कहानी का उद्देश्य: परिवार के किसी बड़े उद्देश्य में सहभागिता की ओर ध्यान जाए और उपयोगिता आधारित कार्य करने की प्रेरणा मिले।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
प्रीति एक बार अपनी सहेली सलमा के घर गई। सलमा ने उसे अपनी गुल्लक दिखाई। प्रीती ने उसे उठाकर देखा...”कितनी भारी है!”...हिलाकर देखा...”कैसी खनक है!”
सलमा ने बताया, “जब भी मुझे कोई पैसे देता है, मैं इसमें डाल देती हूँ। इस इकट्ठे पैसे से मैं अपनी पसंद की खूब सारी चीजें खरीदूंगी।” प्रीति को लगा कि यह तो बड़ा अच्छा विचार है। अब तक तो जब भी किसी रिश्तेदार ने पैसे दिए, उसने उन्हें किसी छोटी-मोटी चीज़ पर खर्च कर दिए।
उसने घर आकर मम्मी से गुल्लक ख़रीदवाई और अब उसे जो भी पैसे मिलते उसे गुल्लक मे डालने लगी। कुछ दिन बाद प्रीति का इस ओर ध्यान गया कि जब भी कोई ज़रूरत होती, मम्मी-पापा उसे वह सामान पहले ही ला देते । कभी पैसों की दिक़्क़त होती तो भी गुल्लक तोड़ने नहीं देते और पैसों का इंतज़ाम होते ही ला देते। एक पल को उसे लगा उसकी गुल्लक तो किसी काम की है ही नहीं!
एक दिन उसने मम्मी-पापा को बात करते सुना कि वे अपना घर ख़रीदने के लिए पैसे जमा कर रहे हैं।
प्रीति ने तय किया कि जब पापा घर लेंगे, तब वो भी अपने जमा किये सारे पैसे पापा को घर ख़रीदने के लिए दे देगी। वह अपनी गुल्लक की खनक अब भी सुनती थी, पर उसका सपना पापा के सपने से जुड़ गया था।
चर्चा के प्रश्न:
1. क्या आपका भी मन करता है कि अपने पैसे अलग से इकट्ठा करें? क्यों या क्यों नहीं?
2. मम्मी पापा आपके लिए क्या-क्या करते हैं?
3. यदि कभी मम्मी या पापा ने आपके मर्ज़ी की चीज़ नहीं ख़रीदी, तो उसका क्या कारण रहा होगा?
4. आप घर के किन कार्यों में सहयोग देते हैं और कैसे?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा :
परिवार मे बहुत सी जिम्मेदारियों का निर्वाह करना होता है, यदि परिवार में सभी अपना छोटा-छोटा सहयोग दें तो बड़े से बड़े काम किये जा सकते हैं। विद्यार्थियों से चर्चा की जा सकती है कि अपने परिवार के किसी बड़े लक्ष्य की पूर्ति में किस प्रकार वह भी सहयोगी हो सकते हैं। परिवार मे सामंजस्य, संबंधों में विश्वास और प्रेम को मज़बूत करता है।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम अपने-अपने घर पर बात करके पता लगाएँगे कि क्या कोई ऐसी चाहत है जो पूरे परिवार की एक ही है।
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
प्रीति एक बार अपनी सहेली सलमा के घर गई। सलमा ने उसे अपनी गुल्लक दिखाई। प्रीती ने उसे उठाकर देखा...”कितनी भारी है!”...हिलाकर देखा...”कैसी खनक है!”
सलमा ने बताया, “जब भी मुझे कोई पैसे देता है, मैं इसमें डाल देती हूँ। इस इकट्ठे पैसे से मैं अपनी पसंद की खूब सारी चीजें खरीदूंगी।” प्रीति को लगा कि यह तो बड़ा अच्छा विचार है। अब तक तो जब भी किसी रिश्तेदार ने पैसे दिए, उसने उन्हें किसी छोटी-मोटी चीज़ पर खर्च कर दिए।
उसने घर आकर मम्मी से गुल्लक ख़रीदवाई और अब उसे जो भी पैसे मिलते उसे गुल्लक मे डालने लगी। कुछ दिन बाद प्रीति का इस ओर ध्यान गया कि जब भी कोई ज़रूरत होती, मम्मी-पापा उसे वह सामान पहले ही ला देते । कभी पैसों की दिक़्क़त होती तो भी गुल्लक तोड़ने नहीं देते और पैसों का इंतज़ाम होते ही ला देते। एक पल को उसे लगा उसकी गुल्लक तो किसी काम की है ही नहीं!
एक दिन उसने मम्मी-पापा को बात करते सुना कि वे अपना घर ख़रीदने के लिए पैसे जमा कर रहे हैं।
प्रीति ने तय किया कि जब पापा घर लेंगे, तब वो भी अपने जमा किये सारे पैसे पापा को घर ख़रीदने के लिए दे देगी। वह अपनी गुल्लक की खनक अब भी सुनती थी, पर उसका सपना पापा के सपने से जुड़ गया था।
चर्चा के प्रश्न:
1. क्या आपका भी मन करता है कि अपने पैसे अलग से इकट्ठा करें? क्यों या क्यों नहीं?
2. मम्मी पापा आपके लिए क्या-क्या करते हैं?
3. यदि कभी मम्मी या पापा ने आपके मर्ज़ी की चीज़ नहीं ख़रीदी, तो उसका क्या कारण रहा होगा?
4. आप घर के किन कार्यों में सहयोग देते हैं और कैसे?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा :
परिवार मे बहुत सी जिम्मेदारियों का निर्वाह करना होता है, यदि परिवार में सभी अपना छोटा-छोटा सहयोग दें तो बड़े से बड़े काम किये जा सकते हैं। विद्यार्थियों से चर्चा की जा सकती है कि अपने परिवार के किसी बड़े लक्ष्य की पूर्ति में किस प्रकार वह भी सहयोगी हो सकते हैं। परिवार मे सामंजस्य, संबंधों में विश्वास और प्रेम को मज़बूत करता है।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम अपने-अपने घर पर बात करके पता लगाएँगे कि क्या कोई ऐसी चाहत है जो पूरे परिवार की एक ही है।
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- मीठा सेब
- राजू का टिफिन बॉक्स
- ख़ुशबूदार रबड़
- नया दोस्त
- गुठली किसकी?
- नोनी की चोट
- चलो बनाएँ पकौड़े
- रानी की गुड़िया
- भैया का रूमाल
- रिया गई स्कूल
- बड़ी बिल्डिंग
- मेरी गुल्लक
- रंग-बिरंगा दरवाज़ा
- संजू का तौलिया
- बिस्कुट किसका?
- हम लोग
- मैं कर सकता हूँ
- डर भगाओ
- वाणी और लाल गुब्बारा
- मुझे अच्छा लगता है
- टूटी पेंसिल
- जॉय की खुशी
- नन्ही बहन
- मेला
- पेन सेट
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