उद्देश्य: विद्यार्थी अपने परिवार के सदस्यों की घर चलाने में जो भूमिका होती है उसे स्वीकार कर पाएँ और उनके कार्यों की सराहना करने के लिए प्रेरित होंगे।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी
अंकुर तीसरी कक्षा में पढ़ता था। रोज़ की तरह उस दिन भी लंच के समय कक्षा के सब विद्यार्थियों ने अपने-अपने टिफ़िन खोले। सभी मिल-बाँट कर खाना खा रहे थे। अचानक सोहन गुस्से से बोला, “मम्मी ने ब्रेड पकौड़े के साथ पुदीने की चटनी ही नहीं रखी!”
तभी उसका ध्यान अंकुर के टिफ़िन की ओर गया। अंकुर आज पराँठे लाया था। सोहन पराँठे का एक टुकड़ा तोड़ कर खाने लगा तो उसने देखा कि पराँठा तो थोड़ा जला हुआ था। उसे हैरानी हुई कि अंकुर जले हुए पराँठे को भी ख़ुशी-ख़ुशी खा रहा था। सोहन ने अंकुर से पूछा, “भाई यह परांठा तो जला हुआ है।
अंकुर ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “ हाँ वो तो है!आज सुबह काम पर जाने की जल्दबाज़ी में मम्मी से पराँठा जल भी गया तो क्या! वैसे मम्मी तो बहुत स्वादिष्ट परांठे बनाती हैं।”
यह सुनकर सोहन सोच में पड़ गया, मेरी माँ को भी तो घर का सारा काम करना पड़ता है। मैंने कभी न तो उनकी मेहनत की तरफ ध्यान दिया न ही कभी उनकी मदद की । उल्टे मुझे ‘पुदीने की चटनी’ के पैक न होने पर उनसे शिकायत हो रही थी। चटनी तो मैं खुद भी पैक कर सकता था। मेरी मम्मी घर के सभी सदस्यों का कितना ध्यान रखती हैं?
छुट्टी के बाद सोहन घर गया और खाना खाकर होम वर्क करने लगा। मम्मी अभी काम से नहीं आईं थी। वह सोचने लगा घर में ऐसा कौन सा काम है जो वह आसानी से करके मम्मी की मदद कर सकता है? कुछ देर सोचने के बाद आटा गूँथने का फैसला किया। बर्तन में आटा निकालकर उसने पानी डालकर उसने आटा गूंथने की कोशिश की, पर आटा बहुत गीला हो गया और गूँथ ही नहीं पाया। वह मम्मी का इंतजार करने लगा।
मम्मी घर आईं तो सोहन उनके पास गया और बोला, “ सॉरी मम्मी मैंने आटा खराब कर दिया। मम्मी बोली, “ नहीं बेटा तुमने तो आटा गूँथकर मेरी मदद की है, आटा थोड़ा गीला हो गया है उसमें सूखा आटा डालने से वह ठीक हो जाएगा।” यह कहते हुए मम्मी ने उसे गले लगा लिया।
चर्चा की दिशा:
विद्यार्थी अपने घर के सदस्यों के द्वार उनके लिए किए गए कार्यों के महत्त्व को स्वीकार कर पाएँ तथा उनकी सराहना कर पाएँ । किसी के द्वारा कोई भी कार्य क्यों किया गया है उस भावना को समझना अति आवश्यक है। किसी से गलती होने पर हमें ध्यान उसके द्वारा किए गए कार्य के उद्देश्य पर देना होगा न कि उसके द्वारा किए गए कार्य पर।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न
1. अंकुर को परांठा जला हुआ होने पर भी शिकायत क्यों नहीं थी? चर्चा करें।
2. क्या कभी आपने बहुत मेहनत से अपने परिजनों के लिए कोई चीज बनाई थी ?लेकिन उन्हें पसंद न आई हो। तब आपको कैसा लगा?एक ऐसी घटना की चर्चा करेंI
3. ऐसा कौन सा कार्य है जिसे आप सही से नहीं कर पाते हो ?
4. क्या आप अपने घर के लोगों या मित्रों से उस कार्य की ठीक ढंग से करने के लिए मदद लोगे?
5. आपके घर के कौन-कौन से सदस्य आपका सहयोग करते हैं? कक्षा में साझा करें।
घर जाकर देखो, पूछो,समझो: (विद्यार्थियों के लिए)
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
1. आप अपने घर में किस-किस की मदद करते हैं? साझा करें ?
2. जब कोई आपकी मदद करता है तो आपको कैसा लगता है? साझा करेंI
3. जो आपकी मदद करते हैं आप उनके प्रति आभार कैसे करते हैं?चर्चा करके साझा करें।
4. समूह में काम करते हुए यदि किसी से कोई ग़लती हो जाती है तब आप क्या करोगे तथा क्यों? साझा करें।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें
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समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी
अंकुर तीसरी कक्षा में पढ़ता था। रोज़ की तरह उस दिन भी लंच के समय कक्षा के सब विद्यार्थियों ने अपने-अपने टिफ़िन खोले। सभी मिल-बाँट कर खाना खा रहे थे। अचानक सोहन गुस्से से बोला, “मम्मी ने ब्रेड पकौड़े के साथ पुदीने की चटनी ही नहीं रखी!”
तभी उसका ध्यान अंकुर के टिफ़िन की ओर गया। अंकुर आज पराँठे लाया था। सोहन पराँठे का एक टुकड़ा तोड़ कर खाने लगा तो उसने देखा कि पराँठा तो थोड़ा जला हुआ था। उसे हैरानी हुई कि अंकुर जले हुए पराँठे को भी ख़ुशी-ख़ुशी खा रहा था। सोहन ने अंकुर से पूछा, “भाई यह परांठा तो जला हुआ है।
अंकुर ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “ हाँ वो तो है!आज सुबह काम पर जाने की जल्दबाज़ी में मम्मी से पराँठा जल भी गया तो क्या! वैसे मम्मी तो बहुत स्वादिष्ट परांठे बनाती हैं।”
यह सुनकर सोहन सोच में पड़ गया, मेरी माँ को भी तो घर का सारा काम करना पड़ता है। मैंने कभी न तो उनकी मेहनत की तरफ ध्यान दिया न ही कभी उनकी मदद की । उल्टे मुझे ‘पुदीने की चटनी’ के पैक न होने पर उनसे शिकायत हो रही थी। चटनी तो मैं खुद भी पैक कर सकता था। मेरी मम्मी घर के सभी सदस्यों का कितना ध्यान रखती हैं?
छुट्टी के बाद सोहन घर गया और खाना खाकर होम वर्क करने लगा। मम्मी अभी काम से नहीं आईं थी। वह सोचने लगा घर में ऐसा कौन सा काम है जो वह आसानी से करके मम्मी की मदद कर सकता है? कुछ देर सोचने के बाद आटा गूँथने का फैसला किया। बर्तन में आटा निकालकर उसने पानी डालकर उसने आटा गूंथने की कोशिश की, पर आटा बहुत गीला हो गया और गूँथ ही नहीं पाया। वह मम्मी का इंतजार करने लगा।
मम्मी घर आईं तो सोहन उनके पास गया और बोला, “ सॉरी मम्मी मैंने आटा खराब कर दिया। मम्मी बोली, “ नहीं बेटा तुमने तो आटा गूँथकर मेरी मदद की है, आटा थोड़ा गीला हो गया है उसमें सूखा आटा डालने से वह ठीक हो जाएगा।” यह कहते हुए मम्मी ने उसे गले लगा लिया।
चर्चा की दिशा:
विद्यार्थी अपने घर के सदस्यों के द्वार उनके लिए किए गए कार्यों के महत्त्व को स्वीकार कर पाएँ तथा उनकी सराहना कर पाएँ । किसी के द्वारा कोई भी कार्य क्यों किया गया है उस भावना को समझना अति आवश्यक है। किसी से गलती होने पर हमें ध्यान उसके द्वारा किए गए कार्य के उद्देश्य पर देना होगा न कि उसके द्वारा किए गए कार्य पर।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न
1. अंकुर को परांठा जला हुआ होने पर भी शिकायत क्यों नहीं थी? चर्चा करें।
2. क्या कभी आपने बहुत मेहनत से अपने परिजनों के लिए कोई चीज बनाई थी ?लेकिन उन्हें पसंद न आई हो। तब आपको कैसा लगा?एक ऐसी घटना की चर्चा करेंI
3. ऐसा कौन सा कार्य है जिसे आप सही से नहीं कर पाते हो ?
4. क्या आप अपने घर के लोगों या मित्रों से उस कार्य की ठीक ढंग से करने के लिए मदद लोगे?
5. आपके घर के कौन-कौन से सदस्य आपका सहयोग करते हैं? कक्षा में साझा करें।
घर जाकर देखो, पूछो,समझो: (विद्यार्थियों के लिए)
- घर जाकर इस कहानी को अपने परिवार में सुनाएँ और परिवार के अन्य सदस्यों के विचार व अनुभव जानें।
- अपने आस पास ऐसे लोगो को देखिये जो आपकी दिनचर्या को सरल/आसान बनाने में आपकी सहायता करते है? वे आपके लिए क्या - क्या करते हैं ?
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
- कक्षा में पिछले दिन की कहानी की एक बार पूरी तरह से कक्षा में पुनरावृत्ति की जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।( पुनरावृत्ति के लिए कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं।)
- घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
- पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है जो पिछले दिन अनुपस्थित रहे हों या समय की कमी के कारण प्रश्नों के उत्तर न दे पाए हों।
1. आप अपने घर में किस-किस की मदद करते हैं? साझा करें ?
2. जब कोई आपकी मदद करता है तो आपको कैसा लगता है? साझा करेंI
3. जो आपकी मदद करते हैं आप उनके प्रति आभार कैसे करते हैं?चर्चा करके साझा करें।
4. समूह में काम करते हुए यदि किसी से कोई ग़लती हो जाती है तब आप क्या करोगे तथा क्यों? साझा करें।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें
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- बेहतर भविष्य की ओर
- सौ रूपए का नोट
- एहसास
- अखबार
- इनाम
- माँ की देखभाल
- कमज़ोर प्रदर्शन
- कहानी मैं सुनाऊँगी
- गुल्लक
- मेरा लकी (Lucky) पेन
- नानी के लड्डू
- मनजीत के घर में पिकनिक
- मैं सबसे तेज़ दौड़ना चाहती हूँ
- स्वादिष्ट कस्टर्ड
- बड़े भैया का जन्मदिन
- संगत का प्रभाव
- एक जला पराँठा
- छोटी सी कोशिश
- टम टम और उसका ड्रम
- रोहन का बग़ीचा
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