उद्देश्य: किसी भी कार्य को करने के पीछे के भाव को समझना।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
रिया स्कूल से घर वापस आई तो उसे बहुत भूख लग रही थी। घर में घुसते ही उसे अपनी मनपसंद सब्ज़ी की ख़ुशबू आई और वह जल्दी से टेबल पर बैठ गई। इसी समय उसकी माँ भी ऑफ़िस से लौटी थीं और वह पसीना पोंछते हुए किचन में जाकर रोटी बनाने लगीं। रिया से इंतज़ार नहीं हुआ और वह भी किचन में माँ के पास चली गई। मां किचन में रोज़ की तरह रोटी बना रही थीं। जल्द ही उन्होंने रिया की प्लेट में रोटी रखी पर रिया ने ग़ुस्से से कहा - " यह क्या है! जली हुई रोटी? मैं पूरे दिन स्कूल में पढ़ाई करके, थकी हुई घर आती हूँ और ठीक से रोटी भी नहीं मिलती। "
माँ चुप रही ,और दूसरी रोटी बनाने लगीं। रिया ने बिना जली रोटी खाई और अपने कमरे में चली गई।
अगले दिन, जब रिया थकी हुई घर लौटी तो उसने देखा कि माँ घर में नहीं थीं। ऑफ़िस में फ़ोन करने पर मालूम पड़ा कि आज माँ को अधिक काम के कारण घर आने में देर होगी। रिया ने कहा कि वह अपनी रोटी स्वयं बना लेगी तो माँ ने कहा - "मेरे लिए भी एक रोटी बना देना।”
माँ के घर आने पर रिया ने झिझकते हुए उनको रोटी परोसी। रोटी जली हुई थी। माँ ने रिया को धन्यवाद देते हुए खुशी- खुशी रोटी और सब्ज़ी खा ली।
रिया को पिछले दिन की घटना याद आई और उसे एहसास हुआ कि उसका माँ के प्रति व्यवहार कितना ग़लत था। जहाँ जली रोटी को देखकर वह इतना नाराज़ हुई,वहीं माँ ने रोटी के पीछे का भाव समझ लिया था। रिया ने अपनी ग़लती जान कर माँ से माफ़ी माँगी और दोनों गले लग गए।
चर्चा की दिशा:
जब हम से गलती होती है तब हम मानते हैं कि मैं तो गलती करना नहीं चाहता मगर गलती से गलती हो गई है । लेकिन जब दूसरों से गलती होती है तब हमें लगता है कि उन्होंने जानबूझ कर गलती की है। इस कहानी और चर्चा से ध्यान इस ओर ले जाने का प्रयास है कि किसी कार्य के परिणाम के साथ साथ उसके पीछे का भाव/नीयत(intention) भी बहुत महत्वपूर्ण है, गलती होने पर भी हमारा ध्यान उस भाव की ओर बना रहे। गलती करने वाला यदि मेरा संबंधी या मित्र है तब मेरा भाव सकारात्मक होता है लेकिन जब गलती करने वाला कोई अपना नहीं होता तो मेरा भाव नकारात्मक होता है।यदि हमारे भाव एक दूसरे के प्रति अच्छे होते हैं तब हमारे सम्बंध भी मधुर होते हैं ।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न:
1. क्या आपके घर में माँ जो भी बनाती हैं आप उसे खुशी खुशी खा लेते हैं? यदि हाँ तो क्यों ?
2. क्या आपके घर में माँ जो भी बनाती हैं आप उसे खुश होकर नहीं खाते?क्या यह ठीक है?
3. क्या दूसरे जानबूझकर ग़लती करते हैं? यदि हां, तो क्या आप उनके भाव/ नीयत को जानने और समझने की कोशिश करते हैं?
4. क्या आप गलती जानबूझ कर करते हैं? यदि हां, तो क्यों? यदि नहीं, तो क्यों?
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
दूसरा दिन
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
1. एक ऐसी घटना की चर्चा करें जब आपने बहुत मेहनत से काम किया हो लेकिन सामने वाले को पसंद न आया हो। उस वक्त आपको कैसा लगा “?आपने क्या प्रतिक्रिया दी?
2. जब आपसे गलती होती है तब आप जानबूझकर करते हैं या बिना जाने हो जाती है। चर्चा करें।
3. जब दूसरों से गलती होती है तब वे जानबूझकर करते हैं या बिना जाने हो जाती है ।चर्चा करें।
4. क्या हम अपनी गलतियों को और दूसरों की गलतियों को एक ही तरह से देखते हैं?
(यदि हां तो क्यों, यदि नहीं तो क्यों) चर्चा करें।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
रिया स्कूल से घर वापस आई तो उसे बहुत भूख लग रही थी। घर में घुसते ही उसे अपनी मनपसंद सब्ज़ी की ख़ुशबू आई और वह जल्दी से टेबल पर बैठ गई। इसी समय उसकी माँ भी ऑफ़िस से लौटी थीं और वह पसीना पोंछते हुए किचन में जाकर रोटी बनाने लगीं। रिया से इंतज़ार नहीं हुआ और वह भी किचन में माँ के पास चली गई। मां किचन में रोज़ की तरह रोटी बना रही थीं। जल्द ही उन्होंने रिया की प्लेट में रोटी रखी पर रिया ने ग़ुस्से से कहा - " यह क्या है! जली हुई रोटी? मैं पूरे दिन स्कूल में पढ़ाई करके, थकी हुई घर आती हूँ और ठीक से रोटी भी नहीं मिलती। "
माँ चुप रही ,और दूसरी रोटी बनाने लगीं। रिया ने बिना जली रोटी खाई और अपने कमरे में चली गई।
अगले दिन, जब रिया थकी हुई घर लौटी तो उसने देखा कि माँ घर में नहीं थीं। ऑफ़िस में फ़ोन करने पर मालूम पड़ा कि आज माँ को अधिक काम के कारण घर आने में देर होगी। रिया ने कहा कि वह अपनी रोटी स्वयं बना लेगी तो माँ ने कहा - "मेरे लिए भी एक रोटी बना देना।”
माँ के घर आने पर रिया ने झिझकते हुए उनको रोटी परोसी। रोटी जली हुई थी। माँ ने रिया को धन्यवाद देते हुए खुशी- खुशी रोटी और सब्ज़ी खा ली।
रिया को पिछले दिन की घटना याद आई और उसे एहसास हुआ कि उसका माँ के प्रति व्यवहार कितना ग़लत था। जहाँ जली रोटी को देखकर वह इतना नाराज़ हुई,वहीं माँ ने रोटी के पीछे का भाव समझ लिया था। रिया ने अपनी ग़लती जान कर माँ से माफ़ी माँगी और दोनों गले लग गए।
चर्चा की दिशा:
जब हम से गलती होती है तब हम मानते हैं कि मैं तो गलती करना नहीं चाहता मगर गलती से गलती हो गई है । लेकिन जब दूसरों से गलती होती है तब हमें लगता है कि उन्होंने जानबूझ कर गलती की है। इस कहानी और चर्चा से ध्यान इस ओर ले जाने का प्रयास है कि किसी कार्य के परिणाम के साथ साथ उसके पीछे का भाव/नीयत(intention) भी बहुत महत्वपूर्ण है, गलती होने पर भी हमारा ध्यान उस भाव की ओर बना रहे। गलती करने वाला यदि मेरा संबंधी या मित्र है तब मेरा भाव सकारात्मक होता है लेकिन जब गलती करने वाला कोई अपना नहीं होता तो मेरा भाव नकारात्मक होता है।यदि हमारे भाव एक दूसरे के प्रति अच्छे होते हैं तब हमारे सम्बंध भी मधुर होते हैं ।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न:
1. क्या आपके घर में माँ जो भी बनाती हैं आप उसे खुशी खुशी खा लेते हैं? यदि हाँ तो क्यों ?
2. क्या आपके घर में माँ जो भी बनाती हैं आप उसे खुश होकर नहीं खाते?क्या यह ठीक है?
3. क्या दूसरे जानबूझकर ग़लती करते हैं? यदि हां, तो क्या आप उनके भाव/ नीयत को जानने और समझने की कोशिश करते हैं?
4. क्या आप गलती जानबूझ कर करते हैं? यदि हां, तो क्यों? यदि नहीं, तो क्यों?
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
- देखो आपके घर में ऐसे कौन- कौन से सदस्य हैं जो एक दूसरे की भावनाओं को समझते हैं?
- देखो वह एक दूसरे की भावनाओं को समझने के लिए क्या- क्या करते हैं?
दूसरा दिन
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
- कक्षा में पिछ्ले दिन की कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं। आवश्यकता पड़ने पर शिक्षक कहानी की पुनरावृत्ति में विद्यार्थियों का सहयोग कर सकते हैं ।
- घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
- पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है जो पिछले दिन अनुपस्थित रहे हों या समय की कमी के कारण प्रश्नों के उत्तर न दे पाएँँ हों।
1. एक ऐसी घटना की चर्चा करें जब आपने बहुत मेहनत से काम किया हो लेकिन सामने वाले को पसंद न आया हो। उस वक्त आपको कैसा लगा “?आपने क्या प्रतिक्रिया दी?
2. जब आपसे गलती होती है तब आप जानबूझकर करते हैं या बिना जाने हो जाती है। चर्चा करें।
3. जब दूसरों से गलती होती है तब वे जानबूझकर करते हैं या बिना जाने हो जाती है ।चर्चा करें।
4. क्या हम अपनी गलतियों को और दूसरों की गलतियों को एक ही तरह से देखते हैं?
(यदि हां तो क्यों, यदि नहीं तो क्यों) चर्चा करें।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
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- फाइनल मैच
- उपयोगिता ही सौंदर्य
- रूचि की सेवइयाँ
- श्रम का महत्व
- वीडियो गेम
- बुजुर्गो का साथ
- घड़ी की टिक टिक
- एक बाल्टी पानी
- प्राची में बदलाव
- पिता को पत्र
- दादी बनी टीचर दादी
- एक कदम बदलाव की ओर
- सच्ची ख़ुशी जोड़ने में है तोड़ने में नहीं
- भैया! कुछ भी कठिन नहीं
- बिल्लू और गुल्लू
- बदलाव कौन करेगा
- जली हुई रोटी
- गीता मैम से ऊँचा टावर
- एक जूता
- शिक्षा क्यों
- तितली क्यों नहीं उड़ी
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