कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि परस्परता में वस्तुओं से अधिक महत्त्वपूर्ण संबंध हैं।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
स्कूल के मैदान में एक बेंच पर अजय और कविता बैठे थे।
अजय ने देखा कि बेंच पर एक बिस्कुट का पैकेट रखा था।
“अरे ये तो मेरा पैकेट है! मम्मी ने सुबह मेरे बैग में रखा था।”
उसने झट से उसमें से एक बिस्कुट खा लिया।
कविता ने भी उसमें से एक बिस्कुट खा लिया।
दोनों खेलते-खेलते बिस्कुट खा रहे थे। कुछ ही देर में आधा पैकेट ख़ाली हो गया था।
अजय ने सोचा, “अब अपने बचे हुए बिस्कुट मुझे अकेले खाने चाहिए।”
उसने उस पैकेट को उठाकर अपनी जेब में भर लिया।
उसने जैसे ही जेब में हाथ डाला, उसने पाया कि मम्मी वाला बिस्कुट का पैकेट तो उसकी जेब में ही था।
अजय को तब समझ आया की जिस पैकेट में से उन्होंने बिस्कुट खाए वो तो कविता का था!
अब उसने दोनों पैकेट जेब से निकाल कर बेंच पर रख दिए और दोनों बिस्कुट खाते-खाते खेलने लगे।
चर्चा के प्रश्न:
1- अजय ने आधा बिस्कुट का पैकेट जेब में क्यों रख लिया?
2- कविता ने अजय को क्यों नहीं बताया कि वो पैकेट उसका था?
3- क्या आपको अपनी चीज़ें दूसरों के साथ मिल कर प्रयोग करना अच्छा लगता है?
4- यदि आपके पास सामान कम हो, क्या तो भी आप उसे किसी से साझा करते हैं?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा :
किसी भी वस्तु से अधिक महत्वपूर्ण संबंध होता है। जब संबंधों की स्वीकृति होती है तो हम विश्वास के साथ जीते हैं और वस्तुओं को साझा करने के प्रति सहज हो जाते हैं। इससे संबंधों में उभय तृप्ति (दोनो को संतोष) का एहसास भी होता है। विद्यार्थियों से चर्चा की जा सकती है कि जब हम विभिन्न वस्तुओं को अपने संबंधों में साझा करते हैं, तब हमें कैसा महसूस होता है? क्या यह भी हमारे सुख का आधार है?
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज कोशिश करें कि घर पर सब साथ बैठकर खाना खाएँ। इस दौरान ग़ौर करें कि क्या सभी एक- दूसरे का ख़याल रख रहे हैं।
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
स्कूल के मैदान में एक बेंच पर अजय और कविता बैठे थे।
अजय ने देखा कि बेंच पर एक बिस्कुट का पैकेट रखा था।
“अरे ये तो मेरा पैकेट है! मम्मी ने सुबह मेरे बैग में रखा था।”
उसने झट से उसमें से एक बिस्कुट खा लिया।
कविता ने भी उसमें से एक बिस्कुट खा लिया।
दोनों खेलते-खेलते बिस्कुट खा रहे थे। कुछ ही देर में आधा पैकेट ख़ाली हो गया था।
अजय ने सोचा, “अब अपने बचे हुए बिस्कुट मुझे अकेले खाने चाहिए।”
उसने उस पैकेट को उठाकर अपनी जेब में भर लिया।
उसने जैसे ही जेब में हाथ डाला, उसने पाया कि मम्मी वाला बिस्कुट का पैकेट तो उसकी जेब में ही था।
अजय को तब समझ आया की जिस पैकेट में से उन्होंने बिस्कुट खाए वो तो कविता का था!
अब उसने दोनों पैकेट जेब से निकाल कर बेंच पर रख दिए और दोनों बिस्कुट खाते-खाते खेलने लगे।
चर्चा के प्रश्न:
1- अजय ने आधा बिस्कुट का पैकेट जेब में क्यों रख लिया?
2- कविता ने अजय को क्यों नहीं बताया कि वो पैकेट उसका था?
3- क्या आपको अपनी चीज़ें दूसरों के साथ मिल कर प्रयोग करना अच्छा लगता है?
4- यदि आपके पास सामान कम हो, क्या तो भी आप उसे किसी से साझा करते हैं?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा :
किसी भी वस्तु से अधिक महत्वपूर्ण संबंध होता है। जब संबंधों की स्वीकृति होती है तो हम विश्वास के साथ जीते हैं और वस्तुओं को साझा करने के प्रति सहज हो जाते हैं। इससे संबंधों में उभय तृप्ति (दोनो को संतोष) का एहसास भी होता है। विद्यार्थियों से चर्चा की जा सकती है कि जब हम विभिन्न वस्तुओं को अपने संबंधों में साझा करते हैं, तब हमें कैसा महसूस होता है? क्या यह भी हमारे सुख का आधार है?
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज कोशिश करें कि घर पर सब साथ बैठकर खाना खाएँ। इस दौरान ग़ौर करें कि क्या सभी एक- दूसरे का ख़याल रख रहे हैं।
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- मीठा सेब
- राजू का टिफिन बॉक्स
- ख़ुशबूदार रबड़
- नया दोस्त
- गुठली किसकी?
- नोनी की चोट
- चलो बनाएँ पकौड़े
- रानी की गुड़िया
- भैया का रूमाल
- रिया गई स्कूल
- बड़ी बिल्डिंग
- मेरी गुल्लक
- रंग-बिरंगा दरवाज़ा
- संजू का तौलिया
- बिस्कुट किसका?
- हम लोग
- मैं कर सकता हूँ
- डर भगाओ
- वाणी और लाल गुब्बारा
- मुझे अच्छा लगता है
- टूटी पेंसिल
- जॉय की खुशी
- नन्ही बहन
- मेला
- पेन सेट
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