कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों को अहंकार के प्रति सजग रहने के लिए प्रेरित करना।
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक
Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
एथेंस का सबसे अमीर आदमी एक दिन सुकरात से मिलने गया। सबसे अमीर आदमी होने के कारण वह खुद को सबसे बड़ा आदमी मानने लगा था। अकड़ तो जैसे उसके स्वभाव का हिस्सा बन गयी थी। उसके बारे में सुकरात को पता था, इसलिए जब वह सुकरात से मिला तो उसने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया। थोड़ी देर बाद उस आदमी ने सुकरात से कहा, “जानते हो, मैं कौन हूँ?”
सुकरात ने कहा, “बैठो, समझने की कोशिश करते हैं कि तुम कौन हो।” सुकरात ने पूरी दुनिया का नक्शा सामने रखा और उस आदमी से पूछा, “इस नक्शे में एथेंस कहा है?” दुनिया के नक़्शे पर तो एथेंस एक बिंदु जैसा था। बहुत खोज बीन के बाद आदमी ने एथेंस के बिंदु पर उँगली रखी और कहा, "यह एथेंस हैं।" सुकरात ने उससे पूछा “इस एथेंस में तुम्हारा महल कहाँ है?”
एथेंस तो बिंदु था, उसमें महल कहाँ बताएँ। सुकरात ने कहा कि यह भी बताओ कि इस महल में तुम कहाँ हो? यह सुनकर वह आदमी सोच में पड़ गया और उसका अहंकार चूर चूर हो गया।
जब वह आदमी वहाँ से जाने लगा तो सुकरात ने वह नक्शा उसे दे दिया और कहा, “जब भी अकड़ तुम्हें पकड़ने का प्रयास करे तो यह नक्शा खोल कर देख लेना- दुनिया में कहाँ एथेंस है? कहाँ मेरा महल है? और कहाँ मैं हूँ?"
चर्चा की दिशा:
इस कहानी और प्रश्नों के माध्यम से हम विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर दिलाना चाहते हैं कि इस पूरी दुनिया में मनुष्य एक छोटी-सी इकाई है। किसी भौतिक उपलब्धि पर अपने आपको बहुत बड़ा मान लेने से हमारे मन में अहंकार आ जाता है जिस वजह से हमारे संबंधों में भी दूरियाँ पैदा हो जाती हैं जो हमारे दुःख का कारण बनती हैं। जिस दिन हम सजग हो जाएँगे और चारों ओर देखेंगे कि दुनिया में बहुत-सी इकाइयों के साथ-साथ हम भी एक इकाई हैं और हर इकाई अपनी उपयोगिता से पहचानी जाती है तो हम दूसरों से अधिक धन-संपत्ति और साधन-सुविधाएँ इकट्ठे करके स्वयं को बड़ा नहीं मानेंगे बल्कि समाज में अपनी उपयोगिता से अपनी पहचान बनाएँगे।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न:
1. क्या आपको भी किसी बात को लेकर कभी अहंकार/घमंड हुआ है? अपने अनुभव साझा करें।
2. यह कैसे पता चलता है कि कोई व्यक्ति अहंकारी है? उदाहरण देकर बताएँ।
3. अहंकार होने से संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए):
दूसरा दिन:
Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
1. आप बड़ा व्यक्ति किसे मानते हैं और क्यों? 2. क्या आपने कभी सोचा है कि इस दुनिया में आपका स्थान क्या है? आगे चलकर आप दुनिया में क्या योगदान देना चाहेंगे? 3. जीवन में अहंकार न हो इसके लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं?
Check out: कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक
Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
एथेंस का सबसे अमीर आदमी एक दिन सुकरात से मिलने गया। सबसे अमीर आदमी होने के कारण वह खुद को सबसे बड़ा आदमी मानने लगा था। अकड़ तो जैसे उसके स्वभाव का हिस्सा बन गयी थी। उसके बारे में सुकरात को पता था, इसलिए जब वह सुकरात से मिला तो उसने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया। थोड़ी देर बाद उस आदमी ने सुकरात से कहा, “जानते हो, मैं कौन हूँ?”
सुकरात ने कहा, “बैठो, समझने की कोशिश करते हैं कि तुम कौन हो।” सुकरात ने पूरी दुनिया का नक्शा सामने रखा और उस आदमी से पूछा, “इस नक्शे में एथेंस कहा है?” दुनिया के नक़्शे पर तो एथेंस एक बिंदु जैसा था। बहुत खोज बीन के बाद आदमी ने एथेंस के बिंदु पर उँगली रखी और कहा, "यह एथेंस हैं।" सुकरात ने उससे पूछा “इस एथेंस में तुम्हारा महल कहाँ है?”
एथेंस तो बिंदु था, उसमें महल कहाँ बताएँ। सुकरात ने कहा कि यह भी बताओ कि इस महल में तुम कहाँ हो? यह सुनकर वह आदमी सोच में पड़ गया और उसका अहंकार चूर चूर हो गया।
जब वह आदमी वहाँ से जाने लगा तो सुकरात ने वह नक्शा उसे दे दिया और कहा, “जब भी अकड़ तुम्हें पकड़ने का प्रयास करे तो यह नक्शा खोल कर देख लेना- दुनिया में कहाँ एथेंस है? कहाँ मेरा महल है? और कहाँ मैं हूँ?"
चर्चा की दिशा:
इस कहानी और प्रश्नों के माध्यम से हम विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर दिलाना चाहते हैं कि इस पूरी दुनिया में मनुष्य एक छोटी-सी इकाई है। किसी भौतिक उपलब्धि पर अपने आपको बहुत बड़ा मान लेने से हमारे मन में अहंकार आ जाता है जिस वजह से हमारे संबंधों में भी दूरियाँ पैदा हो जाती हैं जो हमारे दुःख का कारण बनती हैं। जिस दिन हम सजग हो जाएँगे और चारों ओर देखेंगे कि दुनिया में बहुत-सी इकाइयों के साथ-साथ हम भी एक इकाई हैं और हर इकाई अपनी उपयोगिता से पहचानी जाती है तो हम दूसरों से अधिक धन-संपत्ति और साधन-सुविधाएँ इकट्ठे करके स्वयं को बड़ा नहीं मानेंगे बल्कि समाज में अपनी उपयोगिता से अपनी पहचान बनाएँगे।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न:
1. क्या आपको भी किसी बात को लेकर कभी अहंकार/घमंड हुआ है? अपने अनुभव साझा करें।
2. यह कैसे पता चलता है कि कोई व्यक्ति अहंकारी है? उदाहरण देकर बताएँ।
3. अहंकार होने से संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए):
- घर जाकर इस कहानी को अपने परिवार में सुनाएँ और इस पर परिवार के सदस्यों के विचार व अनुभव जानें।
- परिवार में इस बात पर भी चर्चा करें कि अहंकार करने से दूसरे लोगों के साथ हमारे संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ता है।
दूसरा दिन:
Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
- कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, कहानी का रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं।
- कहानी पर घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
- पहले दिन के चर्चा के लिए प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुन: किया जा सकता है जो रह गए थे या अनुपस्थित थे।
1. आप बड़ा व्यक्ति किसे मानते हैं और क्यों? 2. क्या आपने कभी सोचा है कि इस दुनिया में आपका स्थान क्या है? आगे चलकर आप दुनिया में क्या योगदान देना चाहेंगे? 3. जीवन में अहंकार न हो इसके लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं?
Check out: कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
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Nice
ReplyDeleteBahut sundar ...!!
ReplyDeleteReally this is great story
ReplyDeleteIt's real Education
ReplyDeleteIt's real Education
ReplyDeleteबहुत सुंदर। काश दूसरे राज्य भी इस विधि फॉलो करते।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और प्रेरक कहानी।
ReplyDeleteI worked on this story with my two children. Hopefully they learn to be humble.
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