कहानी का उद्देश्य: अपने सहयोगियों की पहचान कर पाना एवं संबंधों को मधुरता की तरफ ले जाना।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
संजू ने दीवार पर टंगी घड़ी की तरफ देखा। 7:30 बज चुके थे। वह नहाने के लिए भागा। जब नहाना हो गया तो उसका ध्यान गया कि तौलिया तो वह लाया ही नहीं! उसने पुकारा, “मम्मी!, तौलिया!”
दरवाज़ा ज़रा सा खोलकर उसने हाथ बढ़ाया। किसी ने उसके हाथ में तौलिया पकड़ा दिया। वह बाहर निकला और देखा मम्मी तो रसोई में है फिर तौलिया किसने पकड़ाया?
अगले दिन उसे तौलिया ले जाना याद था। पर वह जानबूझकर नहीं ले गया। उसने बाथरूम से आज फिर पुकारा, “मम्मी!, तौलिया!” पर उसने इस बार हाथ की घड़ी से पहचान लिया -“अरे! ये तो दीदी है!” उसने दीदी से दो दिन से ‘कुट्टी’* कर रखी थी। वह बाहर निकला और सीधे दीदी के पास गया और बोला, “दीदी!, थैंक यू!”
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. क्या आपकी भी कभी किसी से ‘कुट्टी’ हुई है? (क्या कभी नाराज़गी के कारण किसी से आपकी बोल-चाल बंद हुई है?) किस बात पर?
2. फिर आपकी बोलचाल कैसे शुरू हुई?
3. किसी से नाराज़ होकर रहने पर आपको कैसा लगता है? और क्यों?
4. किसी की नाराज़गी दूर करने के लिए आप क्या करते हैं?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा :
संवाद बंद करना समस्या का समाधान नहीं है। बातचीत के अवसर उपलब्ध होने से ही नाराज़गी दूर करने या समस्या का समाधान ढूंढने में मदद मिलेगी। वैसे भी नाराज़गी के पल ख़ुद को भी दुःख देते हैं। इस चर्चा के माध्यम से विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए और वे नाराज़गी दूर करने के लिए पहल करने की कोशिश करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम पूरे दिन इस बात पर ध्यान देंगे कि कोई मुझसे या मैं किसी से नाराज़ तो नहीं हुआ। यदि हुआ तो क्यों हुआ? वह नाराज़गी दूर कैसे हुई?
*कुट्टी - बोलचाल बंद करना
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
संजू ने दीवार पर टंगी घड़ी की तरफ देखा। 7:30 बज चुके थे। वह नहाने के लिए भागा। जब नहाना हो गया तो उसका ध्यान गया कि तौलिया तो वह लाया ही नहीं! उसने पुकारा, “मम्मी!, तौलिया!”
दरवाज़ा ज़रा सा खोलकर उसने हाथ बढ़ाया। किसी ने उसके हाथ में तौलिया पकड़ा दिया। वह बाहर निकला और देखा मम्मी तो रसोई में है फिर तौलिया किसने पकड़ाया?
अगले दिन उसे तौलिया ले जाना याद था। पर वह जानबूझकर नहीं ले गया। उसने बाथरूम से आज फिर पुकारा, “मम्मी!, तौलिया!” पर उसने इस बार हाथ की घड़ी से पहचान लिया -“अरे! ये तो दीदी है!” उसने दीदी से दो दिन से ‘कुट्टी’* कर रखी थी। वह बाहर निकला और सीधे दीदी के पास गया और बोला, “दीदी!, थैंक यू!”
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. क्या आपकी भी कभी किसी से ‘कुट्टी’ हुई है? (क्या कभी नाराज़गी के कारण किसी से आपकी बोल-चाल बंद हुई है?) किस बात पर?
2. फिर आपकी बोलचाल कैसे शुरू हुई?
3. किसी से नाराज़ होकर रहने पर आपको कैसा लगता है? और क्यों?
4. किसी की नाराज़गी दूर करने के लिए आप क्या करते हैं?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा :
संवाद बंद करना समस्या का समाधान नहीं है। बातचीत के अवसर उपलब्ध होने से ही नाराज़गी दूर करने या समस्या का समाधान ढूंढने में मदद मिलेगी। वैसे भी नाराज़गी के पल ख़ुद को भी दुःख देते हैं। इस चर्चा के माध्यम से विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए और वे नाराज़गी दूर करने के लिए पहल करने की कोशिश करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम पूरे दिन इस बात पर ध्यान देंगे कि कोई मुझसे या मैं किसी से नाराज़ तो नहीं हुआ। यदि हुआ तो क्यों हुआ? वह नाराज़गी दूर कैसे हुई?
*कुट्टी - बोलचाल बंद करना
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- मीठा सेब
- राजू का टिफिन बॉक्स
- ख़ुशबूदार रबड़
- नया दोस्त
- गुठली किसकी?
- नोनी की चोट
- चलो बनाएँ पकौड़े
- रानी की गुड़िया
- भैया का रूमाल
- रिया गई स्कूल
- बड़ी बिल्डिंग
- मेरी गुल्लक
- रंग-बिरंगा दरवाज़ा
- संजू का तौलिया
- बिस्कुट किसका?
- हम लोग
- मैं कर सकता हूँ
- डर भगाओ
- वाणी और लाल गुब्बारा
- मुझे अच्छा लगता है
- टूटी पेंसिल
- जॉय की खुशी
- नन्ही बहन
- मेला
- पेन सेट
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