उद्देश्य: बच्चों का ध्यान इस ओर जाए कि हर व्यक्ति को एक समान सफलता मिले ये ज़रुरी नहीं, किन्तु प्रयास करते रहने से सफलता मिलने के अवसर बढ़ जाते हैं।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी
मेधावी और ख्याति दोनों सात वर्षीय जुड़वाँ बहनें थीं। जैसी फ्रॉक मेधावी के लिए बनती, वैसे ही ख्याति के लिए भी। जैसा स्कूल बैग मेधावी के लिए आता, वैसा ही ख्याति के लिए भी। दोनों एक ही कक्षा में पढ़ती थीं।
एक दिन विद्यालय में दौड़ का आयोजन हुआ। दौड़ में मेधावी जीत गई, ख्याति थोड़ा पीछे रह गई। स्कूल में मेधावी को इनाम के तौर पर दो पेन का सैट मिला। ख्याति ने निराश होकर धीमे से अपनी माँ से पूछा, अम्मा क्या जो पीछे रह जाता है उसे इनाम नहीं मिलता? तभी मेधावी बोल पड़ी,” हाँ अम्मा दौड़ पूरी करने के लिए मेहनत तो ख्याति ने भी की थी। ” यह कहते हुए मेधावी ने अपना एक पेन ख्याति को दे दिया।
इस बात से अम्मा का हृदय गद्गद हो उठा और उसने दोनों बेटियों को अपने हृदय से लगा लिया । ख्याति को पेन देने के बाद मेधावी के चेहरे पर संतोष के भाव स्पष्ट दिखाई दे रहे थे।
चर्चा की दिशा:
कई बच्चे किसी भी कार्य में अथक प्रयास करने के बाद भी सफल नहीं हो पाते लेकिन उनके साथी उतना ही प्रयास करने के बाद सफल हो जाते हैं। इसके कारण कई बार बच्चों में निराशा की भावना आ जाती है। लेकिन यह भी सच है कि हर व्यक्ति केवल अकेले ही हर किसी प्रतियोगिता को नहीं जीत सकता। जैसे कई प्रतियोगिताएँ सामूहिक होती हैं उनमें पूरे समूह का सहयोग जरूरी होता है। चर्चा के प्रश्नों द्वारा बच्चों का ध्यान इस ओर ले जाना कि स्वयं प्रयास करना , दूसरों को सहयोग देना और सफल होना सभी महत्त्वपूर्ण हैं।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न
1. क्या कभी ऐसा हुआ कि आपको पूरा प्रयास करने पर भी इच्छा के अनुसार सफलता नहीं मिली हो। साझा करें।
2. आप मेधावी की जगह होते तो अपनी बहन के साथ कैसा व्यवहार करते?अपने साथी के साथ चर्चा करके साझा करें।
3. क्या हम हर एक प्रतियोगिता को जीत सकते हैं ?
4. कक्षा में सभी विद्यार्थी अच्छे अंक लाना चाहते हैं। यह कैसे संभव है?(एक दूसरे के साथ प्रतियोगिता( Competition) करके या सहयोग Cooperation ) करके
घर जाकर देखो, पूछो,समझो: (विद्यार्थियों के लिए)
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
1. आप ख्याति की जगह होते तो क्या करते ?
2. आपने और आपके मित्र ने खूब मेहनत की ,आपके मित्र को तो सफलता मिली किन्तु आपको नहीं। तब आपको कैसा लगा ?
3. आप अपनी सफलता का श्रेय किस-किस को देते हैं और क्यों ? कोई घटना साझा करें।
4. यदि आप किसी कार्य में सफल नहीं होते तो उसके क्या-क्या कारण हो सकते हैं?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें
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समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी
मेधावी और ख्याति दोनों सात वर्षीय जुड़वाँ बहनें थीं। जैसी फ्रॉक मेधावी के लिए बनती, वैसे ही ख्याति के लिए भी। जैसा स्कूल बैग मेधावी के लिए आता, वैसा ही ख्याति के लिए भी। दोनों एक ही कक्षा में पढ़ती थीं।
एक दिन विद्यालय में दौड़ का आयोजन हुआ। दौड़ में मेधावी जीत गई, ख्याति थोड़ा पीछे रह गई। स्कूल में मेधावी को इनाम के तौर पर दो पेन का सैट मिला। ख्याति ने निराश होकर धीमे से अपनी माँ से पूछा, अम्मा क्या जो पीछे रह जाता है उसे इनाम नहीं मिलता? तभी मेधावी बोल पड़ी,” हाँ अम्मा दौड़ पूरी करने के लिए मेहनत तो ख्याति ने भी की थी। ” यह कहते हुए मेधावी ने अपना एक पेन ख्याति को दे दिया।
इस बात से अम्मा का हृदय गद्गद हो उठा और उसने दोनों बेटियों को अपने हृदय से लगा लिया । ख्याति को पेन देने के बाद मेधावी के चेहरे पर संतोष के भाव स्पष्ट दिखाई दे रहे थे।
चर्चा की दिशा:
कई बच्चे किसी भी कार्य में अथक प्रयास करने के बाद भी सफल नहीं हो पाते लेकिन उनके साथी उतना ही प्रयास करने के बाद सफल हो जाते हैं। इसके कारण कई बार बच्चों में निराशा की भावना आ जाती है। लेकिन यह भी सच है कि हर व्यक्ति केवल अकेले ही हर किसी प्रतियोगिता को नहीं जीत सकता। जैसे कई प्रतियोगिताएँ सामूहिक होती हैं उनमें पूरे समूह का सहयोग जरूरी होता है। चर्चा के प्रश्नों द्वारा बच्चों का ध्यान इस ओर ले जाना कि स्वयं प्रयास करना , दूसरों को सहयोग देना और सफल होना सभी महत्त्वपूर्ण हैं।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न
1. क्या कभी ऐसा हुआ कि आपको पूरा प्रयास करने पर भी इच्छा के अनुसार सफलता नहीं मिली हो। साझा करें।
2. आप मेधावी की जगह होते तो अपनी बहन के साथ कैसा व्यवहार करते?अपने साथी के साथ चर्चा करके साझा करें।
3. क्या हम हर एक प्रतियोगिता को जीत सकते हैं ?
4. कक्षा में सभी विद्यार्थी अच्छे अंक लाना चाहते हैं। यह कैसे संभव है?(एक दूसरे के साथ प्रतियोगिता( Competition) करके या सहयोग Cooperation ) करके
घर जाकर देखो, पूछो,समझो: (विद्यार्थियों के लिए)
- विद्यार्थियों को घर जाकर इस कहानी पर चर्चा करने और परिवार के अन्य सदस्यों के विचार व अनुभव जानें।
- आप अपने परिवार में देखें कि परिवार के कौन-कौन सदस्य मेहनत करते हैं और कैसे ?
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
- कक्षा में पिछले दिन की कहानी की एक बार पूरी तरह से कक्षा में पुनरावृत्ति की जाए। कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा की जाए, आवश्यकता होने पर शिक्षक उसमें सहयोग कर सकते हैं।( पुनरावृत्ति के लिए कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं।)
- घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
- पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है जो पिछले दिन अनुपस्थित रहे हों या समय की कमी के कारण प्रश्नों के उत्तर न दे पाए हों।
1. आप ख्याति की जगह होते तो क्या करते ?
2. आपने और आपके मित्र ने खूब मेहनत की ,आपके मित्र को तो सफलता मिली किन्तु आपको नहीं। तब आपको कैसा लगा ?
3. आप अपनी सफलता का श्रेय किस-किस को देते हैं और क्यों ? कोई घटना साझा करें।
4. यदि आप किसी कार्य में सफल नहीं होते तो उसके क्या-क्या कारण हो सकते हैं?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें
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- बेहतर भविष्य की ओर
- सौ रूपए का नोट
- एहसास
- अखबार
- इनाम
- माँ की देखभाल
- कमज़ोर प्रदर्शन
- कहानी मैं सुनाऊँगी
- गुल्लक
- मेरा लकी (Lucky) पेन
- नानी के लड्डू
- मनजीत के घर में पिकनिक
- मैं सबसे तेज़ दौड़ना चाहती हूँ
- स्वादिष्ट कस्टर्ड
- बड़े भैया का जन्मदिन
- संगत का प्रभाव
- एक जला पराँठा
- छोटी सी कोशिश
- टम टम और उसका ड्रम
- रोहन का बग़ीचा
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