21. तितली क्यों नहीं उड़ी

कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि प्रकृति में व्यवस्था के नियम हैं। व्यवस्था के नियमों को समझ कर उसी के अनुसार भागीदारी करना ही सुख का आधार है I
समय: कम से कम दो दिन अथवा शिक्षक के संतुष्ट होने तक

कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

कहानी:
मनु एक पार्क में बैठा हुआ था। तभी उसे एक पौधे के पत्ते पर कुछ दिखा। पत्ते पर कुछ गोल-गोल सा धीमे-धीमे हिल रहा था। मनु उसे ध्यान से देखता रहा।
एक छोटे से छेद से एक तितली बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी। बहुत देर तक वह उसे ध्यान से देखता रहा। उसे लगा तितली अपने-आप बाहर नहीं निकल पा रही।
मनु ने उसकी मदद करने की सोची। धीरे-धीरे उसने कोकून (खोल जिसमें तितली विकसित होती है) को अपनी उंगली से थोड़ा सा खोल दिया। फिर उसके उडने का इंतज़ार करने लगा । पर वह कमज़ोर सी तितली वहीं पड़ी रही। वह उड़ना तो दूर अपने पंख भी नहीं हिला पा रही थी।
मनु को समझ ही नहीं आया कि मदद करने की जगह उसने उस तितली को नुक़सान पहुँचा दिया था। कोकून से ख़ुद निकल पाना ही उसकी उड़ने की तैयारी थी।
पर अब तितली कभी नहीं उड़ पाएगी। मनु बहुत निराश हुआ और उसने सोचा कि आगे से यदि उसे किसी की मदद करनी होगी तो वह सोच-समझकर ही मदद करेगा।

चर्चा की दिशा :
प्रकृति में सभी इकाईयाँ किसी नियम के साथ स्वनियंत्रित हैं। यह ही व्यवस्था है। यदि हम व्यवस्था के नियमों को समझकर अपने जीवन मे अपना कार्य, व्यवहार और विचार करते हैं तो ही हम व्यवस्था में भागीदारी कर सकते हैं। विद्यार्थियों से चर्चा की जा सकती है कि हम ऐसे कौन-कौन से काम करते हैं जो व्यवस्था के अनुरूप नहीं होते। व्यवस्था के अनुरूप जीने में ही सुख और समाधान है।

पहला दिन:

चर्चा के लिए प्रश्न
1. क्या मनु का ककून को छेड़ना सही था?
2. क्या कभी ऐसा हुआ कि आपने किसी की मदद करने की कोशिश की हो और उसका नुक़सान हो गया हो? ऐसा क्यों हुआ होगा?
3. क्या कभी ऐसा भी हुआ है कि किसी ने आपकी मदद करनी चाही हो, पर आपकी परेशानी बढ़ गई? वैसा क्यों हुआ

कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

घर जाकर देखो, पूछो,समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम ध्यान देंगे कि क्या घर पर एक दूसरे की मदद करने या साथ देने के दौरान किसी को कुछ नुक़सान तो नहीं हुआ।
  • घर जाकर इस कहानी पर चर्चा करें और परिवार के अन्य सदस्यों से उनके विचार व अनुभव जानने का प्रयास करें।
दूसरा दिन:

कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
  • कक्षा में पिछले दिन की कहानी की पुनरावृत्ति विद्यार्थियों द्वारा करवाई जाए। पुनरावृत्ति के लिए एक या कई विद्यार्थियों से कहानी सुनना, रोल प्ले करवाना, जोड़े में एक-दूसरे को कहानी सुनाना आदि विविध तरीके अपनाए जा सकते हैं। आवश्यकता पड़ने पर कहानी की पुनरावृत्ति में विद्यार्थियों का सहयोग करें।
  • घर से मिले फीडबैक को विद्यार्थी छोटे समूहों में साझा करें। कुछ विद्यार्थियों को घर के अनुभव पूरी कक्षा के साथ साझा करने का अवसर दें।
  • पहले दिन के चर्चा के प्रश्नों का प्रयोग उन विद्यार्थियों के लिए करें जो पिछले दिन अनुपस्थित रहे हों या समय की कमी के कारण प्रश्नों के उत्तर न दे पाएँ हों।
चर्चा के लिए कुछ अन्य प्रश्न

1.हम ऐसा क्या कर सकते हैं कि किसी की मदद परेशानी में न बदले?
2.क्या हमें किसी की मदद सोच समझकर करनी चाहिए? क्यों?
3.जब हम प्रकृति में कुछ भी छेड़-छाड़ करते हैं तो क्या होता है?

कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

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  1. फाइनल मैच
  2. उपयोगिता ही सौंदर्य
  3. रूचि की सेवइयाँ
  4. श्रम का महत्व
  5. वीडियो गेम
  6. बुजुर्गो का साथ
  7. घड़ी की टिक टिक
  8. एक बाल्टी पानी
  9. प्राची में बदलाव
  10. पिता को पत्र
  11. दादी बनी टीचर दादी
  12. एक कदम बदलाव की ओर
  13. सच्ची ख़ुशी जोड़ने में है तोड़ने में नहीं
  14. भैया! कुछ भी कठिन नहीं
  15. बिल्लू और गुल्लू
  16. बदलाव कौन करेगा
  17. जली हुई रोटी
  18. गीता मैम से ऊँचा टावर
  19. एक जूता
  20. शिक्षा क्यों
  21. तितली क्यों नहीं उड़ी

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