कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों में संवेदनशीलता विकसित हो और वे अपनी ग़लती को पहचान कर स्वीकार कर पाएँ।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
नोनी अभी तीन साल की थी। उसे अपने बड़े भाई उमंग के साथ खेलना बहुत अच्छा लगता था। जो कभी-कभी उसके साथ खेल लेता था।
उमंग जब भी किसी काम से बाहर जाने लगता,
नोनी उसके पीछे भागती रहती थी। “मैं भी भैया के साथ जाऊँगी" बोल-बोल कर ज़िद करती थी।
एक सुबह, नोनी पार्क से रोती हुई घर आई और माँ को अपनी चोट दिखाने लगी।
“देखिए मम्मी! मुझे चोट लग गई।” कहकर रोने लगी।
तभी उमंग भी अंदर आया और बोला, “नोनी तुम्हें चोट तो नहीं लगी!” और मम्मी को बताने लगा, “नोनी मेरे पीछे पीछे स्कूल आ रही थी, तो मैं तेज़ भागने लगा। यह दौड़ते हुए गिर गई।” उमंग बहुत उदास दिख रहा था।
माँ ने नोनी की चोट पर बैंडेड लगा दी। इधर नोनी अपनी आँसू भरी आँखों से उमंग की ओर देख रही थी।
माँ ने नोनी को समझाया, “ नोनी! उमंग स्कूल पढ़ने जाता है। वह आपको अपने स्कूल लेकर नहीं जा सकता।”
नोनी ने मासूमियत से कहा “ मैं भैया के साथ कब स्कूल जाऊँगी?”
न जाने उमंग को क्या हुआ! वह उदास होकर बोला, “मुझे माफ़ करना नोनी! मैं तुम्हें गिराना नहीं चाहता था।”
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1.क्या आपको भी अपने भाई-बहन के साथ खेलना पसंद है? क्यों?
2. नोनी ने माँ को क्यों नहीं बताया कि भाई के कारण वह गिर गई??
3. क्या उमंग से कोई ग़लती हुई थी? उसने पहले ही पूरी बात क्यों नहीं बताई?
4. उमंग ने आख़िर में अपनी ग़लती क्यों मान ली?
5.क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है, जब आपसे कोई ग़लती हुई हो और आपने किसी को नहीं बताया? क्यों?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा :
यदि हमसे कोई ग़लती हो जाती है तो महत्वपूर्ण ग़लती नहीं उस ग़लती को स्वीकार करना है। मानव मूलतः ग़लती नहीं करना चाहता। विद्यार्थियों से चर्चा की जा सकती है कि यदि कोई ग़लती हो भी जाती है तो उस ग़लती को स्वीकारना और उसे न दोहराना महत्वपूर्ण क्यों है। हम ग़लती करना नहीं चाहते, फिर भी हम से ग़लती कैसे और क्यों हो जाती है? अगर किसी दूसरे से कोई ग़लती हो जाती है तो हमें ऐसा क्यों लगता हैं कि उसने वह ग़लती जानबूझकर की होगी।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज घर पर ध्यान देंगे कि जब कभी हमें चोट लगी या नुक़सान हुआ, तो उसमें अपनी ग़लती थी या किसी और की?
आप कब-कब अपनी ग़लती को स्वीकार कर लेते हैं और क्यों?
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
नोनी अभी तीन साल की थी। उसे अपने बड़े भाई उमंग के साथ खेलना बहुत अच्छा लगता था। जो कभी-कभी उसके साथ खेल लेता था।
उमंग जब भी किसी काम से बाहर जाने लगता,
नोनी उसके पीछे भागती रहती थी। “मैं भी भैया के साथ जाऊँगी" बोल-बोल कर ज़िद करती थी।
एक सुबह, नोनी पार्क से रोती हुई घर आई और माँ को अपनी चोट दिखाने लगी।
“देखिए मम्मी! मुझे चोट लग गई।” कहकर रोने लगी।
तभी उमंग भी अंदर आया और बोला, “नोनी तुम्हें चोट तो नहीं लगी!” और मम्मी को बताने लगा, “नोनी मेरे पीछे पीछे स्कूल आ रही थी, तो मैं तेज़ भागने लगा। यह दौड़ते हुए गिर गई।” उमंग बहुत उदास दिख रहा था।
माँ ने नोनी की चोट पर बैंडेड लगा दी। इधर नोनी अपनी आँसू भरी आँखों से उमंग की ओर देख रही थी।
माँ ने नोनी को समझाया, “ नोनी! उमंग स्कूल पढ़ने जाता है। वह आपको अपने स्कूल लेकर नहीं जा सकता।”
नोनी ने मासूमियत से कहा “ मैं भैया के साथ कब स्कूल जाऊँगी?”
न जाने उमंग को क्या हुआ! वह उदास होकर बोला, “मुझे माफ़ करना नोनी! मैं तुम्हें गिराना नहीं चाहता था।”
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1.क्या आपको भी अपने भाई-बहन के साथ खेलना पसंद है? क्यों?
2. नोनी ने माँ को क्यों नहीं बताया कि भाई के कारण वह गिर गई??
3. क्या उमंग से कोई ग़लती हुई थी? उसने पहले ही पूरी बात क्यों नहीं बताई?
4. उमंग ने आख़िर में अपनी ग़लती क्यों मान ली?
5.क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है, जब आपसे कोई ग़लती हुई हो और आपने किसी को नहीं बताया? क्यों?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा :
यदि हमसे कोई ग़लती हो जाती है तो महत्वपूर्ण ग़लती नहीं उस ग़लती को स्वीकार करना है। मानव मूलतः ग़लती नहीं करना चाहता। विद्यार्थियों से चर्चा की जा सकती है कि यदि कोई ग़लती हो भी जाती है तो उस ग़लती को स्वीकारना और उसे न दोहराना महत्वपूर्ण क्यों है। हम ग़लती करना नहीं चाहते, फिर भी हम से ग़लती कैसे और क्यों हो जाती है? अगर किसी दूसरे से कोई ग़लती हो जाती है तो हमें ऐसा क्यों लगता हैं कि उसने वह ग़लती जानबूझकर की होगी।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज घर पर ध्यान देंगे कि जब कभी हमें चोट लगी या नुक़सान हुआ, तो उसमें अपनी ग़लती थी या किसी और की?
आप कब-कब अपनी ग़लती को स्वीकार कर लेते हैं और क्यों?
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- मीठा सेब
- राजू का टिफिन बॉक्स
- ख़ुशबूदार रबड़
- नया दोस्त
- गुठली किसकी?
- नोनी की चोट
- चलो बनाएँ पकौड़े
- रानी की गुड़िया
- भैया का रूमाल
- रिया गई स्कूल
- बड़ी बिल्डिंग
- मेरी गुल्लक
- रंग-बिरंगा दरवाज़ा
- संजू का तौलिया
- बिस्कुट किसका?
- हम लोग
- मैं कर सकता हूँ
- डर भगाओ
- वाणी और लाल गुब्बारा
- मुझे अच्छा लगता है
- टूटी पेंसिल
- जॉय की खुशी
- नन्ही बहन
- मेला
- पेन सेट
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