उद्देश्य: बच्चों का ध्यान इस ओर जाए कि समझने की क्षमता सभी मनुष्यों के पास एक समान है। किसी वस्तु,नियम अथवा घटना को समझने के लिए स्व प्रेरणा की आवश्यकता होती है।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
शानू चौथी कक्षा का विद्यार्थी था।वह अपनी दादी से बहुत प्यार करता था। रोज़ स्कूल में टीचर उसे जो भी पढ़ाती वह दादी को सब बताता। उसकी दादी पढ़ी लिखी नहीं थी। शानू के स्कूल में, कक्षा में, नई-नई कहानियाँ और गतिविधियाँ हो ही रहीं थीं। जब वह दादी को सब बातें बताता तो दादी बहुत खुश होती, और उनका सारा तनाव दूर हो जाता। दादी के पैरो में जब भी दर्द होता शानू सरसों का तेल लगा कर दादी के पैरो को दबाता और उनके पैरों की मालिश करता।
एक दिन दादी ने शानू से पूछा, ”क्या तुम मुझे पढ़ना लिखना सिखा सकते हो?” इतने में दादी के पास बैठी एक दूसरी बूढी महिला बोल पड़ी, ”ए बहन जी,क्या ये तुम्हारी उम्र पढ़ने लिखने की है? तुम पढ़ लिखकर क्या करोगी”? यह सुनकर दादी मायूस हो गईं, लेकिन शानू कहां रुकने वाला था। वह झट से अपने कमरे में गया और एक कॉपी, पेन और चित्रों वाली किताब ले आया, जिस पर अक्षर और शब्द लिखे हुए थे।
दादी की तीव्र इच्छा होने के कारण बहुत ही कम समय में, वह लिखना पढ़ना सीख गईं। शाम को वह अक्सर जब अपनी बुजुर्ग सहेलियों के साथ बैठतीं तो उनको भी पढ़ातीं।एक दिन शानू ने जब यह देखा तो अपनी दादी को गले लगा लिया और बोला, “मेरी दादी तो अब टीचर दादी बन गई।”
चर्चा की दिशा:
हर व्यक्ति समझ सकता है क्योंकि मानव में समझने की असीम क्षमता है। समझने की क्षमता का आयु से कोई सम्बन्ध नहीं है। यदि समझने की इच्छा है तो किसी भी आयु में समझा जा सकता है। समझ आने पर समझाने वाले को ख़ुशी होती है और समझने वाले को भी ख़ुशी होती है।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न:
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
शानू चौथी कक्षा का विद्यार्थी था।वह अपनी दादी से बहुत प्यार करता था। रोज़ स्कूल में टीचर उसे जो भी पढ़ाती वह दादी को सब बताता। उसकी दादी पढ़ी लिखी नहीं थी। शानू के स्कूल में, कक्षा में, नई-नई कहानियाँ और गतिविधियाँ हो ही रहीं थीं। जब वह दादी को सब बातें बताता तो दादी बहुत खुश होती, और उनका सारा तनाव दूर हो जाता। दादी के पैरो में जब भी दर्द होता शानू सरसों का तेल लगा कर दादी के पैरो को दबाता और उनके पैरों की मालिश करता।
एक दिन दादी ने शानू से पूछा, ”क्या तुम मुझे पढ़ना लिखना सिखा सकते हो?” इतने में दादी के पास बैठी एक दूसरी बूढी महिला बोल पड़ी, ”ए बहन जी,क्या ये तुम्हारी उम्र पढ़ने लिखने की है? तुम पढ़ लिखकर क्या करोगी”? यह सुनकर दादी मायूस हो गईं, लेकिन शानू कहां रुकने वाला था। वह झट से अपने कमरे में गया और एक कॉपी, पेन और चित्रों वाली किताब ले आया, जिस पर अक्षर और शब्द लिखे हुए थे।
दादी की तीव्र इच्छा होने के कारण बहुत ही कम समय में, वह लिखना पढ़ना सीख गईं। शाम को वह अक्सर जब अपनी बुजुर्ग सहेलियों के साथ बैठतीं तो उनको भी पढ़ातीं।एक दिन शानू ने जब यह देखा तो अपनी दादी को गले लगा लिया और बोला, “मेरी दादी तो अब टीचर दादी बन गई।”
चर्चा की दिशा:
हर व्यक्ति समझ सकता है क्योंकि मानव में समझने की असीम क्षमता है। समझने की क्षमता का आयु से कोई सम्बन्ध नहीं है। यदि समझने की इच्छा है तो किसी भी आयु में समझा जा सकता है। समझ आने पर समझाने वाले को ख़ुशी होती है और समझने वाले को भी ख़ुशी होती है।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न:
- जब आप कोई नई चीज़ सीखते हो तब आपको कैसा महसूस होता है और क्यों?
- आप शानू के स्थान पर होते तो आप क्या करते तथा क्यों?
- आपको क्या लगता है सभी लोग सीख सकते हैं या नहीं? ऐसा आपको क्यों लगता है?
- पढाई लिखाई का हमारी ज़िन्दगी में क्या महत्व है ? यदि कोई बिना पढ़ा-लिखा है तो उसे किन कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है ? चर्चा करें।
- हमने छोटों को बड़ों से सीखते देखा है, क्या बड़े भी छोटों से कुछ सीखते हैं? कभी आपने ऐसा देखा है तो विस्तार से बताएँ ।
- विद्यार्थियों से घर जाकर इस कहानी पर चर्चा करने और परिवार के अन्य सदस्यों के विचार व अनुभव जानने के लिए कहा जाए।
- अपने आस पास के लोगों से बातचीत करें कि वेकौन-कौन सी नई चीजें सीखना चाहते हैं ?और क्यों?
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
- कक्षा में पिछ्ले दिन की कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं। आवश्यकता पड़ने पर शिक्षक कहानी की पुनरावृत्ति में विद्यार्थियों का सहयोग कर सकते हैं ।
- घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
- पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है जो पिछले दिन अनुपस्थित रहे हों या समय की कमी के कारण प्रश्नों के उत्तर न दे पाएँँ हों।
- किसी ने आपको कोई नई चीज सिखाई तब आपने उनके प्रति आभार कैसे व्यक्त किया?
- क्या कभी आपने किसी को नई चीज सीखने में मदद की है यदि हाँ तो कैसे? साझा करें।
- यदि आप दादी के स्थान पर होते तो आप क्या सीखना चाहते तथा क्यों? साझा करें।
----------------------
- फाइनल मैच
- उपयोगिता ही सौंदर्य
- रूचि की सेवइयाँ
- श्रम का महत्व
- वीडियो गेम
- बुजुर्गो का साथ
- घड़ी की टिक टिक
- एक बाल्टी पानी
- प्राची में बदलाव
- पिता को पत्र
- दादी बनी टीचर दादी
- एक कदम बदलाव की ओर
- सच्ची ख़ुशी जोड़ने में है तोड़ने में नहीं
- भैया! कुछ भी कठिन नहीं
- बिल्लू और गुल्लू
- बदलाव कौन करेगा
- जली हुई रोटी
- गीता मैम से ऊँचा टावर
- एक जूता
- शिक्षा क्यों
- तितली क्यों नहीं उड़ी
No comments:
Post a Comment