीपूर्वक जीते हैं बल्कि दूसरों की ख़ुशी के लिए भी मददगार होते हैं। ऐसे लोग अपने ज़मीर के साथ कभी समझौता नहीं करते हैं फिर चाहे कोई देख रहा हो या न देख रहा हो। ऐसे लोग ईमानदारी से और धैर्यपूर्वक आगे बढ़ते रहते हैं। इसके विपरीत कुछ लोग किसी लालच की वजह से अपना ईमान (सत्यनिष्ठा) खो देते हैं। उन्हें यह नहीं पता कि जिन भौतिक वस्तुओं में वे जिस ख़ुशी को तलाश रहे हैं, वह तो ईमानदारी और ज़िम्मेदारी पूर्वक जीने पर ही महसूस हो पाती है। इस कहानी और प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को ईमानदारी और धैर्यपूर्वक आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया गया है।

पहला दिन:

चर्चा के लिए प्रश्न:
1. आपमें से किसे यह महसूस होता है कि चाहे कोई भी नहीं देख रहा हो फिर भी आप कोई बेईमानी नहीं कर सकते हैं? क्या आपके साथ कभी ऐसी स्थिति आई है जिससे कि आप इसे अपने में देख पाए हों? साझा करें।
2. क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि बार-बार ईमानदारी से प्रयास करने पर भी आपका कोई काम नहीं हुआ? ऐसी स्थिति में आपने क्या किया था?
3. यदि आपके दोस्त कोई ऐसी चीज़ खाने या पीने के लिए आप पर दबाव डालते हैं जो आपकी नज़र में सही नहीं है तो आप क्या करेंगे? और क्यों?
4. यदि कभी ऐसी स्थिति आ जाए कि एक तरफ़ आपके दोस्त और दूसरी तरफ़ आपकी अंदर की आवाज़ तो आप किसे चुनेंगे और क्यों?

घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए):
  • घर जाकर इस कहानी को अपने परिवार में सुनाएँ और इस पर परिवार के सदस्यों के विचार व अनुभव जानें।
  • आपके परिवार में जो व्यक्ति विपरीत परिस्थिति में भी धैर्य बनाए रखता है उससे चर्चा करें कि वह अपना धैर्य कैसे बनाए रखता है।
Check out: कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

दूसरा दिन:

Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
  • कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, कहानी का रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं।
  • कहानी पर घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
  • पहले दिन के चर्चा के लिए प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुन: किया जा सकता है जो रह गए थे या अनुपस्थित थे।
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1. सच्चाई को स्वीकार कर पाना साहस का काम है। विशेष रूप से तब, जब परिणाम प्रतिकूल हो। याद कीजिए कि ऐसा साहस आप कब-कब कर सके? कक्षा में अपने अनुभव साझा करें।
2. हमारी असफलताओं के दौरान भी कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हमेशा हमारे साथ होते हैं, हमारा संबल बनते हैं, सही सलाह देते हैं। आपके अपने जीवन में ऐसे कौन-कौनसे लोग है? ऐसे लोगों की पहचान कर उनकी एक सूची तैयार कीजिए और कक्षा में साझा कीजिए।
3. कई बार असफल होने के बावज़ूद भी ईमानदारी से अपने कर्तव्य का पालन करने के कारण लोगों को सम्मान प्राप्त करते हुए देखा गया है। क्या आपके जीवन में भी कभी कोई ऐसी स्थिति आयी है या आपने अपने आस-पड़ोस में ऐसी घटनाओं को घटित होते देखा है? कक्षा में साझा करें।
4. ईमानदारी, धैर्य और विनम्रता आंतरिक उन्नति की पहचान है। आप अपने में इन गुणों के विकास के लिए क्या-क्या प्रयास कर सकते हैं? कक्षा में चर्चा करें।

Check out: कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

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