कहानी का उद्देश्य: दूसरों की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील होकर सहयोग के लिए प्रेरित करना।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
जॉय और उसके दोस्त उस वक़्त पढ़ाई में मस्त थे। तभी बड़ी तेज़ आँधी आई। आँधी आने के कारण स्कूल का मैदान बहुत गंदा हो गया।
बच्चों ने सोचा कि क्यों न मिलकर मैदान साफ़ किया जाए। उन्होंने अपने कक्षा टीचर के सामने अपना विचार रखा। टीचर और बच्चे, सभी मैदान में आकर काम में जुट गए।
सभी एक-एक करके काग़ज़ के टुकड़े, पन्नी, पत्ते, टहनियाँ... उठाने लगे। जॉय भी मैदान को साफ़ करने के लिए बहुत मेहनत कर रहा था। इधर सूरज तेज़ चमक रहा था। सब पसीने से भीग गए थे। जॉय को बहुत तेज़ प्यास लगी। वह टीचर को बताकर पानी पीने के लिए चला गया।
कुछ देर बाद किसी ने टीचर को आकर बताया - “सर! सर! जॉय को गए हुए बहुत देर हो गई!”
(आपको क्या लगता है जॉय को देर क्यों हो रही होगी?)
‘सर’ ने ज़रा पीछे हटकर देखा तो जॉय कई बोतलों में पानी लिए सबको संभालते हुए उनकी ओर बढ़ रहा था।
‘सर’ के मुँह से निकला, “वह रहा जॉय!” दो बच्चे दौड़ कर उसके पास गए और गिर रही बोतलों को संभाला।
‘सर’ ने जॉय से मुस्कुराकर कहा, “जॉय! ये सब क्या है?"
जॉय बोला, "सर, सफ़ाई करते-करते सब थक गए थे। मेरी तरह इन्हें भी प्यास लगी होगी। मैंने सोचा, सब पानी पीने जाएँ, इससे बढ़िया मैं ही सबके लिए लेता चलूँ!”
पानी पीकर सभी का चेहरा खिल उठा। जॉय के साथ सभी बच्चे और उनके टीचर वापिस सफ़ाई में लग गए।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. जॉय को क्यों लगा कि अन्य बच्चों को भी प्यास लगी होगी?
2. जब जॉय सबके लिए पानी लाया तो सभी बच्चों को कैसा लगा होगा?
3. क्या कभी आपको ज़रूरत पड़ने पर आपके दोस्त ने आपकी मदद की है? कैसे?
4. क्या आपने किसी की ख़ुशी के लिए कभी कुछ किया है? यदि हाँ, तो क्या किया, बताएँ। (इस प्रश्न के तहत बच्चों का ध्यान- दूसरों के मदद माँगे बग़ैर भी उनके लिए कुछ करने के भाव पर लेकर जा सकते हैं।)
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा:
जिन्हें भी हम अपना मानते हैं, उनकी आवश्यकताओं और भावनाओं के प्रति हम संवेदनशील होते हैं। उन सबकी ख़ुशी में हमारी स्वयं की ख़ुशी निहित होती है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि चाहे परिवार हो या समाज या प्रकृति, उनके प्रति संवेदनशील व्यक्ति ही उनकी बेहतरी में अपना योगदान देगा। इस कहानी के माध्यम से की गई चर्चा विद्यार्थियों में ऐसी संवेदनशीलता विकसित करे जो उन्हें आपसी सहयोग की ओर ले जाए।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम ध्यान देंगे कि बिना मदद माँगे हमारी ज़रूरतों का ध्यान कौन-कौन रखता है और कैसे?
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
जॉय और उसके दोस्त उस वक़्त पढ़ाई में मस्त थे। तभी बड़ी तेज़ आँधी आई। आँधी आने के कारण स्कूल का मैदान बहुत गंदा हो गया।
बच्चों ने सोचा कि क्यों न मिलकर मैदान साफ़ किया जाए। उन्होंने अपने कक्षा टीचर के सामने अपना विचार रखा। टीचर और बच्चे, सभी मैदान में आकर काम में जुट गए।
सभी एक-एक करके काग़ज़ के टुकड़े, पन्नी, पत्ते, टहनियाँ... उठाने लगे। जॉय भी मैदान को साफ़ करने के लिए बहुत मेहनत कर रहा था। इधर सूरज तेज़ चमक रहा था। सब पसीने से भीग गए थे। जॉय को बहुत तेज़ प्यास लगी। वह टीचर को बताकर पानी पीने के लिए चला गया।
कुछ देर बाद किसी ने टीचर को आकर बताया - “सर! सर! जॉय को गए हुए बहुत देर हो गई!”
(आपको क्या लगता है जॉय को देर क्यों हो रही होगी?)
‘सर’ ने ज़रा पीछे हटकर देखा तो जॉय कई बोतलों में पानी लिए सबको संभालते हुए उनकी ओर बढ़ रहा था।
‘सर’ के मुँह से निकला, “वह रहा जॉय!” दो बच्चे दौड़ कर उसके पास गए और गिर रही बोतलों को संभाला।
‘सर’ ने जॉय से मुस्कुराकर कहा, “जॉय! ये सब क्या है?"
जॉय बोला, "सर, सफ़ाई करते-करते सब थक गए थे। मेरी तरह इन्हें भी प्यास लगी होगी। मैंने सोचा, सब पानी पीने जाएँ, इससे बढ़िया मैं ही सबके लिए लेता चलूँ!”
पानी पीकर सभी का चेहरा खिल उठा। जॉय के साथ सभी बच्चे और उनके टीचर वापिस सफ़ाई में लग गए।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. जॉय को क्यों लगा कि अन्य बच्चों को भी प्यास लगी होगी?
2. जब जॉय सबके लिए पानी लाया तो सभी बच्चों को कैसा लगा होगा?
3. क्या कभी आपको ज़रूरत पड़ने पर आपके दोस्त ने आपकी मदद की है? कैसे?
4. क्या आपने किसी की ख़ुशी के लिए कभी कुछ किया है? यदि हाँ, तो क्या किया, बताएँ। (इस प्रश्न के तहत बच्चों का ध्यान- दूसरों के मदद माँगे बग़ैर भी उनके लिए कुछ करने के भाव पर लेकर जा सकते हैं।)
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा:
जिन्हें भी हम अपना मानते हैं, उनकी आवश्यकताओं और भावनाओं के प्रति हम संवेदनशील होते हैं। उन सबकी ख़ुशी में हमारी स्वयं की ख़ुशी निहित होती है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि चाहे परिवार हो या समाज या प्रकृति, उनके प्रति संवेदनशील व्यक्ति ही उनकी बेहतरी में अपना योगदान देगा। इस कहानी के माध्यम से की गई चर्चा विद्यार्थियों में ऐसी संवेदनशीलता विकसित करे जो उन्हें आपसी सहयोग की ओर ले जाए।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम ध्यान देंगे कि बिना मदद माँगे हमारी ज़रूरतों का ध्यान कौन-कौन रखता है और कैसे?
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- मीठा सेब
- राजू का टिफिन बॉक्स
- ख़ुशबूदार रबड़
- नया दोस्त
- गुठली किसकी?
- नोनी की चोट
- चलो बनाएँ पकौड़े
- रानी की गुड़िया
- भैया का रूमाल
- रिया गई स्कूल
- बड़ी बिल्डिंग
- मेरी गुल्लक
- रंग-बिरंगा दरवाज़ा
- संजू का तौलिया
- बिस्कुट किसका?
- हम लोग
- मैं कर सकता हूँ
- डर भगाओ
- वाणी और लाल गुब्बारा
- मुझे अच्छा लगता है
- टूटी पेंसिल
- जॉय की खुशी
- नन्ही बहन
- मेला
- पेन सेट
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