5. वीडियो गेम

उद्देश्य: विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि गुस्सा किसी परिस्थिति को न संभाल पाने के कारण आता है, गुस्सा करने से आपसी सम्बन्ध बिगड़ते हैं।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

कहानी:
तुलसी के माता-पिता ने उसे एक वीडियो गेम दिया। खेलते खेलते कुछ दिनों में ही, उसको वीडियो गेम की आदत पड़ गई। तुलसी स्कूल से वापस आते ही अपने वीडियो गेम को लेकर बैठ जाती। तुलसी की मां ने उसे समझाया कि वीडियो गेम ज़्यादा खेलना उसकी आँखों के लिए अच्छा नहीं है, पर तुलसी नहीं मानी। अगले दिन तुलसी को उसका वीडियो गेम नहीं मिला तो उसने अपनी माँ से वीडियो गेम के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्होंने वीडियो गेम को बंद कर अलमारी में रख दिया है।
तुलसी अपनी मां से गुस्सा हो गई। वह गुस्से में अपने कमरे में गई और दरवाजा बन्द करके सो गई। अगली सुबह, वह बिना नाश्ता किये और अपनी मां को बिना बताए स्कूल जाने के लिए निकल पड़ी। जैसे ही वह बस स्टॉप पर पहुंची। वहां उसकी मां उसका इंतज़ार कर रही थी। उसकी मां उसके लिए पानी की बोतल और लंच बॉक्स ले कर आई थी, जो तुलसी घर पर भूल गई थी।
पूरे दिन उसका मन पढ़ाई में नहीं लगा क्योंकि वह अपनी मां के व्यवहार के बारे में सोच रही थी। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ।
जब वह घर पहुँची तो माँ ने हमेशा की तरह मुस्कराकर उसका बैग उसके हाथ से ले लियाI यह देख कर वह अपनी माँ के गले लग गई और उसने अपने गलत व्यवहार के लिए माफ़ी मांगी।

चर्चा की दिशा
बच्चों का ध्यान इस ओर जाए कि गुस्से से समस्याओं का समाधान नहीं होता तथा आपसी सम्बन्ध बिगड़ने की संभावना रहती है। आपस में मतभेद होने की स्थिति में समझदारी पूर्वक संवाद करने से स्थाई हल मिलते हैं और सम्बन्ध भी मजबूत होते हैं। यही हमारी ख़ुशी का आधार है।

पहला दिन:

चर्चा के लिए प्रश्न
  • जब आपको किसी काम के लिए मना किया जाता है तब आपकी प्रतिक्रिया कैसी होती है? और क्यों?
  • कोई भी कार्य आप गुस्से में अच्छे से कर पाते है या शांत मन से? अपने साथ घटी किसी घटना को साझा करेंI
  • क्या आप भी कभी अपनी ज़िद को पूरा करने के लिए अपने माता - पिता से नाराज़ हुए हैं? कब और क्यों?
  • क्या कभी ऐसा हुआ है कि आपको आपकी पसंद की चीज़ के लिए मना किया गया हो और आपने कोई प्रतिक्रिया नहीं की?
  • किसी वस्तु को प्राप्त करने से पहले, प्राप्त करने पर, उसके टूटने या खोने के बाद आपकी मानसिक स्थिति पर क्या असर पड़ता है?
घर जाकर देखो, पूछो ,समझो (विद्यार्थियों के लिए)
  • विद्यार्थियों से घर जाकर इस कहानी पर चर्चा करने और परिवार के अन्य सदस्यों के विचार व अनुभव जानने के लिए कहा जाए।
  • अपने आप में तथा अपने परिवार में देखें कि किसी को भी गुस्सा क्यों आता है?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

दूसरा दिन:

कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
  • कक्षा में पिछ्ले दिन की कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं। आवश्यकता पड़ने पर शिक्षक कहानी की पुनरावृत्ति में विद्यार्थियों का सहयोग कर सकते हैं ।
  • घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
  • पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है जो पिछले दिन अनुपस्थित रहे हों या समय की कमी के कारण प्रश्नों के उत्तर न दे पाएँँ हों।
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न
  • क्या कभी आपने किसी को गुस्सा करके अपनी बात मनवाई है? यदि हां, तो उसे कैसा लगा होगा? साझा करें।
  • क्या कभी आपको ऐसा लगा कि जो कार्य करने के लिए आपको मना किया गया वह आपके भले के लिए ही था चर्चा करेंI
  • आपके लिए संबंध(माता पिता, भाई बहन, मित्र) महत्वपूर्ण है या वस्तुएँ। क्यों? चर्चा करें।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

----------------------
  1. फाइनल मैच
  2. उपयोगिता ही सौंदर्य
  3. रूचि की सेवइयाँ
  4. श्रम का महत्व
  5. वीडियो गेम
  6. बुजुर्गो का साथ
  7. घड़ी की टिक टिक
  8. एक बाल्टी पानी
  9. प्राची में बदलाव
  10. पिता को पत्र
  11. दादी बनी टीचर दादी
  12. एक कदम बदलाव की ओर
  13. सच्ची ख़ुशी जोड़ने में है तोड़ने में नहीं
  14. भैया! कुछ भी कठिन नहीं
  15. बिल्लू और गुल्लू
  16. बदलाव कौन करेगा
  17. जली हुई रोटी
  18. गीता मैम से ऊँचा टावर
  19. एक जूता
  20. शिक्षा क्यों
  21. तितली क्यों नहीं उड़ी

No comments:

Post a Comment