उद्देश्य: दैनिक जीवन में अपना कार्य अपने आप करने के लिए प्रेरित करना
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
यह घटना उस समय की है जब बाल गंगाधर तिलक और दादा भाई नौरोजी इंग्लैंड में रहते थे। वे दोनों किराए के मकान में एक साथ रहते थे। दादा भाई नौरोजी को काम करने में बहुत ही आनंद आता था। वह सुबह जल्दी उठकर घर को साफ करते थे, पानी के बड़े बड़े बर्तनों को भरते थे, जूतों को पॉलिश करते थे और फिर स्नान करने के बाद अपने कामों में लग जाते थे। बाल गंगाधर तिलक के सोकर उठने तक सब कुछ व्यवस्थित और साफ हो चुका होता था। तिलक जी को लगता कि दादा भाई ने इन सुबह के कार्यों के लिए ज़रूर एक सहायक रखा होगा जो इन सब कामों को कर देता है।
एक दिन तिलक जी जल्दी जाग गए, जब उन्होंने दादा भाई को फर्श की सफाई करते देखा । “अरे! आप सफाई क्यों कर रहे हैं? आज सहायक नहीं आया क्या?" तिलक जी ने दादा भाई नौरोजी से आश्चर्य जाहिर करते हुए पूछा। दादा भाई ने जवाब दिया “तिलक जी हमने कोई सहायक रखा ही नहीं है।” तिलक जी चौंक गए और उन्होंने पूछा "तो फिर सुबह सब काम कौन करता है?” दादा भाई हंसने लगे और हवा में अपने दोनों हाथ उठाए, ये दो हाथ सबसे बड़े सहायक हैं । ये पैसे भी नहीं मांगते हैं और छुट्टियां भी नहीं लेते ।” तिलक जी दादा भाई के शब्दों और कार्यों से काफी प्रेरित हुए। उन्होंने तुरंत अपने सभी कामों को स्वयं करने का और दूसरों पर निर्भर नहीं रहने का फैसला लिया।
चर्चा की दिशा
इस कहानी और प्रश्नों के माध्यम से बच्चों को अपना काम स्वयं करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। जब हम कोई काम स्वयं करते हैं तो हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है जिससे हमें खुशी होती है। किसी काम को करने के लिये आवश्यकता पड़ने पर दूसरों का सहयोग भी लेते हैं।जब हम कोई कार्य स्वयं नहीं कर पाते तब हम दूसरों का सहयोग लेते ही हैं ,तथा जरूरत पड़ने पर दूसरों को सहयोग देते भी हैं।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न
1. ऐसे कौन-कौन से काम हैं जो आप स्वयं करते हैं ?
2. कौन-कौन से ऐसे काम हैं जिन्हे आप स्वयं नहीं कर पाते? उन्हें करने के लिए आप क्या-क्या प्रयास करते हैं?
3. ऐसे कौन-कौन से काम हैं जो आप कर सकते हैं परंतु आप करना नहीं चाहते? ऐसा क्यों?
घर जाकर देखो, पूछो ,समझो (विद्यार्थियों के लिए)
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
1. अपने दैनिक जीवन में आप स्वयंकौन-कौन से कार्य करते हैं? अपना कार्य स्वयं करके आप कैसा महसूस करते हैं?
2. अपने घर के आसपास देखिए कि कितने लोग अपना काम ख़ुशी ख़ुशी करते हैं?
3. अपने शरीर की सफाई की ज़िम्मेदारी आपकी है तो आपके सामान (स्कूल बैग,टेबल,कॉपी, किताबों) की सफाई की ज़िम्मेदारी किसकी है? अपने साथियों के साथ चर्चा करें।
4. आपकी कक्षा की रोज़ सफाई होती है उसके बाद कक्षा की सफाई रखने में आपका क्या सहयोग होता है?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
यह घटना उस समय की है जब बाल गंगाधर तिलक और दादा भाई नौरोजी इंग्लैंड में रहते थे। वे दोनों किराए के मकान में एक साथ रहते थे। दादा भाई नौरोजी को काम करने में बहुत ही आनंद आता था। वह सुबह जल्दी उठकर घर को साफ करते थे, पानी के बड़े बड़े बर्तनों को भरते थे, जूतों को पॉलिश करते थे और फिर स्नान करने के बाद अपने कामों में लग जाते थे। बाल गंगाधर तिलक के सोकर उठने तक सब कुछ व्यवस्थित और साफ हो चुका होता था। तिलक जी को लगता कि दादा भाई ने इन सुबह के कार्यों के लिए ज़रूर एक सहायक रखा होगा जो इन सब कामों को कर देता है।
एक दिन तिलक जी जल्दी जाग गए, जब उन्होंने दादा भाई को फर्श की सफाई करते देखा । “अरे! आप सफाई क्यों कर रहे हैं? आज सहायक नहीं आया क्या?" तिलक जी ने दादा भाई नौरोजी से आश्चर्य जाहिर करते हुए पूछा। दादा भाई ने जवाब दिया “तिलक जी हमने कोई सहायक रखा ही नहीं है।” तिलक जी चौंक गए और उन्होंने पूछा "तो फिर सुबह सब काम कौन करता है?” दादा भाई हंसने लगे और हवा में अपने दोनों हाथ उठाए, ये दो हाथ सबसे बड़े सहायक हैं । ये पैसे भी नहीं मांगते हैं और छुट्टियां भी नहीं लेते ।” तिलक जी दादा भाई के शब्दों और कार्यों से काफी प्रेरित हुए। उन्होंने तुरंत अपने सभी कामों को स्वयं करने का और दूसरों पर निर्भर नहीं रहने का फैसला लिया।
चर्चा की दिशा
इस कहानी और प्रश्नों के माध्यम से बच्चों को अपना काम स्वयं करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। जब हम कोई काम स्वयं करते हैं तो हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है जिससे हमें खुशी होती है। किसी काम को करने के लिये आवश्यकता पड़ने पर दूसरों का सहयोग भी लेते हैं।जब हम कोई कार्य स्वयं नहीं कर पाते तब हम दूसरों का सहयोग लेते ही हैं ,तथा जरूरत पड़ने पर दूसरों को सहयोग देते भी हैं।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न
1. ऐसे कौन-कौन से काम हैं जो आप स्वयं करते हैं ?
2. कौन-कौन से ऐसे काम हैं जिन्हे आप स्वयं नहीं कर पाते? उन्हें करने के लिए आप क्या-क्या प्रयास करते हैं?
3. ऐसे कौन-कौन से काम हैं जो आप कर सकते हैं परंतु आप करना नहीं चाहते? ऐसा क्यों?
घर जाकर देखो, पूछो ,समझो (विद्यार्थियों के लिए)
- विद्यार्थियों से घर जाकर इस कहानी पर चर्चा करने और परिवार के अन्य सदस्यों के विचार व अनुभव जानने के लिए कहा जाए।
- अपने आस पास देखें कि कौन-कौन से लोग अपने कार्य स्वयं करते हैं।
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
- कक्षा में पिछ्ले दिन की कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं। आवश्यकता पड़ने पर शिक्षक कहानी की पुनरावृत्ति में विद्यार्थियों का सहयोग कर सकते हैं ।
- घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
- पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है जो पिछले दिन अनुपस्थित रहे हों या समय की कमी के कारण प्रश्नों के उत्तर न दे पाएँँ हों।
1. अपने दैनिक जीवन में आप स्वयंकौन-कौन से कार्य करते हैं? अपना कार्य स्वयं करके आप कैसा महसूस करते हैं?
2. अपने घर के आसपास देखिए कि कितने लोग अपना काम ख़ुशी ख़ुशी करते हैं?
3. अपने शरीर की सफाई की ज़िम्मेदारी आपकी है तो आपके सामान (स्कूल बैग,टेबल,कॉपी, किताबों) की सफाई की ज़िम्मेदारी किसकी है? अपने साथियों के साथ चर्चा करें।
4. आपकी कक्षा की रोज़ सफाई होती है उसके बाद कक्षा की सफाई रखने में आपका क्या सहयोग होता है?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
----------------------
- फाइनल मैच
- उपयोगिता ही सौंदर्य
- रूचि की सेवइयाँ
- श्रम का महत्व
- वीडियो गेम
- बुजुर्गो का साथ
- घड़ी की टिक टिक
- एक बाल्टी पानी
- प्राची में बदलाव
- पिता को पत्र
- दादी बनी टीचर दादी
- एक कदम बदलाव की ओर
- सच्ची ख़ुशी जोड़ने में है तोड़ने में नहीं
- भैया! कुछ भी कठिन नहीं
- बिल्लू और गुल्लू
- बदलाव कौन करेगा
- जली हुई रोटी
- गीता मैम से ऊँचा टावर
- एक जूता
- शिक्षा क्यों
- तितली क्यों नहीं उड़ी
No comments:
Post a Comment