उद्देश्य: विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर दिलाना कि खुशी एक दूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़े रहने में है न कि केवल साथ- साथ रहने में।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
"मां, मेरी प्रिय सहेली शालू के पापा ने कहा है कि उनका ट्रांसफर अब उनके गांव में ही हो गया है। शालू को भी गांव के स्कूल में एडमिशन लेना होगा", प्राची ने रोते हुए अपनी मां को बताया। प्राची और शालू चौथी कक्षा की विद्यार्थी थीं। दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी। अपनी पक्की सहेली से बिछुड़ने के बारे में सोचते ही प्राची और उदास हो गई ।
अगले दिन शालू स्कूल नहीं आई। कक्षा टीचर से पता चला कि शालू के पापा ने उसका नाम विद्यालय से कटवा कर गाँव के विद्यालय में लिखवा दिया था। इतनी जल्दी यह सब हो जाएगा, प्राची को इस बात का एहसास न था। उस दिन प्राची ने किसी से भी बात नहीं की। घर पर भी प्राची का व्यवहार कुछ बदला हुआ सा था।
रात को सोने के वक़्त जब उसकी मां ने उसके इस व्यवहार का कारण पूछा तो उसकी आंखे भर आईं और वह मां से गले लगकर सुबक सुबक कर कहने लगी," मेरी प्यारी सहेली शालू, अब मैं उससे कभी नहीं मिल पाऊंगी। वह गांव चली गई है। वहीं पढ़ेगी। क्या हम कुछ नहीं कर सकते? माँ ने उसे समझाया “तुम भी तो अपने दादा दादी से दूर हो, किन्तु उनका प्रेम हमेशा तुम्हारे पास है ही। ऐसे ही शालू का प्रेम तुम्हारे साथ हमेशा बना रहेगा। तुम उसे पत्र लिख सकती हो, उसके लिए मिस यू कार्ड बना सकती हो या फोन पर उससे बात कर सकती हो ।” तुम नए मित्र बनाओ। मां की यह बात सुनकर प्राची खुशी- खुशी शालू के लिए एक “मिस यू” कार्ड बनाने लगी।
चर्चा की दिशा
आम तौर पर देखा जाता है कि यदि परिवार का कोई सदस्य या कोई मित्र किसी कारणवश कहीं दूर चला जाता है। तब हम उदास होते हैं लेकिन ऐसा भी देखने में आता है, कि एक ही घर में साथ -साथ रहते हुए भी कभी कभी आपस में मन मुटाव हो जाता है और खुश रहना मुश्किल हो जाता है, इससे इस ओर ध्यान जाता है कि खुश रहने के लिए साथ- साथ रहने की तुलना में भावनात्मक जुड़ाव अधिक महवपूर्ण है । इस कहानी और चर्चा के माध्यम से, इन बिंदुओं की ओर ध्यान दिलाने का प्रयास है ।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न:
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
"मां, मेरी प्रिय सहेली शालू के पापा ने कहा है कि उनका ट्रांसफर अब उनके गांव में ही हो गया है। शालू को भी गांव के स्कूल में एडमिशन लेना होगा", प्राची ने रोते हुए अपनी मां को बताया। प्राची और शालू चौथी कक्षा की विद्यार्थी थीं। दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी। अपनी पक्की सहेली से बिछुड़ने के बारे में सोचते ही प्राची और उदास हो गई ।
अगले दिन शालू स्कूल नहीं आई। कक्षा टीचर से पता चला कि शालू के पापा ने उसका नाम विद्यालय से कटवा कर गाँव के विद्यालय में लिखवा दिया था। इतनी जल्दी यह सब हो जाएगा, प्राची को इस बात का एहसास न था। उस दिन प्राची ने किसी से भी बात नहीं की। घर पर भी प्राची का व्यवहार कुछ बदला हुआ सा था।
रात को सोने के वक़्त जब उसकी मां ने उसके इस व्यवहार का कारण पूछा तो उसकी आंखे भर आईं और वह मां से गले लगकर सुबक सुबक कर कहने लगी," मेरी प्यारी सहेली शालू, अब मैं उससे कभी नहीं मिल पाऊंगी। वह गांव चली गई है। वहीं पढ़ेगी। क्या हम कुछ नहीं कर सकते? माँ ने उसे समझाया “तुम भी तो अपने दादा दादी से दूर हो, किन्तु उनका प्रेम हमेशा तुम्हारे पास है ही। ऐसे ही शालू का प्रेम तुम्हारे साथ हमेशा बना रहेगा। तुम उसे पत्र लिख सकती हो, उसके लिए मिस यू कार्ड बना सकती हो या फोन पर उससे बात कर सकती हो ।” तुम नए मित्र बनाओ। मां की यह बात सुनकर प्राची खुशी- खुशी शालू के लिए एक “मिस यू” कार्ड बनाने लगी।
चर्चा की दिशा
आम तौर पर देखा जाता है कि यदि परिवार का कोई सदस्य या कोई मित्र किसी कारणवश कहीं दूर चला जाता है। तब हम उदास होते हैं लेकिन ऐसा भी देखने में आता है, कि एक ही घर में साथ -साथ रहते हुए भी कभी कभी आपस में मन मुटाव हो जाता है और खुश रहना मुश्किल हो जाता है, इससे इस ओर ध्यान जाता है कि खुश रहने के लिए साथ- साथ रहने की तुलना में भावनात्मक जुड़ाव अधिक महवपूर्ण है । इस कहानी और चर्चा के माध्यम से, इन बिंदुओं की ओर ध्यान दिलाने का प्रयास है ।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न:
- क्या आपका कोई प्रिय जन कभी आपसे दूर गया है? उस समय आपको कैसा लगा और क्यों? साझा करें
- आप प्राची की जगह होते तो क्या करते तथा क्यों? साझा करें।
- कहीं दूर जाने पर हमें अपने मित्रों की कमी का एहसास क्यों होता है? क्या हमारे मित्रों को भी हमारी कमी का एहसास होता होगा?
- विद्यार्थियों से घर जाकर इस कहानी पर चर्चा करने और परिवार के अन्य सदस्यों के विचार व अनुभव जानने के लिए कहा जाए।
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
- कक्षा में पिछ्ले दिन की कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं। आवश्यकता पड़ने पर शिक्षक कहानी की पुनरावृत्ति में विद्यार्थियों का सहयोग कर सकते हैं ।
- घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
- पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है जो पिछले दिन अनुपस्थित रहे हों या समय की कमी के कारण प्रश्नों के उत्तर न दे पाएँँ हों।
- जब कभी आप उदास होते हैं तब आप अपनी उदासी कैसे दूर करते हैं? साझा करें।
- अपने आस पास ये देखना कि हमारे प्रियजन (मित्र और संबंधी) जब किन्हीं कारणों से हमसे दूर रहते हैं तब उनसे हम कैसे जुड़े रहते हैं। चर्चा करें।
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- फाइनल मैच
- उपयोगिता ही सौंदर्य
- रूचि की सेवइयाँ
- श्रम का महत्व
- वीडियो गेम
- बुजुर्गो का साथ
- घड़ी की टिक टिक
- एक बाल्टी पानी
- प्राची में बदलाव
- पिता को पत्र
- दादी बनी टीचर दादी
- एक कदम बदलाव की ओर
- सच्ची ख़ुशी जोड़ने में है तोड़ने में नहीं
- भैया! कुछ भी कठिन नहीं
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