कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों को शिक्षा द्वारा अर्जित ज्ञान को अपने आचरण में लाने के लिए प्रेरित करना।
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक
Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
स्वच्छता पखवाड़े के दौरान एक विद्यालय में स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसका विषय था- “मेरा विद्यालय मैं ही सँवारूँ"।
प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी विद्यार्थी आवश्यक सामग्री लेकर एक बड़े हॉल में उपस्थित हुए। प्रधानाचार्य जी ने विद्यार्थियों को प्रतियोगिता का उद्देश्य बताते हुए सभी को बधाई दी। शिक्षक जी ने सभी विद्यार्थियों को चार्ट पेपर उपलब्ध करवाकर कुछ निर्देश दिए। सभी अपनी प्रतिभा को व्यक्त करने में तुरंत जुट गए। निर्धारित समय पूरा होने पर सभी विद्यार्थी जल्दी-जल्दी अपने स्लोगन लिखे चार्ट पेपर जमा करके चले गए, क्योंकि लंच का समय भी हो गया था।
सातवीं कक्षा का विद्यार्थी सौरभ अभी भी हॉल में ही था। उसने देखा कि जब प्रतियोगिता प्रारम्भ हुई थी तब हॉल बहुत साफ़-सुथरा था, लेकिन अब वहाँ पेंसिल के छिलके, रंगों के टुकड़े आदि बिखरे पड़े हैं। शिक्षक जी की नज़र सौरभ पर पड़ी तो उन्होंने देखा कि वह अपना चार्ट पेपर जमा करके हॉल में बिखरे कूड़े को इकट्ठा करके डस्टबिन में डाल रहा है।
अगले दिन प्रार्थना-सभा में सभी विद्यार्थियों को प्रतियोगिता के परिणाम का इंतजार था। तभी प्रधानाचार्य जी ने घोषणा की कि इस बार केवल एक पुरस्कार दिया जाएगा। इसके लिए निर्णायक-मंडल ने सर्वसम्मति से चयन किया है- सौरभ, सातवीं 'बी'। यह क्या…? सभी विद्यार्थी एक-दूसरे की ओर देखने लगे। सौरभ का स्लोगन तो इतना अच्छा नहीं था कि उसे प्रथम पुरस्कार मिले। तभी प्रधानाचार्य जी ने पूरी घटना बताते हुए कहा कि बाकी विद्यार्थियों के 'विचार' में तो स्वच्छता दिखाई दी, लेकिन आचरण में नहीं। सौरभ के आचरण में स्वच्छता दिखाई दी, इसलिए सौरभ को इस पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। यह सुनते ही पूरा विद्यालय प्राँगण तालियों से गूँज उठा।
चर्चा की दिशा:
हम अकसर देखते हैं कि बहुत-सी बातें हम दूसरों को बताते हैं या परीक्षा में लिखते हैं, लेकिन वे हमारे व्यवहार में दिखाई नहीं देती हैं। किताबों में लिखी बातें यदि हमारे जीने में न आएँ तो उनको याद रखने से क्या फ़ायदा?
जिस व्यक्ति की कथनी और करनी में एकरूपता होती है उसी व्यक्ति की बातों का प्रभाव दूसरों पर अधिक होता है, उसी पर सभी विश्वास कर पाते हैं। उससे सब संबंध रखना भी चाहते हैं जिससे वह सुखी होता है।
इस कहानी और प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अपने अर्जित किए हुए ज्ञान को अपने व्यवहार में लाने के लिए प्रेरित किया गया हैं।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न:
1. आप कौन-कौनसी बातें अपने आसपास के लोगों को बोलते हुए तो सुनते हैं, लेकिन उनके आचरण में दिखाई नहीं देती हैं?
2. कुछ ऐसी बातें बताइए जो आप दूसरों को करने के लिए तो कहते हैं, लेकिन आप ख़ुद नहीं करते हैं?
3. कुछ ऐसी बातें बताइए जो आप करना तो चाहते हैं, लेकिन अभी आपके व्यवहार में नहीं हैं? (जैसे- गुस्सा न करना, रोज़ सुबह समय पर उठना, गंदगी न फैलाना आदि।)
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए):
दूसरा दिन:
Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
1. आप किन लोगों से ज्यादा प्रभावित होते हैं- उनसे जो केवल अच्छी बातें बोलते हैं या उनसे जो अच्छा बोलते ही नहीं बल्कि करते भी हैं? क्यों?
2. रोज़मर्रा की ज़िंदगी से उदाहरण देकर बताइए कि कौन-कौनसे काम हमारे या पर्यावरण के लिए बहुत आवश्यक हैं फिर भी बहुत से लोग उन्हें करते नहीं हैं? इनको न करने के कारण भी बताइए। जैसे- दुकान से सामान खरीदने के लिए हमेशा घर से थैला लेकर जाना, गीला और सूखा कूड़ा अलग करना, मच्छर पनपने से रोकने के लिए कूलर का पानी बदलना आदि।
3. "एक व्यक्ति वैसा नहीं होता है जैसा वह बोलता है बल्कि वह वैसा होता है जैसा वह करता है।" सहमत या असहमत? चर्चा करें।
(संकेत- कोई व्यक्ति ईमानदारी पर भाषण देता है, लेकिन मौका मिलते ही स्वयं बेईमानी करता है तो वह व्यक्ति वास्तव में कैसा है?)
Check out: कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
समय: कम से कम दो दिन बाकी शिक्षक के संतुष्ट होने तक
Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
स्वच्छता पखवाड़े के दौरान एक विद्यालय में स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसका विषय था- “मेरा विद्यालय मैं ही सँवारूँ"।
प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी विद्यार्थी आवश्यक सामग्री लेकर एक बड़े हॉल में उपस्थित हुए। प्रधानाचार्य जी ने विद्यार्थियों को प्रतियोगिता का उद्देश्य बताते हुए सभी को बधाई दी। शिक्षक जी ने सभी विद्यार्थियों को चार्ट पेपर उपलब्ध करवाकर कुछ निर्देश दिए। सभी अपनी प्रतिभा को व्यक्त करने में तुरंत जुट गए। निर्धारित समय पूरा होने पर सभी विद्यार्थी जल्दी-जल्दी अपने स्लोगन लिखे चार्ट पेपर जमा करके चले गए, क्योंकि लंच का समय भी हो गया था।
सातवीं कक्षा का विद्यार्थी सौरभ अभी भी हॉल में ही था। उसने देखा कि जब प्रतियोगिता प्रारम्भ हुई थी तब हॉल बहुत साफ़-सुथरा था, लेकिन अब वहाँ पेंसिल के छिलके, रंगों के टुकड़े आदि बिखरे पड़े हैं। शिक्षक जी की नज़र सौरभ पर पड़ी तो उन्होंने देखा कि वह अपना चार्ट पेपर जमा करके हॉल में बिखरे कूड़े को इकट्ठा करके डस्टबिन में डाल रहा है।
अगले दिन प्रार्थना-सभा में सभी विद्यार्थियों को प्रतियोगिता के परिणाम का इंतजार था। तभी प्रधानाचार्य जी ने घोषणा की कि इस बार केवल एक पुरस्कार दिया जाएगा। इसके लिए निर्णायक-मंडल ने सर्वसम्मति से चयन किया है- सौरभ, सातवीं 'बी'। यह क्या…? सभी विद्यार्थी एक-दूसरे की ओर देखने लगे। सौरभ का स्लोगन तो इतना अच्छा नहीं था कि उसे प्रथम पुरस्कार मिले। तभी प्रधानाचार्य जी ने पूरी घटना बताते हुए कहा कि बाकी विद्यार्थियों के 'विचार' में तो स्वच्छता दिखाई दी, लेकिन आचरण में नहीं। सौरभ के आचरण में स्वच्छता दिखाई दी, इसलिए सौरभ को इस पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। यह सुनते ही पूरा विद्यालय प्राँगण तालियों से गूँज उठा।
चर्चा की दिशा:
हम अकसर देखते हैं कि बहुत-सी बातें हम दूसरों को बताते हैं या परीक्षा में लिखते हैं, लेकिन वे हमारे व्यवहार में दिखाई नहीं देती हैं। किताबों में लिखी बातें यदि हमारे जीने में न आएँ तो उनको याद रखने से क्या फ़ायदा?
जिस व्यक्ति की कथनी और करनी में एकरूपता होती है उसी व्यक्ति की बातों का प्रभाव दूसरों पर अधिक होता है, उसी पर सभी विश्वास कर पाते हैं। उससे सब संबंध रखना भी चाहते हैं जिससे वह सुखी होता है।
इस कहानी और प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को अपने अर्जित किए हुए ज्ञान को अपने व्यवहार में लाने के लिए प्रेरित किया गया हैं।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न:
1. आप कौन-कौनसी बातें अपने आसपास के लोगों को बोलते हुए तो सुनते हैं, लेकिन उनके आचरण में दिखाई नहीं देती हैं?
2. कुछ ऐसी बातें बताइए जो आप दूसरों को करने के लिए तो कहते हैं, लेकिन आप ख़ुद नहीं करते हैं?
3. कुछ ऐसी बातें बताइए जो आप करना तो चाहते हैं, लेकिन अभी आपके व्यवहार में नहीं हैं? (जैसे- गुस्सा न करना, रोज़ सुबह समय पर उठना, गंदगी न फैलाना आदि।)
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए):
- घर जाकर इस कहानी को अपने परिवार में सुनाएँ और इस पर परिवार के सदस्यों के विचार व अनुभव जानें।
- परिवार में चर्चा करें कि कौनसी बातों के लिए हम दूसरों से तो अपेक्षा रखते हैं, लेकिन ख़ुद वैसा नहीं करते हैं।
दूसरा दिन:
Check In: कक्षा की शुरूआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
- कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, कहानी का रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं।
- कहानी पर घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
- पहले दिन के चर्चा के लिए प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुन: किया जा सकता है जो रह गए थे या अनुपस्थित थे।
1. आप किन लोगों से ज्यादा प्रभावित होते हैं- उनसे जो केवल अच्छी बातें बोलते हैं या उनसे जो अच्छा बोलते ही नहीं बल्कि करते भी हैं? क्यों?
2. रोज़मर्रा की ज़िंदगी से उदाहरण देकर बताइए कि कौन-कौनसे काम हमारे या पर्यावरण के लिए बहुत आवश्यक हैं फिर भी बहुत से लोग उन्हें करते नहीं हैं? इनको न करने के कारण भी बताइए। जैसे- दुकान से सामान खरीदने के लिए हमेशा घर से थैला लेकर जाना, गीला और सूखा कूड़ा अलग करना, मच्छर पनपने से रोकने के लिए कूलर का पानी बदलना आदि।
3. "एक व्यक्ति वैसा नहीं होता है जैसा वह बोलता है बल्कि वह वैसा होता है जैसा वह करता है।" सहमत या असहमत? चर्चा करें।
(संकेत- कोई व्यक्ति ईमानदारी पर भाषण देता है, लेकिन मौका मिलते ही स्वयं बेईमानी करता है तो वह व्यक्ति वास्तव में कैसा है?)
Check out: कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
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