उद्देश्य: विद्यार्थी दुनिया को बदलने के लिए आवश्यक छोटे-छोटे प्रयासों के महत्त्व को समझने में सक्षम होंगे साथ ही जीने दो और जियो की भावना से भी प्रेरित होंगे।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
हर रविवार की सुबह की तरह प्रदीप अपने पापा के साथ जॉगिंग करते-करते कोने वाली झील के किनारे पहुँच गया। उसकी निगाह झील के दूसरी ओर गई उसने देखा कि वहाँ एक लड़की झील में कुछ खोज रही है। उसकी जिज्ञासा बढ़ गई थी, वहाँ पहुँच कर उसने सवाल किया, “दीदी!आप यह क्या कर रही हैं?"
“मैं इस झील के ऊपर तैरते पत्ते, पॉलीथिन,प्लास्टिक और काँच की बोतलें हटा रही हूँ।” मैं इन मछलियों को जीने देना चाहती हूँ इसलिए झील से इन चीज़ों को साफ़ करके इन मछलियों की थोड़ी सी मदद करती हूं। “पानी मे पड़े काँच और प्लास्टिक की बोतल, पॉलीथिन, पत्ते और कचरा, मछलियों की पानी में तैरने की क्षमता को कम करता है, क्योंकि इससे पानी में सूरज की किरणें ठीक से नहीं पहुँच पातीं और मछलियों को पर्याप्त हवा भी नहीं मिल पाती।
प्रदीप ने हिचकिचाते हुए कहा, “आपके अकेले ऐसा करने से क्या ये झील साफ़ हो जाएगी? आपके इस प्रयास से कोई बड़ा अंतर पड़ेगा क्या”? लड़की ने उसके प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि जिस स्थान की मैं सफाई कर रही हूँ उस जगह की मछलियों के जीवन में तो मेरे प्रयास से अंतर पड़ेगा। दुनिया के सारे बदलावों की शुरूआत इसी प्रकार की एक ‘छोटी सी कोशिश’ से ही होती है।” उस लड़की का उत्तर सुनकर प्रदीप भी वहाँ बैठ गया और पानी पर तैरते पत्ते हटाने लगा।
अगले रविवार जब प्रदीप और उसके साथी पार्क में आए तो उनके हाथ में पोस्टर थे, जिन पर लिखा था “जीने दो और जियो, झील साफ़ रखने में हमारी मदद करें!, इसमें कूड़ा-कचरा और प्लास्टिक के रैपर न डालें!”
चर्चा की दिशा:
हमारी दुनिया में बहुत से बदलाव होते रहे हैं और होते रहेंगे। कुछ प्रयास बड़े होते हैं तो कुछ छोटे। शिक्षक चर्चा के प्रश्नों के द्वारा बच्चों का ध्यान इस ओर ले जाएँ कि हमें “जीने दो से जियो’’ की भावना का ध्यान रखते हुए इस तरह के बदलाव करने हैं जिसमें हम दूसरों को जीने दें तो हम खुद भी जिएँ । प्रकृति में सभी घटक (पेड़,पौधे, जीव जंतु आदि) एक दूसरे के पूरक होते हैं एक के बिना दूसरे का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है।
विद्यार्थियों को चर्चा के प्रश्नों द्वारा इस ओर भी ले जाएँ कि छोटे छोटे सार्थक प्रयास करने से बड़े और सार्थक बदलाव की ओर बढ़ा जा सकता है।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न
1. यदि आप प्रदीप की जगह होते तो आप उस लड़की का सहयोग कैसे कर सकते थे?
2. क्या आप ऐसे काम बता सकते हो जो आप आने वाले समय में करना चाहोगे ?साझा करें।
3. क्या एक इंसान का झील को साफ़ करने के लिए पहल करना सही था?
4. आप अपने घर या विद्यालय को साफ रखने में मदद कैसे कर सकते हो? अपने साथी के साथ चर्चा कर के साझा करो।
घर जाकर देखो, पूछो,समझो: (विद्यार्थियों के लिए)
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
1. क्या आप अपनी कुछ आदतों में सुधार करके कोई बदलाव ला सकते हो? जैसे छुट्टी के समय कक्षा को खाली करते समय बिजली का स्विच ऑफ करना।
2. क्या आपने अपने आसपास कुछ नई चीजों को होते देखा है? अपने साथी से चर्चा करके साझा करें।
3. आपको अपने विद्यालय में क्या-क्या बदलाव होते दिखाई देते हैं। साझा करें।
4. आप अपने आसपास कौन- कौन से बदलाव करना चाहते हो और क्यों? चर्चा करके साझा करें।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें
------------------------------------
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
हर रविवार की सुबह की तरह प्रदीप अपने पापा के साथ जॉगिंग करते-करते कोने वाली झील के किनारे पहुँच गया। उसकी निगाह झील के दूसरी ओर गई उसने देखा कि वहाँ एक लड़की झील में कुछ खोज रही है। उसकी जिज्ञासा बढ़ गई थी, वहाँ पहुँच कर उसने सवाल किया, “दीदी!आप यह क्या कर रही हैं?"
“मैं इस झील के ऊपर तैरते पत्ते, पॉलीथिन,प्लास्टिक और काँच की बोतलें हटा रही हूँ।” मैं इन मछलियों को जीने देना चाहती हूँ इसलिए झील से इन चीज़ों को साफ़ करके इन मछलियों की थोड़ी सी मदद करती हूं। “पानी मे पड़े काँच और प्लास्टिक की बोतल, पॉलीथिन, पत्ते और कचरा, मछलियों की पानी में तैरने की क्षमता को कम करता है, क्योंकि इससे पानी में सूरज की किरणें ठीक से नहीं पहुँच पातीं और मछलियों को पर्याप्त हवा भी नहीं मिल पाती।
प्रदीप ने हिचकिचाते हुए कहा, “आपके अकेले ऐसा करने से क्या ये झील साफ़ हो जाएगी? आपके इस प्रयास से कोई बड़ा अंतर पड़ेगा क्या”? लड़की ने उसके प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि जिस स्थान की मैं सफाई कर रही हूँ उस जगह की मछलियों के जीवन में तो मेरे प्रयास से अंतर पड़ेगा। दुनिया के सारे बदलावों की शुरूआत इसी प्रकार की एक ‘छोटी सी कोशिश’ से ही होती है।” उस लड़की का उत्तर सुनकर प्रदीप भी वहाँ बैठ गया और पानी पर तैरते पत्ते हटाने लगा।
अगले रविवार जब प्रदीप और उसके साथी पार्क में आए तो उनके हाथ में पोस्टर थे, जिन पर लिखा था “जीने दो और जियो, झील साफ़ रखने में हमारी मदद करें!, इसमें कूड़ा-कचरा और प्लास्टिक के रैपर न डालें!”
चर्चा की दिशा:
हमारी दुनिया में बहुत से बदलाव होते रहे हैं और होते रहेंगे। कुछ प्रयास बड़े होते हैं तो कुछ छोटे। शिक्षक चर्चा के प्रश्नों के द्वारा बच्चों का ध्यान इस ओर ले जाएँ कि हमें “जीने दो से जियो’’ की भावना का ध्यान रखते हुए इस तरह के बदलाव करने हैं जिसमें हम दूसरों को जीने दें तो हम खुद भी जिएँ । प्रकृति में सभी घटक (पेड़,पौधे, जीव जंतु आदि) एक दूसरे के पूरक होते हैं एक के बिना दूसरे का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है।
विद्यार्थियों को चर्चा के प्रश्नों द्वारा इस ओर भी ले जाएँ कि छोटे छोटे सार्थक प्रयास करने से बड़े और सार्थक बदलाव की ओर बढ़ा जा सकता है।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न
1. यदि आप प्रदीप की जगह होते तो आप उस लड़की का सहयोग कैसे कर सकते थे?
2. क्या आप ऐसे काम बता सकते हो जो आप आने वाले समय में करना चाहोगे ?साझा करें।
3. क्या एक इंसान का झील को साफ़ करने के लिए पहल करना सही था?
4. आप अपने घर या विद्यालय को साफ रखने में मदद कैसे कर सकते हो? अपने साथी के साथ चर्चा कर के साझा करो।
घर जाकर देखो, पूछो,समझो: (विद्यार्थियों के लिए)
- घर जाकर इस कहानी को अपने परिवार में सुनाएँ और परिवार के अन्य सदस्यों के विचार व अनुभव जानें।
- आप अपने आस पास ऐसे लोगो को देखिये जो छोटे छोटे कदम एक बड़े बदलाव के लिए उठा रहे हैं ? ( जैसे - किसी को शिक्षित करने में सहायता करना)
- अपने माता-पिता से बात करके मौखिक सूची बनाएँ कि आप अपने घर तथा आस-पास अपने माता पिता के साथ मिलकर कौन कौन से बदलाव कर सकते हैं जैसे ब्रश करते समय नल बंद रखना आदि।
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
- कक्षा में पिछले दिन की कहानी की एक बार पूरी तरह से कक्षा में पुनरावृत्ति की जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।( पुनरावृत्ति के लिए कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं।)
- घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
- पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है जो पिछले दिन अनुपस्थित रहे हों या समय की कमी के कारण प्रश्नों के उत्तर न दे पाए हों।
1. क्या आप अपनी कुछ आदतों में सुधार करके कोई बदलाव ला सकते हो? जैसे छुट्टी के समय कक्षा को खाली करते समय बिजली का स्विच ऑफ करना।
2. क्या आपने अपने आसपास कुछ नई चीजों को होते देखा है? अपने साथी से चर्चा करके साझा करें।
3. आपको अपने विद्यालय में क्या-क्या बदलाव होते दिखाई देते हैं। साझा करें।
4. आप अपने आसपास कौन- कौन से बदलाव करना चाहते हो और क्यों? चर्चा करके साझा करें।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें
------------------------------------
- बेहतर भविष्य की ओर
- सौ रूपए का नोट
- एहसास
- अखबार
- इनाम
- माँ की देखभाल
- कमज़ोर प्रदर्शन
- कहानी मैं सुनाऊँगी
- गुल्लक
- मेरा लकी (Lucky) पेन
- नानी के लड्डू
- मनजीत के घर में पिकनिक
- मैं सबसे तेज़ दौड़ना चाहती हूँ
- स्वादिष्ट कस्टर्ड
- बड़े भैया का जन्मदिन
- संगत का प्रभाव
- एक जला पराँठा
- छोटी सी कोशिश
- टम टम और उसका ड्रम
- रोहन का बग़ीचा
No comments:
Post a Comment