5. ज़्यादा मीठा

कहानी का उद्देश्य: केवल शब्दों की बजाय अपने आचरण से दूसरों को प्रेरित करना।
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक

Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

कहानी:
एक दिन किसी महात्मा के पास एक महिला अपने पोते को लेकर आई और बोली, “महात्मा जी, मेरा पोता बहुत ज़्यादा मीठा खाता है। मीठा खाना इसकी आदत बन गई है। यह हमारी बात नहीं मानता है। यदि आप इसे समझा दें तो यह ज़्यादा मीठा खाना बंद कर देगा।" उस समय महात्मा जी ने बच्चे से कुछ नहीं कहा और उस महिला से एक सप्ताह बाद बच्चे को लेकर फिर आने को कहा।
एक सप्ताह बीतने के बाद जब वह महिला महात्मा जी के पास आई तो उन्होंने उसे फिर से एक महीने के बाद आने को कहा। एक महीने बाद जब वह महिला अपने पोते को लेकर आई तो महात्मा जी ने उस बच्चे के सर पर हाथ रखते हुए बहुत प्रेम से कहा, “बेटा! ज़्यादा मीठा खाना अच्छी बात नहीं है, इसलिए तुम ज़्यादा मीठा मत खाया करो।”
उस महिला ने महात्मा जी से पूछा, "महात्मा जी, यह बात तो आप तभी कह सकते थे जब मैं पहली बार आपके पास आई थी, लेकिन आपने पहले एक सप्ताह बाद और फिर एक महीने बाद आने को क्यों कहा?" महात्मा जी मुस्कराते हुए बोले, “उस समय मुझे भी मीठा बहुत पसंद था और मैं भी बहुत ज़्यादा मीठा खाता था। जब मैं खुद ज़्यादा मीठा खाता था तो बच्चे को मीठा छोड़ने के लिए कैसे कह सकता था। एक सप्ताह तक भी मेरा मीठा खाना कम नहीं हुआ तो मैंने तुम्हें एक महीने बाद बुलाया। पहले मैंने मीठा खाना कम किया और एक महीने बाद मैंने देखा कि अब मैं मीठा बहुत कम खाता हूँ तो अब मैं बच्चे को भी कह सकता हूँ।"

चर्चा की दिशा:
हम सलाह के रूप में दूसरों को बहुत-सी बातें कहते रहते हैं। इनमें से कुछ बातें ऐसी भी हो सकती हैं जो हमारे ख़ुद के व्यवहार में अर्थात जीने में दिखाई नहीं देती हैं। हमारी ऐसी बातें सुनने में तो अच्छी लग सकती हैं, लेकिन वे दूसरों को न तो प्रभावित कर पाती हैं और न ही प्रेरित कर पाती हैं।
इस कहानी और प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर दिलाने का प्रयास किया गया है कि वे दूसरों को अपनी बातों की बजाय अपने आचरण प्रेरित करें।

पहला दिन:

चर्चा के लिए प्रश्न:
1. क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि कोई आपको कुछ बातें समझा रहा हो और वे बातें उसके ख़ुद के आचरण में न हों? ऐसी किसी घटना को साझा करें।
2. जब कोई व्यक्ति आपसे ऐसी बातें कहता है जो उसके आचरण में नहीं हैं तो उस समय उस व्यक्ति के प्रति आपके मन में क्या विचार आते हैं? साझा करें।
3. यदि आप महात्मा जी के स्थान पर होते तो क्या करते और क्यों?

घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए):
  • घर जाकर इस कहानी को अपने परिवार में सुनाएँ और इस पर परिवार के सदस्यों के विचार व अनुभव जानें। 
  • आज अपने परिवार या आसपास के उन लोगों से चर्चा करें जिन्होंने अपनी कोई ऐसी आदत छोड़ी है जिनसे उनकी सेहत को नुक़सान हो रहा था। उनसे पूछें कि वे ऐसा कैसे कर पाए।
Check out: कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

दूसरा दिन:

Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
  • कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, कहानी का रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं।
  • कहानी पर घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ। 
  • पहले दिन के चर्चा के लिए प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुन: किया जा सकता है जो रह गए थे या अनुपस्थित थे।
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1. जिस काम को हम स्वयं नहीं करते हैं, क्या हम दूसरों को उसे करने के लिए समझा सकते हैं? यदि हाँ तो कैसे? नहीं तो क्यों नहीं?
2. किस व्यक्ति की बातों का ज़्यादा प्रभाव होता है- जिनकी कथनी-करनी में अंतर होता है या जिनकी कथनी-करनी में एकरूपता होती है? क्यों?
3. वे कौन-कौनसी बातें हैं जो आप दूसरों को करने के लिए कहते हैं या चाहते हैं कि दूसरे ऐसा करें, लेकिन आप स्वयं अकसर वैसा नहीं करते हैं? ऐसी बातों की सूची बनाओ और कक्षा में साझा करो।

Check out: कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

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