उद्देश्य: विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि बिना पूरी बात जाने प्रतिक्रिया देना उचित नहीं है।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
मिशा और उदय चौथी कक्षा में पढ़ते थे। मिशा बहुत अच्छा क्रिकेट खेलती, अपने साथियों की मदद करने के लिए तैयार रहती और पढ़ाई भी करती। इसलिए मिशा सबकी प्रिय थी। ईर्ष्यालु स्वभाव होने के कारण ,यह बात उदय को कभी-कभी परेशान करती। आज क्रिकेट के फाइनल मैच में उनके सेक्शन A को सेक्शन D के साथ खेलना था। मैच के लिए मिशा को मैदान में पहुंचने में देर हो गई। मैच समाप्त होने के बाद कक्षा के अन्य बच्चों ने उससे देर से आने का कारण पूछा। उसके जवाब देने से पहले ही उदय बोल उठा, "मिशा तुम बहुत लापरवाह हो। कम से कम फाइनल मैच में तो समय पर पहुँचती।
उदय जब अपने घर पहुंचा तो उसने देखा कि कई पड़ोसी कमरे में इकट्ठे थे। माँ परेशान लग रही थी, अपने पिता को बिस्तर पर लेटे देख उदय ने माँ से पूछा कि पापा को क्या हुआ है? उसकी माँ ने बताया, "तुम्हारे पापा जब सुबह घूमने गए थे तो वे फुटपाथ पर बेहोश होकर गिर गए और उनके सिर में चोट लग गई। वो तो भला हो मिशा का, जो वहां से गुज़र रही थी। वही मुझे घर पर बताने आई और मैं तुम्हारे पापा को डॉक्टर के पास ले गई, जिससे उनका समय पर इलाज हो पाया।” उदय सोच रहा था, जिसे वह समय पर न आने के लिए उलाहना दे रहा था, उसी के कारण सही समय पर उसके पिताजी का इलाज हो पाया। अगले दिन स्कूल पहुँचकर उसने मिशा को धन्यवाद दिया।
चर्चा की दिशा
किसी के भावों और विचारों को सही अर्थों में ग्रहण करने के लिए आवश्यक है कि धैर्य के साथ उसकी बात सुनी जाए। स्वयं के विचारों को श्रेष्ठ मानना और अपनी बात रखने की जल्दबाजी विचारों के आदान प्रदान में अस्पष्टता और दूरी बढ़ाती है। यह बातचीत या कार्य को सही दिशा देने में बाधक होती है और संबंधों में भी खटास पैदा करती है। इस कहानी पर आधारित चर्चा के माध्यम से विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर ले जाने का प्रयास है।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न
1. क्या आप ऐसी कोई घटना बता सकते हैं जब आपने दूसरे की बात को ध्यान से न सुना हो?(मम्मी- पापा, भाई-बहन, टीचर )
2. क्या आपने दूसरे की बात सुनते समय पूरी बात जानने की कोशिश की? हां तो क्यों?नहीं तो क्यों नहीं?
3. पूरी बात पता लगने पर आपने क्या किया?
4. आप किन किन लोगों की बातों को ध्यान से सुनते हो?!
घर जाकर देखो, पूछो ,समझो (विद्यार्थियों के लिए)
❖ घर जाकर इस कहानी पर चर्चा करने और परिवार के अन्य सदस्यों से उनके विचार व अनुभव जानने का प्रयास करें।
❖ अपने आस पड़ोस में पता करें कि लोग पढ़ने लिखने के बाद समाज के लिए कौन-कौन से काम करते हैं? निरक्षर लोग भी समाज के लिए बहुत कुछ करते हैं? आपने उन्हें समाज के लिए क्या करते हुए देखा है?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
❖ कक्षा में पिछ्ले दिन की कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं। आवश्यकता पड़ने पर शिक्षक कहानी की पुनरावृत्ति में विद्यार्थियों का सहयोग कर सकते हैं ।
❖ घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में सबके साथ साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
❖ पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है जो पिछले दिन अनुपस्थित रहे हों या समय की कमी के कारण प्रश्नों के उत्तर न दे पाए हों।
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न
1. क्या आप पूरे प्रश्न को सुने बिना उसका उत्तर ठीक से दे पाते हैं क्यों या क्यों नहीं?
2. जब कोई आपकी पूरी बात सुने बिना प्रतिक्रिया देता है तो आपको कैसा लगता है? क्यों?
3. आपके संबंध कब बेहतर होते हैं जब आप किसी की पूरी बात सुने बिना प्रतिक्रिया दे देते हैं या जब उसकी बात पूरी सुनकर प्रतिक्रिया देते हैं? क्यों?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
मिशा और उदय चौथी कक्षा में पढ़ते थे। मिशा बहुत अच्छा क्रिकेट खेलती, अपने साथियों की मदद करने के लिए तैयार रहती और पढ़ाई भी करती। इसलिए मिशा सबकी प्रिय थी। ईर्ष्यालु स्वभाव होने के कारण ,यह बात उदय को कभी-कभी परेशान करती। आज क्रिकेट के फाइनल मैच में उनके सेक्शन A को सेक्शन D के साथ खेलना था। मैच के लिए मिशा को मैदान में पहुंचने में देर हो गई। मैच समाप्त होने के बाद कक्षा के अन्य बच्चों ने उससे देर से आने का कारण पूछा। उसके जवाब देने से पहले ही उदय बोल उठा, "मिशा तुम बहुत लापरवाह हो। कम से कम फाइनल मैच में तो समय पर पहुँचती।
उदय जब अपने घर पहुंचा तो उसने देखा कि कई पड़ोसी कमरे में इकट्ठे थे। माँ परेशान लग रही थी, अपने पिता को बिस्तर पर लेटे देख उदय ने माँ से पूछा कि पापा को क्या हुआ है? उसकी माँ ने बताया, "तुम्हारे पापा जब सुबह घूमने गए थे तो वे फुटपाथ पर बेहोश होकर गिर गए और उनके सिर में चोट लग गई। वो तो भला हो मिशा का, जो वहां से गुज़र रही थी। वही मुझे घर पर बताने आई और मैं तुम्हारे पापा को डॉक्टर के पास ले गई, जिससे उनका समय पर इलाज हो पाया।” उदय सोच रहा था, जिसे वह समय पर न आने के लिए उलाहना दे रहा था, उसी के कारण सही समय पर उसके पिताजी का इलाज हो पाया। अगले दिन स्कूल पहुँचकर उसने मिशा को धन्यवाद दिया।
चर्चा की दिशा
किसी के भावों और विचारों को सही अर्थों में ग्रहण करने के लिए आवश्यक है कि धैर्य के साथ उसकी बात सुनी जाए। स्वयं के विचारों को श्रेष्ठ मानना और अपनी बात रखने की जल्दबाजी विचारों के आदान प्रदान में अस्पष्टता और दूरी बढ़ाती है। यह बातचीत या कार्य को सही दिशा देने में बाधक होती है और संबंधों में भी खटास पैदा करती है। इस कहानी पर आधारित चर्चा के माध्यम से विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर ले जाने का प्रयास है।
पहला दिन:
चर्चा के लिए प्रश्न
1. क्या आप ऐसी कोई घटना बता सकते हैं जब आपने दूसरे की बात को ध्यान से न सुना हो?(मम्मी- पापा, भाई-बहन, टीचर )
2. क्या आपने दूसरे की बात सुनते समय पूरी बात जानने की कोशिश की? हां तो क्यों?नहीं तो क्यों नहीं?
3. पूरी बात पता लगने पर आपने क्या किया?
4. आप किन किन लोगों की बातों को ध्यान से सुनते हो?!
घर जाकर देखो, पूछो ,समझो (विद्यार्थियों के लिए)
❖ घर जाकर इस कहानी पर चर्चा करने और परिवार के अन्य सदस्यों से उनके विचार व अनुभव जानने का प्रयास करें।
❖ अपने आस पड़ोस में पता करें कि लोग पढ़ने लिखने के बाद समाज के लिए कौन-कौन से काम करते हैं? निरक्षर लोग भी समाज के लिए बहुत कुछ करते हैं? आपने उन्हें समाज के लिए क्या करते हुए देखा है?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
दूसरा दिन:
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
❖ कक्षा में पिछ्ले दिन की कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, रोल प्ले करना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं। आवश्यकता पड़ने पर शिक्षक कहानी की पुनरावृत्ति में विद्यार्थियों का सहयोग कर सकते हैं ।
❖ घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव कक्षा में सबके साथ साझा करने के अवसर दिए जाएँ।
❖ पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए पुनः किया जा सकता है जो पिछले दिन अनुपस्थित रहे हों या समय की कमी के कारण प्रश्नों के उत्तर न दे पाए हों।
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न
1. क्या आप पूरे प्रश्न को सुने बिना उसका उत्तर ठीक से दे पाते हैं क्यों या क्यों नहीं?
2. जब कोई आपकी पूरी बात सुने बिना प्रतिक्रिया देता है तो आपको कैसा लगता है? क्यों?
3. आपके संबंध कब बेहतर होते हैं जब आप किसी की पूरी बात सुने बिना प्रतिक्रिया दे देते हैं या जब उसकी बात पूरी सुनकर प्रतिक्रिया देते हैं? क्यों?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
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- फाइनल मैच
- उपयोगिता ही सौंदर्य
- रूचि की सेवइयाँ
- श्रम का महत्व
- वीडियो गेम
- बुजुर्गो का साथ
- घड़ी की टिक टिक
- एक बाल्टी पानी
- प्राची में बदलाव
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- एक कदम बदलाव की ओर
- सच्ची ख़ुशी जोड़ने में है तोड़ने में नहीं
- भैया! कुछ भी कठिन नहीं
- बिल्लू और गुल्लू
- बदलाव कौन करेगा
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- गीता मैम से ऊँचा टावर
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