उद्देश्य: विद्यार्थी आपसी सहयोग के महत्व को समझ पाएँँं और विद्यार्थियों में रचनात्मक सोच का विकास हो पाएँँ।मिलजुल कर कार्य करने से मुश्किल काम भी किए जा सकते हैं।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
एक दिन गीता मैम कक्षा में आईं और बोलीं, “बच्चों! आज हम एक एक्टिविटी करेंगे जिसमें पूरी कक्षा की भागीदारी होगी।”
मैम की बात सुनते ही सभी बच्चे उत्साह से उछल पड़े। राजू ने रीना से पूछा, “तुम इतनी ख़ुश क्यों हो रही हो?” तो रीना बोली, “अरे! भूल गए क्या? गीता मैम की एक्टिविटीज़ कितनी मज़ेदार होती हैं! आज तो बड़ा मज़ा आएगा!” रीना की बात सुन कर राजू के चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसने मैम से पूछा, "मैम हमें करना क्या है?"
मैम बोलीं, " आपको कुछ अख़बार मिलेंगे जिनसे आपको एक ऊँचा टावर बनाना है।"
सुप्रिया ने पूछा, “कितना ऊंचा टावर मैम?” गीता मैम ने जवाब दिया, “मुझसे भी ऊंचा! और इस काम के लिए आपके पास कुल दस मिनट हैं| “
विद्यार्थियों ने फटाफट अपने-अपने अखबार को मोड़ना शुरू किया। दो-चार मिनटों में लगभग हर विद्यार्थी ने अपना-अपना टॉवर बना लिया था। लेकिन किसी का भी टॉवर घुटनों तक भी नहीं पहुँच पा रहा था।
रीना और सुप्रिया एक ही डेस्क पर बैठी थीं। कक्षा के सब विद्यार्थियों की तरह वे दोनों भी परेशान थीं क्योंकि दिए गए दस मिनटों में से सात मिनट गुज़र चुके थे। सुप्रिया का दिमाग़ तेज़ी से चल रहा था। सुप्रिया के दिमाग़ में एक आइडिया आया। उसने फ़ौरन उस विचार को आज़माते हुए अपना टावर उठा कर रीना के टावर पर रख दिया। रीना कुछ समझ पाती उससे पहले ही सुप्रिया ने राजू का टॉवर भी उठाकर रीना के टॉवर पर रख दिया। उन्होंने देखा कि तीनों टॉवर के मिलने से एक ऊँचा टॉवर बन गया था।
सुप्रिया ने थोड़ा सा भी समय नहीं गँवाया और कक्षा के सामने आ कर बोली, "गीता मैम से ऊँचा टॉवर बनाने की तरकीब मिल गई है, हमें सबके टॉवर मिलाने होंगे। " सारी कक्षा को यह बात समझ आ गई थी। सुप्रिया ने अपने टॉवर को कक्षा के बीच में रख दिया। एक-एक करके सभी ने अपने टॉवर उस पर रखने शुरू किए। टॉवर ऊँचा होता जा रहा था। जैसे ही उसका संतुलन बिगड़ने लगता सब मिलकर उसे संभाल लेते। अमन ने सबसे अंत में अपना टॉवर रखा तभी गीता मैम ने घोषणा की, " कक्षा! दस मिनट पूरे होने में बीस सेकेण्ड बचे हैं। " मैम की बात सुनकर कोई भी विद्यार्थी हड़बड़ाया नहीं, क्योंकि वे सब देख रहे थे कि टॉवर की ऊँचाई गीता मैम के क़द से ज़्यादा थी।
चर्चा की दिशा
हम अक्सर देखते हैं कि बच्चे एक दूसरे के साथ प्रतियोगिता करते हैं इसी कारण कुछ ऐसे काम जो कठिन होते हैं बच्चे उन्हें नहीं कर पाते और निराश हो जाते हैं। विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर ले जाना कि मिलजुल कर कार्य करने से मुश्किल काम किये जा सकते हैं। मिलजुल कर कार्य करने से समाधान सरलता से मिल जाता है और सबको खुशी होती है।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न :
1. गीता मैम ने विद्यार्थियों को ऊंचा टावर बनाने की एक्टिविटी क्यों दी होगी?
2. ऊंचा टावर बनाने में कौन सी तरकीब कारगर सिद्ध हुई?
3. कोई ऐसा उदाहरण दें जब आपने दूसरों के साथ मिलकर किसी कार्य को पूरा किया हो।
4. आपको समूह में काम करना सहज लगता है, या अकेले कार्य करना? समूह में कार्य करने के क्या फायदे हैं?
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
दूसरा दिन
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
1. समूह में सहयोग करने का क्या महत्व हो सकता है? चर्चा करें।
2. आपके ऐसे कौन-कौन से मित्र हैं जो मिलजुल कर काम करते है? वे कौन- कौन से काम मिलजुल कर करते है?
3. कुछ ऐसे कार्य बताइए जो अकेले कर पाना मुश्किल है परन्तु मिलकर आराम से हो जाते हैं।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
एक दिन गीता मैम कक्षा में आईं और बोलीं, “बच्चों! आज हम एक एक्टिविटी करेंगे जिसमें पूरी कक्षा की भागीदारी होगी।”
मैम की बात सुनते ही सभी बच्चे उत्साह से उछल पड़े। राजू ने रीना से पूछा, “तुम इतनी ख़ुश क्यों हो रही हो?” तो रीना बोली, “अरे! भूल गए क्या? गीता मैम की एक्टिविटीज़ कितनी मज़ेदार होती हैं! आज तो बड़ा मज़ा आएगा!” रीना की बात सुन कर राजू के चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसने मैम से पूछा, "मैम हमें करना क्या है?"
मैम बोलीं, " आपको कुछ अख़बार मिलेंगे जिनसे आपको एक ऊँचा टावर बनाना है।"
सुप्रिया ने पूछा, “कितना ऊंचा टावर मैम?” गीता मैम ने जवाब दिया, “मुझसे भी ऊंचा! और इस काम के लिए आपके पास कुल दस मिनट हैं| “
विद्यार्थियों ने फटाफट अपने-अपने अखबार को मोड़ना शुरू किया। दो-चार मिनटों में लगभग हर विद्यार्थी ने अपना-अपना टॉवर बना लिया था। लेकिन किसी का भी टॉवर घुटनों तक भी नहीं पहुँच पा रहा था।
रीना और सुप्रिया एक ही डेस्क पर बैठी थीं। कक्षा के सब विद्यार्थियों की तरह वे दोनों भी परेशान थीं क्योंकि दिए गए दस मिनटों में से सात मिनट गुज़र चुके थे। सुप्रिया का दिमाग़ तेज़ी से चल रहा था। सुप्रिया के दिमाग़ में एक आइडिया आया। उसने फ़ौरन उस विचार को आज़माते हुए अपना टावर उठा कर रीना के टावर पर रख दिया। रीना कुछ समझ पाती उससे पहले ही सुप्रिया ने राजू का टॉवर भी उठाकर रीना के टॉवर पर रख दिया। उन्होंने देखा कि तीनों टॉवर के मिलने से एक ऊँचा टॉवर बन गया था।
सुप्रिया ने थोड़ा सा भी समय नहीं गँवाया और कक्षा के सामने आ कर बोली, "गीता मैम से ऊँचा टॉवर बनाने की तरकीब मिल गई है, हमें सबके टॉवर मिलाने होंगे। " सारी कक्षा को यह बात समझ आ गई थी। सुप्रिया ने अपने टॉवर को कक्षा के बीच में रख दिया। एक-एक करके सभी ने अपने टॉवर उस पर रखने शुरू किए। टॉवर ऊँचा होता जा रहा था। जैसे ही उसका संतुलन बिगड़ने लगता सब मिलकर उसे संभाल लेते। अमन ने सबसे अंत में अपना टॉवर रखा तभी गीता मैम ने घोषणा की, " कक्षा! दस मिनट पूरे होने में बीस सेकेण्ड बचे हैं। " मैम की बात सुनकर कोई भी विद्यार्थी हड़बड़ाया नहीं, क्योंकि वे सब देख रहे थे कि टॉवर की ऊँचाई गीता मैम के क़द से ज़्यादा थी।
चर्चा की दिशा
हम अक्सर देखते हैं कि बच्चे एक दूसरे के साथ प्रतियोगिता करते हैं इसी कारण कुछ ऐसे काम जो कठिन होते हैं बच्चे उन्हें नहीं कर पाते और निराश हो जाते हैं। विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर ले जाना कि मिलजुल कर कार्य करने से मुश्किल काम किये जा सकते हैं। मिलजुल कर कार्य करने से समाधान सरलता से मिल जाता है और सबको खुशी होती है।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न :
1. गीता मैम ने विद्यार्थियों को ऊंचा टावर बनाने की एक्टिविटी क्यों दी होगी?
2. ऊंचा टावर बनाने में कौन सी तरकीब कारगर सिद्ध हुई?
3. कोई ऐसा उदाहरण दें जब आपने दूसरों के साथ मिलकर किसी कार्य को पूरा किया हो।
4. आपको समूह में काम करना सहज लगता है, या अकेले कार्य करना? समूह में कार्य करने के क्या फायदे हैं?
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
- अपने घर में देखो कि ऐसेकौन-कौन से सदस्य हैं जो मिलजुल कर काम करते हैं?
- वे कौन-कौन से काम मिलजुल कर करते हैं?
दूसरा दिन
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
- कक्षा में पिछले दिन की कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं। आवश्यकता पड़ने पर शिक्षक कहानी की पुनरावृत्ति में विद्यार्थियों का सहयोग कर सकते हैं ।
- घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
- पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है जो पिछले दिन अनुपस्थित रहे हों या समय की कमी के कारण प्रश्नों के उत्तर न दे पाएँ हों।
1. समूह में सहयोग करने का क्या महत्व हो सकता है? चर्चा करें।
2. आपके ऐसे कौन-कौन से मित्र हैं जो मिलजुल कर काम करते है? वे कौन- कौन से काम मिलजुल कर करते है?
3. कुछ ऐसे कार्य बताइए जो अकेले कर पाना मुश्किल है परन्तु मिलकर आराम से हो जाते हैं।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
----------------------
- फाइनल मैच
- उपयोगिता ही सौंदर्य
- रूचि की सेवइयाँ
- श्रम का महत्व
- वीडियो गेम
- बुजुर्गो का साथ
- घड़ी की टिक टिक
- एक बाल्टी पानी
- प्राची में बदलाव
- पिता को पत्र
- दादी बनी टीचर दादी
- एक कदम बदलाव की ओर
- सच्ची ख़ुशी जोड़ने में है तोड़ने में नहीं
- भैया! कुछ भी कठिन नहीं
- बिल्लू और गुल्लू
- बदलाव कौन करेगा
- जली हुई रोटी
- गीता मैम से ऊँचा टावर
- एक जूता
- शिक्षा क्यों
- तितली क्यों नहीं उड़ी
No comments:
Post a Comment