कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों को यह समझ आए कि ग़लती होने पर समस्या का समाधान रचनात्मक रूप से किया जा सकता है।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
गर्मियों की छुट्टियाँ थी और चिंटू और पिंकी के घर में सफ़ेदी का काम चल रहा था। पेंटर भैया सीढ़ी पर चढ़कर छत पर पेंट कर रहे थे। चिंटू और पिंकी उन्हें बड़े ध्यान से देख रहे थे। चिंटू और पिंकी का भी मन किया कि वो भी पेंटिंग करें। पिंकी बोली, “चिंटू, चल हम भी दरवाज़ा पेंट करते हैं!”
पिंकी बोली, “ “चलो पेंटर भैया से पूछते हैं।” दोनों पेंटर भैया के पास गए और पिंकी बोली “भैया हमें भी पेंट करना है।”
पेंटर भैया बोले “देखो ये पेंट और ब्रश रखा है। तुम पेंट करो मैं तुम दोनों को देखता रहूँगा।” पेंटर भैया अपना काम करने लगे। दोनों ने रंग का एक-एक डिब्बा और ब्रश उठाया। तभी पिंकी बोली, “चिंटू तुम दरवाज़े के एक तरफ़ पेंट करो, मैं दूसरी तरफ़ करती हूँ।”
दोनों बड़े मज़े से पेंट करने लगे। थोड़ी देर बाद चिंटू बोला, “पिंकी दिखा तो तूने कैसा पेंट किया है!” चिंटू ने देखा पिंकी ने तो लाल रंग कर दिया था। चिंटू बोला “अरे पिंकी ये तूने क्या कर दिया? मैंने तो दरवाज़े के दूसरी तरफ़ पीला रंग किया है।” पिंकी बोली, “चिंटू तुमने मुझे बताया क्यों नहीं कि तुम कौन-सा रंग कर रहे हो?”
चिंटू बोला “तुमने भी तो नहीं बताया तुम कौन-सा रंग कर रही हो!”
चिंटू बोला मम्मी पापा आकर डांटेंगे, पिंकी बोली अरे पेंटर भैया भी नाराज़ होंगे। दोनो सोच में पड़ गए अब क्या करें!
तभी पिंकी बोली “ये लो लाल रंग और तुम आधे दरवाज़े पर लाल रंग करो और मुझे पीला रंग दो मैं अपनी तरफ़ के आधे दरवाज़े पर पीला रंग कर दूंगी। ऐसा करने से दरवाज़े पर एक नया डिज़ाइन बन जाएगा!”
दोनों ने दरवाज़ा आधा लाल और आधा पीला रंग दिया।
मम्मी ने जब दरवाज़ा देखा तो वो हैरान रह गई और कहा, “कितने सुंदर रंग है, कितना अच्छा पेंट किया है !” “पर दोनो रंगों के बीच की लाइन ठीक नहीं हैं।” और पेंटर भैया ने कहा “अरे मुझसे अच्छा काम तो तुम दोनों ने कर दिया, मैं तो शायद एक ही रंग का पेंट करता।” फिर पेंटर भैया बोले चलो “इसकी लाइन को ठीक करना तुम दोनों को मैं सिखाता हूँ।” फिर पेंटर भैया ने दोनो को छोटे ब्रश से लाइन को सीधा करना सिखाया।
चर्चा के प्रश्न:
1. चिंटू और पिंकी ने दरवाज़े पर अलग-अलग रंग क्यों कर दिया था?
2. क्या हम सभी से कभी न कभी ग़लती हो जाती है?
3. चिंटू और पिंकी ने अपनी ग़लती कैसे सुधारी?
4. क्या कभी आपके साथ भी ऐसा हुआ है, जब आपसे कोई ग़लती हुई और उसे आपने सुधार लिया?
5. किसी काम को सुधारने में क्या आपने किसी की मदद ली है? कैसे?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा :
किसी भी काम के ग़लत हो जाने पर घबराने से ज़्यादा महत्वपूर्ण यह है कि किस प्रकार उस काम को रचनात्मक सोच द्वारा सुधारा जा सकता है। विद्यार्थियों से चर्चा की जा सकती है कि समस्या से ज्यादा समाधान महत्वपूर्ण है। समाधान ही सुख का आधार है। किसी काम को किसी से समझ कर बेहतर किया जा सकता है।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज घर पर सभी से पूछेंगे कि जब कभी भी कोई ग़लती उनसे हुई तो उन्होंने क्या किया।
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
गर्मियों की छुट्टियाँ थी और चिंटू और पिंकी के घर में सफ़ेदी का काम चल रहा था। पेंटर भैया सीढ़ी पर चढ़कर छत पर पेंट कर रहे थे। चिंटू और पिंकी उन्हें बड़े ध्यान से देख रहे थे। चिंटू और पिंकी का भी मन किया कि वो भी पेंटिंग करें। पिंकी बोली, “चिंटू, चल हम भी दरवाज़ा पेंट करते हैं!”
पिंकी बोली, “ “चलो पेंटर भैया से पूछते हैं।” दोनों पेंटर भैया के पास गए और पिंकी बोली “भैया हमें भी पेंट करना है।”
पेंटर भैया बोले “देखो ये पेंट और ब्रश रखा है। तुम पेंट करो मैं तुम दोनों को देखता रहूँगा।” पेंटर भैया अपना काम करने लगे। दोनों ने रंग का एक-एक डिब्बा और ब्रश उठाया। तभी पिंकी बोली, “चिंटू तुम दरवाज़े के एक तरफ़ पेंट करो, मैं दूसरी तरफ़ करती हूँ।”
दोनों बड़े मज़े से पेंट करने लगे। थोड़ी देर बाद चिंटू बोला, “पिंकी दिखा तो तूने कैसा पेंट किया है!” चिंटू ने देखा पिंकी ने तो लाल रंग कर दिया था। चिंटू बोला “अरे पिंकी ये तूने क्या कर दिया? मैंने तो दरवाज़े के दूसरी तरफ़ पीला रंग किया है।” पिंकी बोली, “चिंटू तुमने मुझे बताया क्यों नहीं कि तुम कौन-सा रंग कर रहे हो?”
चिंटू बोला “तुमने भी तो नहीं बताया तुम कौन-सा रंग कर रही हो!”
चिंटू बोला मम्मी पापा आकर डांटेंगे, पिंकी बोली अरे पेंटर भैया भी नाराज़ होंगे। दोनो सोच में पड़ गए अब क्या करें!
तभी पिंकी बोली “ये लो लाल रंग और तुम आधे दरवाज़े पर लाल रंग करो और मुझे पीला रंग दो मैं अपनी तरफ़ के आधे दरवाज़े पर पीला रंग कर दूंगी। ऐसा करने से दरवाज़े पर एक नया डिज़ाइन बन जाएगा!”
दोनों ने दरवाज़ा आधा लाल और आधा पीला रंग दिया।
मम्मी ने जब दरवाज़ा देखा तो वो हैरान रह गई और कहा, “कितने सुंदर रंग है, कितना अच्छा पेंट किया है !” “पर दोनो रंगों के बीच की लाइन ठीक नहीं हैं।” और पेंटर भैया ने कहा “अरे मुझसे अच्छा काम तो तुम दोनों ने कर दिया, मैं तो शायद एक ही रंग का पेंट करता।” फिर पेंटर भैया बोले चलो “इसकी लाइन को ठीक करना तुम दोनों को मैं सिखाता हूँ।” फिर पेंटर भैया ने दोनो को छोटे ब्रश से लाइन को सीधा करना सिखाया।
चर्चा के प्रश्न:
1. चिंटू और पिंकी ने दरवाज़े पर अलग-अलग रंग क्यों कर दिया था?
2. क्या हम सभी से कभी न कभी ग़लती हो जाती है?
3. चिंटू और पिंकी ने अपनी ग़लती कैसे सुधारी?
4. क्या कभी आपके साथ भी ऐसा हुआ है, जब आपसे कोई ग़लती हुई और उसे आपने सुधार लिया?
5. किसी काम को सुधारने में क्या आपने किसी की मदद ली है? कैसे?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा :
किसी भी काम के ग़लत हो जाने पर घबराने से ज़्यादा महत्वपूर्ण यह है कि किस प्रकार उस काम को रचनात्मक सोच द्वारा सुधारा जा सकता है। विद्यार्थियों से चर्चा की जा सकती है कि समस्या से ज्यादा समाधान महत्वपूर्ण है। समाधान ही सुख का आधार है। किसी काम को किसी से समझ कर बेहतर किया जा सकता है।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज घर पर सभी से पूछेंगे कि जब कभी भी कोई ग़लती उनसे हुई तो उन्होंने क्या किया।
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- मीठा सेब
- राजू का टिफिन बॉक्स
- ख़ुशबूदार रबड़
- नया दोस्त
- गुठली किसकी?
- नोनी की चोट
- चलो बनाएँ पकौड़े
- रानी की गुड़िया
- भैया का रूमाल
- रिया गई स्कूल
- बड़ी बिल्डिंग
- मेरी गुल्लक
- रंग-बिरंगा दरवाज़ा
- संजू का तौलिया
- बिस्कुट किसका?
- हम लोग
- मैं कर सकता हूँ
- डर भगाओ
- वाणी और लाल गुब्बारा
- मुझे अच्छा लगता है
- टूटी पेंसिल
- जॉय की खुशी
- नन्ही बहन
- मेला
- पेन सेट
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