उद्देश्य: बच्चों का ध्यान इस ओर जाए कि दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा व्यवहार वे अपने लिए चाहते हैं।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी
बीमार माँ को चाय का प्याला थमा जॉर्ज दवा लेने पास वाली दुकान पर चला गया। जब दवा लेकर आया तो माँ ने कहा ” जॉर्ज , चाय तो ठंडी हो गयी।” जॉर्ज ने चाय गरम कर के कप को माँ के सामने रखे टेबल पर रख दिया। ”
माँ जैसे ही दवा की गोली मुँह में रखने लगी तो गोली हाथ से छूट गयी। जॉर्ज को फिर आवाज लगाई ” जार्ज गोली गिर गई, जरा पलंग के नीचे से निकाल देना।” जॉर्ज झुँझलाता हुआ बोला, “क्या माँ, कभी चाय ठंडी हो गई, कभी दवा गिर गई। मुझे पढ़ना भी तो है ?
कुछ दिन बाद माँ नानी से मिलने उनके घर गई थी और पापा भी ऑफिस गए हुए थे। घर पर जॉर्ज अकेला था। बहुत तेज ठंड के कारण उसकी तबियत खराब हो गई। उसको चाय पीने का मन कर रहा था और चाय बनाने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थीं और घर पर भी कोई नहीं था। बड़ी मुश्किल से उठा और चाय बनाने लगा , उसे चाय बनाते बनाते माँ की बहुत याद आई,और उसे यह भी याद आया कि माँ की बीमारी के समय उसका व्यवहार कितना बुरा था। उसे उस समय माँ के साथ किए गए व्यवहार पर पछतावा हुआ। वह माँ को फोन करके बुलाना चाहता था पर वह अपने व्यवहार के कारण शर्मिंदा था। वह बेसब्री से माँ का इंतजार करते हुए सो गया। माँ ने घर आकर उसके लिए उसकी पसंदीदा अदरक वाली चाय बनाई और उसे जगाकर उसे चाय दी। माँ को देखते ही जार्ज उनसे लिपट गया और बोला माँ आप कितनी अच्छी हो। माँ के चेहरे पर मुस्कान देखकर जॉर्ज के मन का बोझ भी उतर गया था और उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई।
चर्चा की दिशा:
आज कल ऐसा देखा जाता है कि परिवार के बच्चे अपने माता-पिता तथा बड़ों की बीमारी में देखभाल करने से या तो कतराते हैं अथवा परेशान हो जाते हैं। कई बार बच्चों को लगता है कि बड़ों को देखभाल करने की आवश्यकता नहीं होती। इस कहानी और चर्चा के प्रश्नों के द्वारा बच्चों का ध्यान इस ओर ले जाएँ कि बीमारी अथवा परेशानी के समय बच्चों को ही नहीं बड़ों को भी देखभाल की ज़रुरत होती है। एक दूसरे की देखभाल करने से संबंध मज़बूत होते हैं। इससे दोनों पक्षों को ख़ुशी मिलती है ।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न
1. अगर जॉर्ज की जगह आप होते तो माँ की दवाई न मिलने पर क्या करते ?
2. आपकी स्कूल में तबियत खराब होने पर आपका सहयोग कौन करता है ? अपने साथ घटी घटना को साझा करें।
3. क्या आपने कभी अपने परिवार के किसी सदस्य की तबियत खराब होने पर उनकी देखभाल की है? कैसे और किसकी?
4. क्या आपने कभी किसी की परेशानी को जाने बिना कुछ ऐसा किया है जिससे उनको बुरा लगा हो? ऎसी किसी घटना को साझा करें।
घर जाकर देखो, पूछो,समझो: (विद्यार्थियों के लिए)
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
1. क्या आपने स्कूल में किसी ऐसे बच्चे की देखभाल (गिरने या चोट लगने पर) की है जिसे आप नहीं जानते थे? आपने उनकी देखभाल कैसे की ?साझा करें।
2. स्कूल में आप अपने साथियों का ध्यान कैसे कैसे रख सकते हैं ?
3. यदि आपके बीमार होने पर आपकी देखभाल न की जाए तो आपको कैसा लगेगा? चर्चा करें।
4. क्या आपने कभी अपने परिवार में किसी व्यक्ति की देखभाल की है?साझा करें।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें
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समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी
बीमार माँ को चाय का प्याला थमा जॉर्ज दवा लेने पास वाली दुकान पर चला गया। जब दवा लेकर आया तो माँ ने कहा ” जॉर्ज , चाय तो ठंडी हो गयी।” जॉर्ज ने चाय गरम कर के कप को माँ के सामने रखे टेबल पर रख दिया। ”
माँ जैसे ही दवा की गोली मुँह में रखने लगी तो गोली हाथ से छूट गयी। जॉर्ज को फिर आवाज लगाई ” जार्ज गोली गिर गई, जरा पलंग के नीचे से निकाल देना।” जॉर्ज झुँझलाता हुआ बोला, “क्या माँ, कभी चाय ठंडी हो गई, कभी दवा गिर गई। मुझे पढ़ना भी तो है ?
कुछ दिन बाद माँ नानी से मिलने उनके घर गई थी और पापा भी ऑफिस गए हुए थे। घर पर जॉर्ज अकेला था। बहुत तेज ठंड के कारण उसकी तबियत खराब हो गई। उसको चाय पीने का मन कर रहा था और चाय बनाने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थीं और घर पर भी कोई नहीं था। बड़ी मुश्किल से उठा और चाय बनाने लगा , उसे चाय बनाते बनाते माँ की बहुत याद आई,और उसे यह भी याद आया कि माँ की बीमारी के समय उसका व्यवहार कितना बुरा था। उसे उस समय माँ के साथ किए गए व्यवहार पर पछतावा हुआ। वह माँ को फोन करके बुलाना चाहता था पर वह अपने व्यवहार के कारण शर्मिंदा था। वह बेसब्री से माँ का इंतजार करते हुए सो गया। माँ ने घर आकर उसके लिए उसकी पसंदीदा अदरक वाली चाय बनाई और उसे जगाकर उसे चाय दी। माँ को देखते ही जार्ज उनसे लिपट गया और बोला माँ आप कितनी अच्छी हो। माँ के चेहरे पर मुस्कान देखकर जॉर्ज के मन का बोझ भी उतर गया था और उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई।
चर्चा की दिशा:
आज कल ऐसा देखा जाता है कि परिवार के बच्चे अपने माता-पिता तथा बड़ों की बीमारी में देखभाल करने से या तो कतराते हैं अथवा परेशान हो जाते हैं। कई बार बच्चों को लगता है कि बड़ों को देखभाल करने की आवश्यकता नहीं होती। इस कहानी और चर्चा के प्रश्नों के द्वारा बच्चों का ध्यान इस ओर ले जाएँ कि बीमारी अथवा परेशानी के समय बच्चों को ही नहीं बड़ों को भी देखभाल की ज़रुरत होती है। एक दूसरे की देखभाल करने से संबंध मज़बूत होते हैं। इससे दोनों पक्षों को ख़ुशी मिलती है ।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न
1. अगर जॉर्ज की जगह आप होते तो माँ की दवाई न मिलने पर क्या करते ?
2. आपकी स्कूल में तबियत खराब होने पर आपका सहयोग कौन करता है ? अपने साथ घटी घटना को साझा करें।
3. क्या आपने कभी अपने परिवार के किसी सदस्य की तबियत खराब होने पर उनकी देखभाल की है? कैसे और किसकी?
4. क्या आपने कभी किसी की परेशानी को जाने बिना कुछ ऐसा किया है जिससे उनको बुरा लगा हो? ऎसी किसी घटना को साझा करें।
घर जाकर देखो, पूछो,समझो: (विद्यार्थियों के लिए)
- घर जाकर इस कहानी को अपने परिवार में सुनाएँ और परिवार के अन्य सदस्यों के विचार व अनुभव जानें।
- आपने कितने लोगों को दूसरों की मदद करते हुए देखा है ?आपके परिवार के लोग अपने परिवार के सदस्यों के अलावा और किस-किस की मदद करते हैं?
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
- कक्षा में पिछले दिन की कहानी की एक बार पूरी तरह से कक्षा में पुनरावृत्ति की जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।( पुनरावृत्ति के लिए कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं।)
- घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
- पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है जो पिछले दिन अनुपस्थित रहे हों या समय की कमी के कारण प्रश्नों के उत्तर न दे पाए हों।
1. क्या आपने स्कूल में किसी ऐसे बच्चे की देखभाल (गिरने या चोट लगने पर) की है जिसे आप नहीं जानते थे? आपने उनकी देखभाल कैसे की ?साझा करें।
2. स्कूल में आप अपने साथियों का ध्यान कैसे कैसे रख सकते हैं ?
3. यदि आपके बीमार होने पर आपकी देखभाल न की जाए तो आपको कैसा लगेगा? चर्चा करें।
4. क्या आपने कभी अपने परिवार में किसी व्यक्ति की देखभाल की है?साझा करें।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें
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- बेहतर भविष्य की ओर
- सौ रूपए का नोट
- एहसास
- अखबार
- इनाम
- माँ की देखभाल
- कमज़ोर प्रदर्शन
- कहानी मैं सुनाऊँगी
- गुल्लक
- मेरा लकी (Lucky) पेन
- नानी के लड्डू
- मनजीत के घर में पिकनिक
- मैं सबसे तेज़ दौड़ना चाहती हूँ
- स्वादिष्ट कस्टर्ड
- बड़े भैया का जन्मदिन
- संगत का प्रभाव
- एक जला पराँठा
- छोटी सी कोशिश
- टम टम और उसका ड्रम
- रोहन का बग़ीचा
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