कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों मे एक-दूसरे की विशेषता के प्रति सम्मान का भाव जागृत करना और अपने विश्वास को सुदृढ़ करना कि मैं भी कर सकता हूँ।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
हर्ष पहली कक्षा का छात्र था और आपके जैसा ही एक प्यारा सा बच्चा था। बचपन से ही वह सुन नहीं सकता था। इसी कारण से वह ठीक तरह बोल भी नहीं पाता था। देखने में भी हर्ष एक दम पतला-दुबला और छोटा सा था।
कुछ ही दिन में स्कूल में स्पोर्ट्स डे मनाया जाने वाला था। हर्ष बहुत उत्साहित था क्योंकि वह भी दौड़ में भाग लेना चाहता था। हर्ष टीचर के पास दौड़ में भाग लेने के लिए अपना नाम देने गया तो टीचर ने इशारे से समझाया कि उन्हें डर है कहीं वह गिर न जाए और उसे चोट न लग जाए क्योंकि वह कमज़ोर है।
पर हर्ष का दौड़ में भाग लेने का बहुत मन था। यह देखकर टीचर ने कहा, “अच्छा! तुम भी दौड़ना, पर ध्यान से!”
स्पोर्ट्स डे के दिन, हर्ष दौड़ में भाग लेने स्कूल पहुँच गया। कुछ बच्चे दौड़ की जगह खड़े हुए हर्ष का मज़ाक उड़ा रहे थे, लेकिन हर्ष को उन्हें देखकर लगा कि वो उसे दौड़ मे भाग लेता देखकर ख़ुश हो रहे हैं क्योंकि वो सुन तो सकता नहीं था ।
तभी टीचर ने दौड़ शुरू करने का इशारा किया और सभी बच्चे दौड़ने लगे। हर्ष भी पूरी ताक़त से दौड़ने लगा। दौड़ते-दौड़ते हर्ष ने देखा कि सभी बच्चे तालियाँ बजा रहे हैं और साथ- साथ कुछ चिल्ला भी रहे हैं। हर्ष को लगा कि सारे बच्चे उसके लिए ही तालियाँ बजा रहे हैं। अब हर्ष पूरी ताक़त लगाकर और तेज़ी से दौड़ने लगा। देखते ही देखते हर्ष दौड़ में सबसे आगे निकल गया ।
तभी हर्ष का दोस्त हर्ष के पास आया और इशारे से पूछा कि तुम दौड़ कैसे जीत गए, तुम्हारा तो सब मज़ाक उड़ा रहे थे!”
हर्ष ने और बच्चों की तरफ़ इशारा करते हुए बताया कि ये सब तो मेरे लिए ही ताली बजा रहे थे इसलिए मैं और तेज़ी से दौड़ने लगा।
चर्चा के प्रश्न:
1. अगर आप सुन या बोल न पाएँ तो आपको कैसा लगेगा?
2. क्या कभी आपको ऐसा लगा कि आप कुछ कर सकते हैं, पर दूसरों को भरोसा नहीं है? ऐसे में आपने क्या किया?
3. किसी को प्रोत्साहित करना आपको कैसा लगता है? क्यों?
4. क्या कभी किसी ने आपका मज़ाक उड़ाया है? तब आपने क्या किया?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा :
हम सभी में कोई न कोई विशेषता होती है। एक-दूसरे की विशेषताओं का सम्मान कर पाना और एक-दूसरे का पूरक बन पाना ही सुख का आधार है। विद्यार्थियों से चर्चा की जा सकती है कि वह अपनी और अपने साथियों की विशेषताओं को पहचान कर आपस में एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज घर जाकर ध्यान देंगे कि कभी आपको भी लगा कि कोई काम आप नही कर पाएँगे पर कुछ प्रयास करने पर या किसी के प्रोत्साहित करने पर आप वो काम कर पाए।
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
हर्ष पहली कक्षा का छात्र था और आपके जैसा ही एक प्यारा सा बच्चा था। बचपन से ही वह सुन नहीं सकता था। इसी कारण से वह ठीक तरह बोल भी नहीं पाता था। देखने में भी हर्ष एक दम पतला-दुबला और छोटा सा था।
कुछ ही दिन में स्कूल में स्पोर्ट्स डे मनाया जाने वाला था। हर्ष बहुत उत्साहित था क्योंकि वह भी दौड़ में भाग लेना चाहता था। हर्ष टीचर के पास दौड़ में भाग लेने के लिए अपना नाम देने गया तो टीचर ने इशारे से समझाया कि उन्हें डर है कहीं वह गिर न जाए और उसे चोट न लग जाए क्योंकि वह कमज़ोर है।
पर हर्ष का दौड़ में भाग लेने का बहुत मन था। यह देखकर टीचर ने कहा, “अच्छा! तुम भी दौड़ना, पर ध्यान से!”
स्पोर्ट्स डे के दिन, हर्ष दौड़ में भाग लेने स्कूल पहुँच गया। कुछ बच्चे दौड़ की जगह खड़े हुए हर्ष का मज़ाक उड़ा रहे थे, लेकिन हर्ष को उन्हें देखकर लगा कि वो उसे दौड़ मे भाग लेता देखकर ख़ुश हो रहे हैं क्योंकि वो सुन तो सकता नहीं था ।
तभी टीचर ने दौड़ शुरू करने का इशारा किया और सभी बच्चे दौड़ने लगे। हर्ष भी पूरी ताक़त से दौड़ने लगा। दौड़ते-दौड़ते हर्ष ने देखा कि सभी बच्चे तालियाँ बजा रहे हैं और साथ- साथ कुछ चिल्ला भी रहे हैं। हर्ष को लगा कि सारे बच्चे उसके लिए ही तालियाँ बजा रहे हैं। अब हर्ष पूरी ताक़त लगाकर और तेज़ी से दौड़ने लगा। देखते ही देखते हर्ष दौड़ में सबसे आगे निकल गया ।
तभी हर्ष का दोस्त हर्ष के पास आया और इशारे से पूछा कि तुम दौड़ कैसे जीत गए, तुम्हारा तो सब मज़ाक उड़ा रहे थे!”
हर्ष ने और बच्चों की तरफ़ इशारा करते हुए बताया कि ये सब तो मेरे लिए ही ताली बजा रहे थे इसलिए मैं और तेज़ी से दौड़ने लगा।
चर्चा के प्रश्न:
1. अगर आप सुन या बोल न पाएँ तो आपको कैसा लगेगा?
2. क्या कभी आपको ऐसा लगा कि आप कुछ कर सकते हैं, पर दूसरों को भरोसा नहीं है? ऐसे में आपने क्या किया?
3. किसी को प्रोत्साहित करना आपको कैसा लगता है? क्यों?
4. क्या कभी किसी ने आपका मज़ाक उड़ाया है? तब आपने क्या किया?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा :
हम सभी में कोई न कोई विशेषता होती है। एक-दूसरे की विशेषताओं का सम्मान कर पाना और एक-दूसरे का पूरक बन पाना ही सुख का आधार है। विद्यार्थियों से चर्चा की जा सकती है कि वह अपनी और अपने साथियों की विशेषताओं को पहचान कर आपस में एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज घर जाकर ध्यान देंगे कि कभी आपको भी लगा कि कोई काम आप नही कर पाएँगे पर कुछ प्रयास करने पर या किसी के प्रोत्साहित करने पर आप वो काम कर पाए।
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- मीठा सेब
- राजू का टिफिन बॉक्स
- ख़ुशबूदार रबड़
- नया दोस्त
- गुठली किसकी?
- नोनी की चोट
- चलो बनाएँ पकौड़े
- रानी की गुड़िया
- भैया का रूमाल
- रिया गई स्कूल
- बड़ी बिल्डिंग
- मेरी गुल्लक
- रंग-बिरंगा दरवाज़ा
- संजू का तौलिया
- बिस्कुट किसका?
- हम लोग
- मैं कर सकता हूँ
- डर भगाओ
- वाणी और लाल गुब्बारा
- मुझे अच्छा लगता है
- टूटी पेंसिल
- जॉय की खुशी
- नन्ही बहन
- मेला
- पेन सेट
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