कहानी का उद्देश्य: दूसरे के भाव को समझकर अनुक्रिया (Respond, not react) देने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करना।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
राजू के पापा बाज़ार से जैसे ही लौटे, राजू ने थैले में झाँकना शुरू कर दिया। उसमें राजू को दो सेब मिले। राजू दोनों सेब हाथ में लेकर दौड़ते हुए अपनी बड़ी बहन मीना के पास पहुँचा और हाथ नचाते हुए बोला, “देखो! मेरे पास दो लाल-लाल सेब हैं।”
मीना ने कहा, “एक सेब मुझे दे दो, मैं भी खाऊँगी।”
झट से राजू ने एक सेब दाँतों से एक बार काट खाया। मीना ने दूसरा सेब उससे मांगा। उसने फटाक से दूसरे सेब को भी कुतर लिया।
मीना को यह देखकर क्या लगा होगा? (दो-तीन विद्यार्थियों से जवाब लीजिए)
हाँ! यह देखकर मीना को बुरा लगा, उसने सोचा- “राजू ने तो मुझे सेब खाने के लिए दिया ही नहीं और दोनों सेब जूठे कर दिए।”
क्या मीना ठीक सोच रही थी? राजू ने दोनों सेब क्यों जूठे किए होंगे?
तभी राजू ने पहले वाला सेब मीना को दिया और कहा, “लीजिए, आप ये वाला सेब खाइये, ये ज़्यादा मीठा है।”
मीना ने प्यार से राजू का गाल खींचते हुए कहा “अरे! मेरा भाई तो मेरा कितना ख़याल रखता है!”तुम ये वाला सेब खाओ मैं दूसरा सेब खा लूँगी।!” और मीना राजू से दूसरा सेब लेकर खाने लगी।
चर्चा के प्रश्न:
चर्चा की दिशा :
कभी-कभी हम दूसरे व्यक्ति के भाव को समझे बिना ही अपना विचार बना लेते हैं,जबकि दूसरे व्यक्ति के मन में हमारे प्रति सही भाव ही होता है और हम बिना समझे ही प्रतिक्रिया कर देते हैं।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज घर जाकर हम देखेंगे कि स्कूल में या घर में हमें किस-किस की कौन-सी बातों से बुरा लगा और क्यों लगा?
अगले दिन विद्यार्थियों को अपने अनुभव साझा करने का अवसर दें।
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
राजू के पापा बाज़ार से जैसे ही लौटे, राजू ने थैले में झाँकना शुरू कर दिया। उसमें राजू को दो सेब मिले। राजू दोनों सेब हाथ में लेकर दौड़ते हुए अपनी बड़ी बहन मीना के पास पहुँचा और हाथ नचाते हुए बोला, “देखो! मेरे पास दो लाल-लाल सेब हैं।”
मीना ने कहा, “एक सेब मुझे दे दो, मैं भी खाऊँगी।”
झट से राजू ने एक सेब दाँतों से एक बार काट खाया। मीना ने दूसरा सेब उससे मांगा। उसने फटाक से दूसरे सेब को भी कुतर लिया।
मीना को यह देखकर क्या लगा होगा? (दो-तीन विद्यार्थियों से जवाब लीजिए)
हाँ! यह देखकर मीना को बुरा लगा, उसने सोचा- “राजू ने तो मुझे सेब खाने के लिए दिया ही नहीं और दोनों सेब जूठे कर दिए।”
क्या मीना ठीक सोच रही थी? राजू ने दोनों सेब क्यों जूठे किए होंगे?
तभी राजू ने पहले वाला सेब मीना को दिया और कहा, “लीजिए, आप ये वाला सेब खाइये, ये ज़्यादा मीठा है।”
मीना ने प्यार से राजू का गाल खींचते हुए कहा “अरे! मेरा भाई तो मेरा कितना ख़याल रखता है!”तुम ये वाला सेब खाओ मैं दूसरा सेब खा लूँगी।!” और मीना राजू से दूसरा सेब लेकर खाने लगी।
चर्चा के प्रश्न:
- क्या दोनों सेब जूठे किए बग़ैर भी उनकी मिठास पता लगाई जा सकती थी?
- दोनों और किस तरह से सेब बांट सकते थे?
- जब हम अपने परिवार में दूसरों का ध्यान रखते हैं तो उन्हें कैसा लगता है?
- क्या आपके माता-पिता / भाई-बहन आपका ध्यान रखते हैं? किस प्रकार?
- क्या आप अपने । बहन-भाई/माता-पिता से अपनी चीज़ साझा (share) करते हैं? कौन-कौन सी चीज़ साझा करते हैं?
- क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि पहले आपको किसी की बात का बुरा लगा, पर पूरी बात जानने के बाद आपको अच्छा लगा?
चर्चा की दिशा :
कभी-कभी हम दूसरे व्यक्ति के भाव को समझे बिना ही अपना विचार बना लेते हैं,जबकि दूसरे व्यक्ति के मन में हमारे प्रति सही भाव ही होता है और हम बिना समझे ही प्रतिक्रिया कर देते हैं।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज घर जाकर हम देखेंगे कि स्कूल में या घर में हमें किस-किस की कौन-सी बातों से बुरा लगा और क्यों लगा?
अगले दिन विद्यार्थियों को अपने अनुभव साझा करने का अवसर दें।
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- मीठा सेब
- राजू का टिफिन बॉक्स
- ख़ुशबूदार रबड़
- नया दोस्त
- गुठली किसकी?
- नोनी की चोट
- चलो बनाएँ पकौड़े
- रानी की गुड़िया
- भैया का रूमाल
- रिया गई स्कूल
- बड़ी बिल्डिंग
- मेरी गुल्लक
- रंग-बिरंगा दरवाज़ा
- संजू का तौलिया
- बिस्कुट किसका?
- हम लोग
- मैं कर सकता हूँ
- डर भगाओ
- वाणी और लाल गुब्बारा
- मुझे अच्छा लगता है
- टूटी पेंसिल
- जॉय की खुशी
- नन्ही बहन
- मेला
- पेन सेट
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