उद्देश्य: बच्चों का ध्यान इस ओर जाए कि किसी दूसरे की परेशानी(Problem) को बिना जाने हम कई बार उसको गलत समझ लेते हैं।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी
एक दिन शाम को पार्क में सैफ साइकिल चला रहा था। उसे घर जाने की जल्दी थी क्योंकि उसे अपना स्कूल का काम पूरा करना था। एक छोटी पगडंडी से गुज़रते समय उसके आगे एक अंकल आ गए। वह बहुत ही धीरे - धीरे चल रहे थे। सैफ को भी अपनी साइकिल उसी गति से उनके पीछे चलानी पड़ रही थी। रास्ता तंग होने के कारण अंकल उसे रास्ता भी नहीं दे पा रहे थे। इसे देखकर सैफ बहुत बेचैन हो रहा था। उसे लगा कि अंकल दूसरों के टाइम की कोई परवाह ही नहीं कर रहे। जैसे ही सैफ अंकल के पास आया,वह गुस्से से बोला "क्या आप थोड़ा जल्दी-जल्दी नहीं चल सकते, आपकी वजह से मुझे देर हो रही है?"
यह सुनकर अंकल धीरे से बोले ,”बेटा एक्सीडेंट के बाद अभी प्लस्तर खुला है, तेज़ नहीं चला जाता I यह सुनकर सैफ को अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसने अंकल की परेशानी को न समझकर बिना वजह जाने अंकल का अपमान कर दिया। उसने अंकल से माफ़ी माँगी और मन में सोचा कि आगे से बिना कारण जाने वह किसी पर गुस्सा नहीं करेगा।
चर्चा की दिशा: अक्सर हम दूसरों की परेशानी(Problem) को जाने बिना ही उन्हें गलत समझ लेते हैं, लेकिन ऐसी ही स्थिति में जब कोई दूसरा कोई हमें गलत समझता है, तब हमें बुरा लगता है।
अक्सर हम लोग अपने लिए सुविधा चाहते हैं चाहे किसी को परेशानी ही क्यों न हो रही हो परन्तु जब किसी दूसरे की सुविधा से हमें परेशानी हो जाए तो हमें बुरा लगता है।
शिक्षक बच्चों का ध्यान चर्चा के प्रश्नों से इस ओर ले जाएँ कि वे पहले दूसरे की परिस्थिति को जाने और अपनी सुविधा के साथ साथ दूसरों की सुविधा का भी ध्यान रखें।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न
1. अगर सैफ की जगह आप होते तो, आप क्या करते?
2. यदि अंकल की जगह आपके दादा या दादी चल रहे होते तो आप क्या करते?
3. आप चोट लगने के कारण धीरे धीरे चल रहे होते और कोई आपको कुछ गलत/कड़वी बात कहता तो आपको कैसा लगता?
घर जाकर देखो, पूछो,समझो: (विद्यार्थियों के लिए)
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करेंI
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1. यदि कभी किसी से कोई गलती हो जाए तो आप उससे कैसे बात करोगे? प्यार से या नाराज़गी से।
2. यदि कभी आपसे कोई गलती हो जाए तो आप क्या चाहेंगे कि आपसे प्यार से बात की जाए या गुस्से से?
3. क्या आपने कभी किसी की परेशानी को समझे बिना किसी को बुरा कहा है?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें
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समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी
एक दिन शाम को पार्क में सैफ साइकिल चला रहा था। उसे घर जाने की जल्दी थी क्योंकि उसे अपना स्कूल का काम पूरा करना था। एक छोटी पगडंडी से गुज़रते समय उसके आगे एक अंकल आ गए। वह बहुत ही धीरे - धीरे चल रहे थे। सैफ को भी अपनी साइकिल उसी गति से उनके पीछे चलानी पड़ रही थी। रास्ता तंग होने के कारण अंकल उसे रास्ता भी नहीं दे पा रहे थे। इसे देखकर सैफ बहुत बेचैन हो रहा था। उसे लगा कि अंकल दूसरों के टाइम की कोई परवाह ही नहीं कर रहे। जैसे ही सैफ अंकल के पास आया,वह गुस्से से बोला "क्या आप थोड़ा जल्दी-जल्दी नहीं चल सकते, आपकी वजह से मुझे देर हो रही है?"
यह सुनकर अंकल धीरे से बोले ,”बेटा एक्सीडेंट के बाद अभी प्लस्तर खुला है, तेज़ नहीं चला जाता I यह सुनकर सैफ को अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसने अंकल की परेशानी को न समझकर बिना वजह जाने अंकल का अपमान कर दिया। उसने अंकल से माफ़ी माँगी और मन में सोचा कि आगे से बिना कारण जाने वह किसी पर गुस्सा नहीं करेगा।
चर्चा की दिशा: अक्सर हम दूसरों की परेशानी(Problem) को जाने बिना ही उन्हें गलत समझ लेते हैं, लेकिन ऐसी ही स्थिति में जब कोई दूसरा कोई हमें गलत समझता है, तब हमें बुरा लगता है।
अक्सर हम लोग अपने लिए सुविधा चाहते हैं चाहे किसी को परेशानी ही क्यों न हो रही हो परन्तु जब किसी दूसरे की सुविधा से हमें परेशानी हो जाए तो हमें बुरा लगता है।
शिक्षक बच्चों का ध्यान चर्चा के प्रश्नों से इस ओर ले जाएँ कि वे पहले दूसरे की परिस्थिति को जाने और अपनी सुविधा के साथ साथ दूसरों की सुविधा का भी ध्यान रखें।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न
1. अगर सैफ की जगह आप होते तो, आप क्या करते?
2. यदि अंकल की जगह आपके दादा या दादी चल रहे होते तो आप क्या करते?
3. आप चोट लगने के कारण धीरे धीरे चल रहे होते और कोई आपको कुछ गलत/कड़वी बात कहता तो आपको कैसा लगता?
घर जाकर देखो, पूछो,समझो: (विद्यार्थियों के लिए)
- घर जाकर इस कहानी को अपने परिवार में सुनाएँ और परिवार के अन्य सदस्यों के विचार व अनुभव जानें।
- आज हम घर जाकर देखेंगे कि अपने आस पड़ोस में जिन लोगों को हम नहीं जानते उनके प्रति हमारी सोच कैसी है? इसका क्या कारण है?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करेंI
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
- कक्षा में पिछले दिन की कहानी की एक बार पूरी तरह से कक्षा में पुनरावृत्ति की जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।( पुनरावृत्ति के लिए कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं।)
- घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
- पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है जो पिछले दिन अनुपस्थित रहे हों या समय की कमी के कारण प्रश्नों के उत्तर न दे पाए हों।
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न:
1. यदि कभी किसी से कोई गलती हो जाए तो आप उससे कैसे बात करोगे? प्यार से या नाराज़गी से।
2. यदि कभी आपसे कोई गलती हो जाए तो आप क्या चाहेंगे कि आपसे प्यार से बात की जाए या गुस्से से?
3. क्या आपने कभी किसी की परेशानी को समझे बिना किसी को बुरा कहा है?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें
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- बेहतर भविष्य की ओर
- सौ रूपए का नोट
- एहसास
- अखबार
- इनाम
- माँ की देखभाल
- कमज़ोर प्रदर्शन
- कहानी मैं सुनाऊँगी
- गुल्लक
- मेरा लकी (Lucky) पेन
- नानी के लड्डू
- मनजीत के घर में पिकनिक
- मैं सबसे तेज़ दौड़ना चाहती हूँ
- स्वादिष्ट कस्टर्ड
- बड़े भैया का जन्मदिन
- संगत का प्रभाव
- एक जला पराँठा
- छोटी सी कोशिश
- टम टम और उसका ड्रम
- रोहन का बग़ीचा
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