कहानी का उद्देश्य:
विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि विद्यालय में भी उन्हें अपना मानने वाले हैं और वे वहाँ भी सुरक्षित हैं। शिक्षक भी उनके माता-पिता समान ही स्नेह-प्यार देने वाले हैं।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
रिया अपना नया रंग-बिरंगा बैग उठाकर स्कूल जाने के लिए बहुत उत्सुक थी। मम्मी ने बताया था कि स्कूल में कई तरह के झूले हैं। वहाँ बहुत सारे बच्चों से उसकी दोस्ती होगी और वह सबके साथ मिलकर तरह-तरह के खेल खेलेगी।
जब वह स्कूल जा रही थी तो उसे लग रहा था कि उसका दिन बहुत ही अच्छा बीतने वाला है। परन्तु जैसे ही उसके मम्मी-पापा ने उसका हाथ छोड़ा और कक्षा में जाने का इशारा किया, वह रोने लगी।
(रिया रोई क्यों?)
रिया अभी अकेले जाने के लिए तैयार नहीं थी। तभी एक टीचर ने आकर उसको गोद में लिया और कक्षा में ले गयी।
कुछ दिनों तक रिया स्कूल जाते समय रोती थी। बार-बार मम्मी का हाथ कसके पकड़ लेती और छोड़ने के लिए राज़ी नहीं होती। रोज़ टीचर उसे प्यार से कहानियाँ सुनाते-सुनाते अंदर ले जाती।
और फिर कुछ दिनों बाद…
(आपको क्या लगता है, इसके आगे कहानी में क्या होगा?)
एक दिन खेलते हुए रिया गिर पड़ी और उसे चोट लग गई और वह रोने लगी। उसके दोस्तों ने उसे हाथ पकड़ कर उठाया। तभी उसकी टीचर भागी-भागी आई और रिया को चुप कराने लगी और एक टीचर ने उसकी चोट पर दवा लगा कर पट्टी बांध दी। उसकी कक्षा के बच्चे उसे पकड़ कर कक्षा में ले गए। रिया ने सोचा कि यहाँ स्कूल में तो सब मेरा बहुत ध्यान रखते हैं।
रिया अब रोज़ आराम से, ख़ुशी-ख़ुशी स्कूल जाने लगी। उसे स्कूल में अच्छा लगने लगा। अपनी टीचर और दोस्तों का साथ अच्छा लगने लगा।
उसे अब अपनी टीचर पर भरोसा था कि वह भी उसकी मम्मी की तरह उसका ध्यान रखेगी। अब उसे अपने दोस्तों पर भरोसा था कि वे उसके भाई-बहन की तरह उसके साथ खेलेंगे।
चर्चा के प्रश्न:
1. रिया को स्कूल जाना अच्छा क्यों लगाने लगा ?
2. आपको स्कूल और घर में कौन-कौन अच्छे लगते हैं?
3. आपको किस-किस पर भरोसा है?
4. आपको स्कूल आना कैसा लगता है और क्यो?
5. आपके टीचर आपके लिए क्या-क्या करते हैं?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा :
शिक्षक और विद्यार्थी का संबंध सहज होना और विश्वास-पूर्ण होना बहुत महत्वपूर्ण है। विद्यार्थियों से चर्चा की जा सकती है कि विद्यार्थी और शिक्षक का संबंध कैसे और सहज हो सकता है। शिक्षक भी साझा करें कि वह विद्यार्थियों के साथ प्रेम-पूर्ण संबंध बनाने के लिए क्या-क्या करते हैं और उनको कैसा लगता है।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
हम इस बारे में सोचकर आएँगे कि आपको मुझ में (अध्यापक/अध्यापिका में) क्या अच्छा लगता है और मुझे आप में क्या अच्छा लगता है। कल हम इस बारे में बात करेंगे।
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
रिया अपना नया रंग-बिरंगा बैग उठाकर स्कूल जाने के लिए बहुत उत्सुक थी। मम्मी ने बताया था कि स्कूल में कई तरह के झूले हैं। वहाँ बहुत सारे बच्चों से उसकी दोस्ती होगी और वह सबके साथ मिलकर तरह-तरह के खेल खेलेगी।
जब वह स्कूल जा रही थी तो उसे लग रहा था कि उसका दिन बहुत ही अच्छा बीतने वाला है। परन्तु जैसे ही उसके मम्मी-पापा ने उसका हाथ छोड़ा और कक्षा में जाने का इशारा किया, वह रोने लगी।
(रिया रोई क्यों?)
रिया अभी अकेले जाने के लिए तैयार नहीं थी। तभी एक टीचर ने आकर उसको गोद में लिया और कक्षा में ले गयी।
कुछ दिनों तक रिया स्कूल जाते समय रोती थी। बार-बार मम्मी का हाथ कसके पकड़ लेती और छोड़ने के लिए राज़ी नहीं होती। रोज़ टीचर उसे प्यार से कहानियाँ सुनाते-सुनाते अंदर ले जाती।
और फिर कुछ दिनों बाद…
(आपको क्या लगता है, इसके आगे कहानी में क्या होगा?)
एक दिन खेलते हुए रिया गिर पड़ी और उसे चोट लग गई और वह रोने लगी। उसके दोस्तों ने उसे हाथ पकड़ कर उठाया। तभी उसकी टीचर भागी-भागी आई और रिया को चुप कराने लगी और एक टीचर ने उसकी चोट पर दवा लगा कर पट्टी बांध दी। उसकी कक्षा के बच्चे उसे पकड़ कर कक्षा में ले गए। रिया ने सोचा कि यहाँ स्कूल में तो सब मेरा बहुत ध्यान रखते हैं।
रिया अब रोज़ आराम से, ख़ुशी-ख़ुशी स्कूल जाने लगी। उसे स्कूल में अच्छा लगने लगा। अपनी टीचर और दोस्तों का साथ अच्छा लगने लगा।
उसे अब अपनी टीचर पर भरोसा था कि वह भी उसकी मम्मी की तरह उसका ध्यान रखेगी। अब उसे अपने दोस्तों पर भरोसा था कि वे उसके भाई-बहन की तरह उसके साथ खेलेंगे।
चर्चा के प्रश्न:
1. रिया को स्कूल जाना अच्छा क्यों लगाने लगा ?
2. आपको स्कूल और घर में कौन-कौन अच्छे लगते हैं?
3. आपको किस-किस पर भरोसा है?
4. आपको स्कूल आना कैसा लगता है और क्यो?
5. आपके टीचर आपके लिए क्या-क्या करते हैं?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा :
शिक्षक और विद्यार्थी का संबंध सहज होना और विश्वास-पूर्ण होना बहुत महत्वपूर्ण है। विद्यार्थियों से चर्चा की जा सकती है कि विद्यार्थी और शिक्षक का संबंध कैसे और सहज हो सकता है। शिक्षक भी साझा करें कि वह विद्यार्थियों के साथ प्रेम-पूर्ण संबंध बनाने के लिए क्या-क्या करते हैं और उनको कैसा लगता है।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
हम इस बारे में सोचकर आएँगे कि आपको मुझ में (अध्यापक/अध्यापिका में) क्या अच्छा लगता है और मुझे आप में क्या अच्छा लगता है। कल हम इस बारे में बात करेंगे।
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- मीठा सेब
- राजू का टिफिन बॉक्स
- ख़ुशबूदार रबड़
- नया दोस्त
- गुठली किसकी?
- नोनी की चोट
- चलो बनाएँ पकौड़े
- रानी की गुड़िया
- भैया का रूमाल
- रिया गई स्कूल
- बड़ी बिल्डिंग
- मेरी गुल्लक
- रंग-बिरंगा दरवाज़ा
- संजू का तौलिया
- बिस्कुट किसका?
- हम लोग
- मैं कर सकता हूँ
- डर भगाओ
- वाणी और लाल गुब्बारा
- मुझे अच्छा लगता है
- टूटी पेंसिल
- जॉय की खुशी
- नन्ही बहन
- मेला
- पेन सेट
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