उद्देश्य: विद्यार्थियों का ध्यान प्रकृति से प्राप्त उन आवश्यक वस्तुओं की ओर दिलाना, जिनका उपयोग यदि हम समझदारी से करें तो हम परेशानियों से बच सकते हैं।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
प्रतीक के पापा जबसे ट्रांसफर होकर सपरिवार इस शहर में आए हैं, वे और उनका परिवार पानी की किल्लत से परेशान है। सबसे अधिक परेशानी तो प्रतीक को है। कहाँ तो प्रतीक दिन में दो-तीन बार नहाता था, लेकिन अब तो जैसे एक बाल्टी पानी भी मुश्किल से मिलता है, उस पर भी मम्मी की सौ-सौ हिदायतें। वह कहता, 'पापा, आप हमें कहाँ ले आए? हमें तो वापस ले चलिए।' पापा मुस्कुरा कर रह जाते।
एक दिन जब उसके पापा नहा रहे थे तो अचानक पानी बंद हो गया। पापा ने उसे पानी लेने के लिए पड़ोसी के घर भेजा। प्रतीक अपने पड़ोसी अंकल के घर गया। उसने देखा, आंटी , सब्जियों को अच्छी तरह से पानी से धोकर उसी पानी को घर के पेड़-पौधों में डाल रही थीं। उसने अंकल से एक बाल्टी पानी मांगा। अंकल दाढ़ी बना रहे थे। अचानक प्रतीक का ध्यान वॉश बेसिन के नल पर गया। वह बंद था।
'अंकल, आपके यहां पानी नहीं आ रहा क्या?' प्रतीक ने पूछा।
'आ रहा है बेटा।' कहते हुए उन्होंने वॉश बेसिन का नल खोलकर दिखाया। फिर बोले, 'पर तुम क्यों पूछ रहे हो?'’ अंकल हमारे घर में पानी बंद हो गया है और मुझे भी एक बाल्टी पानी चाहिए।' प्रतीक बोला।
अंकल ने उसे एक बाल्टी पानी दिया। पानी की बाल्टी लाते हुए उसका ध्यान गया कि वह ब्रश करते समय हमेशा नल खुला रखता है। उसने सोचा 'हमारे यहाँ तो बहुत सारा पानी ऐसे ही नाली में बहा दिया जाता है'।
चर्चा की दिशा
बच्चों का ध्यान इस ओर जाए कि प्राकतिक संसाधन (पानी,हवा और मिटटी इत्यादि)पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं, यदि इनका सदुपयोग नहीं किया गया तो आगे आने वाले समय में इनकी कमी हो जाएगी। इस कहानी व प्रश्नों की चर्चा के द्वारा हम बच्चों का ध्यान प्राकृतिक संसाधनो की सुरक्षा कैसे की जाए,इस ओर ले जाएँ ।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
प्रतीक के पापा जबसे ट्रांसफर होकर सपरिवार इस शहर में आए हैं, वे और उनका परिवार पानी की किल्लत से परेशान है। सबसे अधिक परेशानी तो प्रतीक को है। कहाँ तो प्रतीक दिन में दो-तीन बार नहाता था, लेकिन अब तो जैसे एक बाल्टी पानी भी मुश्किल से मिलता है, उस पर भी मम्मी की सौ-सौ हिदायतें। वह कहता, 'पापा, आप हमें कहाँ ले आए? हमें तो वापस ले चलिए।' पापा मुस्कुरा कर रह जाते।
एक दिन जब उसके पापा नहा रहे थे तो अचानक पानी बंद हो गया। पापा ने उसे पानी लेने के लिए पड़ोसी के घर भेजा। प्रतीक अपने पड़ोसी अंकल के घर गया। उसने देखा, आंटी , सब्जियों को अच्छी तरह से पानी से धोकर उसी पानी को घर के पेड़-पौधों में डाल रही थीं। उसने अंकल से एक बाल्टी पानी मांगा। अंकल दाढ़ी बना रहे थे। अचानक प्रतीक का ध्यान वॉश बेसिन के नल पर गया। वह बंद था।
'अंकल, आपके यहां पानी नहीं आ रहा क्या?' प्रतीक ने पूछा।
'आ रहा है बेटा।' कहते हुए उन्होंने वॉश बेसिन का नल खोलकर दिखाया। फिर बोले, 'पर तुम क्यों पूछ रहे हो?'’ अंकल हमारे घर में पानी बंद हो गया है और मुझे भी एक बाल्टी पानी चाहिए।' प्रतीक बोला।
अंकल ने उसे एक बाल्टी पानी दिया। पानी की बाल्टी लाते हुए उसका ध्यान गया कि वह ब्रश करते समय हमेशा नल खुला रखता है। उसने सोचा 'हमारे यहाँ तो बहुत सारा पानी ऐसे ही नाली में बहा दिया जाता है'।
चर्चा की दिशा
बच्चों का ध्यान इस ओर जाए कि प्राकतिक संसाधन (पानी,हवा और मिटटी इत्यादि)पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं, यदि इनका सदुपयोग नहीं किया गया तो आगे आने वाले समय में इनकी कमी हो जाएगी। इस कहानी व प्रश्नों की चर्चा के द्वारा हम बच्चों का ध्यान प्राकृतिक संसाधनो की सुरक्षा कैसे की जाए,इस ओर ले जाएँ ।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न
- क्या आपको भी कभी पानी की कमी का सामना करना पड़ा ? ऐसा होने पर आपने क्या किया? साझा करें।
- पानी को बचाने की आवश्यकता क्यों है ? चर्चा करें।
- आपके घर में पानी का प्रयोग कैसे होता है? चर्चा करें।
- आप प्रतीक की जगह होते तो आप क्या करते और क्यों? साझा करें।
- विद्यार्थियों से घर जाकर इस कहानी पर चर्चा करने और परिवार के अन्य सदस्यों के विचार व अनुभव जानने के लिए कहा जाए।
- आज हम देखेंगे कि क्या हमारे घर तथा आस पास के इलाके में पानी की किल्लत होती है? यदि हाँ, तो आप इस समस्या का समाधान कैसे करते हैं?
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
- कक्षा में पिछ्ले दिन की कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं। आवश्यकता पड़ने पर शिक्षक कहानी की पुनरावृत्ति में विद्यार्थियों का सहयोग कर सकते हैं ।
- घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
- पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है ।जो पिछले दिन अनुपस्थित रहे हों या समय की कमी के कारण प्रश्नों के उत्तर न दे पाएँँ हों।
- आप पानी को बचाने के लिए अपने घर और स्कूल में क्या-क्या कर सकते हैं?चर्चा करके साझा करें।
- पानी के अतिरिक्त और कौन-कौन से पदार्थ हैं जो हमें प्रकृति से प्राप्त होते हैं? जिनका सदुपयोग करना हमारे लिए आवश्यक हैं। चर्चा करें।
- क्या होगा यदि हम प्रकृति से मिलने वाले पदार्थों का सदुपयोग नहीं करेंगे? चर्चा करें।
- प्रकृति से मिलने वाले पदार्थों को सुरक्षित रखने के लिए हम क्या क्या प्रयास कर सकते हैं?
- साफ पानी को गन्दा करना बहुत आसान है,क्या गंदे पानी को साफ करना भी उतना ही आसान है? यदि नहीं तो क्यों?
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- फाइनल मैच
- उपयोगिता ही सौंदर्य
- रूचि की सेवइयाँ
- श्रम का महत्व
- वीडियो गेम
- बुजुर्गो का साथ
- घड़ी की टिक टिक
- एक बाल्टी पानी
- प्राची में बदलाव
- पिता को पत्र
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- भैया! कुछ भी कठिन नहीं
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- गीता मैम से ऊँचा टावर
- एक जूता
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- तितली क्यों नहीं उड़ी
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