कहानी का उद्देश्य: हर समय सजग बने रहने का अभ्यास हो और विद्यार्थी सकारात्मक सोच के लिए प्रेरित हों। विद्यार्थी वस्तुओं की उपयोगिता अपने जीवन में समझ पाएँ।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
6 साल की रानी को अपनी गुड़िया से बहुत प्यार था। वह उसे रोज़ नए-नए कपड़े पहनाती। अपनी पुरानी चूड़ियों से सजाती। उसके माथे पर बिंदी लगाती। उसके बाल सँवारती और उसे अपने साथ ही सुलाती थी।
एक दिन वह गुड़िया के साथ खेल रही थी कि तभी उसे चूड़ी वाले की आवाज़ सुनाई दी। वह दौड़ती हुई बाहर गई और आवाज़ लगाई, “सुनो भैया ज़रा रुकना ” चूड़ीवाला रंग-बिरंगी चूड़ियाँ लिए खड़ा था। रानी ने अपनी गुड़िया के लिए लाल रंग की चूड़ियाँ ली और उनको पैसे दे दिए।
चूड़ी वाले ने कहा, “प्यास लगी है, थोड़ा पानी पिला दो?” रानी ने अपनी गुड़िया को साइड में रख दिया और भैया के लिए पानी लेने चली गई। चूड़ीवाले भैया ने पानी पिया और अपनी टोकरी उठाकर घर चला गया।
अचानक रानी ने देखा कि उसकी गुड़िया बाहर नहीं है तो वह बहुत उदास हो गयी और सोचने लगी - “अरे! मेरी गुड़िया कहाँ गई? मैं अपनी गुड़िया को कहाँ ढूँढूँ?” उसने अपनी प्यारी गुड़िया को हर जगह ढूँढा लेकिन उसे वह कहीं नहीं मिली।
अब शिक्षक विद्यार्थियों से प्रश्न पूछ सकते हैं-
1. अब रानी को कैसा लग रहा होगा?
2. आपको क्या लगता है कि रानी को अपनी गुड़िया वापस मिलेगी?
ढूँढते-ढूँढते वह बहुत थक गयी और जाकर अपने घर के दरवाज़े के पास बैठ गयी। तभी उसकी मम्मी ने रानी को उदास बैठे देखा । मम्मी ने पूछा क्या हुआ? रानी बोली “ मम्मी! मेरी गुड़िया नहीं मिल रही, अभी तो यहीं थी।” मम्मी बोली, “तुम अपनी चीज़ों का ध्यान नहीं रखती हो, कहीं रख कर भूल गई होगी।”
रानी सोचने लगी हां शायद मुझे और सजग हो कर काम करना चाहिए। तभी उसे ध्यान आया कि जब वो चूड़ी वाले भैया के लिए पानी लेने गई थी गुड़िया वहीं रख कर गई थी। शायद भैया ही गुड़िया ले गए होंगे। रानी ने सोचा कि गुड़िया ही तो है, चूड़ी वाले भैया की बेटी भी खेल लेगी।
विद्यार्थियों से प्रश्न पूछें -
1. रानी ने ऐसा क्यों सोचा कि चूड़ीवाले भैया की बेटी भी गुड़िया से खेल लेगी?
2. अगर आपके पास आपके खिलौना न हों तो आपको कैसा लगेगा?
इतने में ही किसी ने दरवाज़ा खटखटाया। खट्ट खट्ट!
उसने लपक कर दरवाज़ा खोला तो देखा चूड़ीवाले भैया उसकी गुड़िया लिए खड़े थे । भैया बोले “ये लो तुम्हारी गुड़िया, ये मेरी टोकरी में गिर गई थी शायद!” चूड़ी वाले भैया गुड़िया वापस देकर मुस्कुराते हुए चले गए।
चर्चा के प्रश्न:
चर्चा की दिशा :
यदि हम अपने आस-पास के वातावरण के प्रति सजग रहते हैं, तो हम सभी कार्य अच्छी तरह कर सकते हैं। विद्यार्थियों से चर्चा की जा सकती है कि यदि हम सजग नही रहते तो क्या-कुछ होने की संभावनाएँ रहती हैं । चर्चा कर सकते हैं कि हमारी प्यारी वस्तुएँ कितनी उपयोगी हैं और अगर वह हमारे पास न रहें तो हमारे जीवन पर क्या प्रभाव होगा।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम घर जाकर यह देखेंगे कि -
1. क्या घर में कभी किसी को कुछ ढूंढने में कोई परेशानी आई? क्यों?
2. यदि किसी को भी परेशानी नहीं आई, तो स्कूल आने से पहले सबको सारे सामान ठीक स्थान पर रखने के लिए धन्यवाद कहें।
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
6 साल की रानी को अपनी गुड़िया से बहुत प्यार था। वह उसे रोज़ नए-नए कपड़े पहनाती। अपनी पुरानी चूड़ियों से सजाती। उसके माथे पर बिंदी लगाती। उसके बाल सँवारती और उसे अपने साथ ही सुलाती थी।
एक दिन वह गुड़िया के साथ खेल रही थी कि तभी उसे चूड़ी वाले की आवाज़ सुनाई दी। वह दौड़ती हुई बाहर गई और आवाज़ लगाई, “सुनो भैया ज़रा रुकना ” चूड़ीवाला रंग-बिरंगी चूड़ियाँ लिए खड़ा था। रानी ने अपनी गुड़िया के लिए लाल रंग की चूड़ियाँ ली और उनको पैसे दे दिए।
चूड़ी वाले ने कहा, “प्यास लगी है, थोड़ा पानी पिला दो?” रानी ने अपनी गुड़िया को साइड में रख दिया और भैया के लिए पानी लेने चली गई। चूड़ीवाले भैया ने पानी पिया और अपनी टोकरी उठाकर घर चला गया।
अचानक रानी ने देखा कि उसकी गुड़िया बाहर नहीं है तो वह बहुत उदास हो गयी और सोचने लगी - “अरे! मेरी गुड़िया कहाँ गई? मैं अपनी गुड़िया को कहाँ ढूँढूँ?” उसने अपनी प्यारी गुड़िया को हर जगह ढूँढा लेकिन उसे वह कहीं नहीं मिली।
अब शिक्षक विद्यार्थियों से प्रश्न पूछ सकते हैं-
1. अब रानी को कैसा लग रहा होगा?
2. आपको क्या लगता है कि रानी को अपनी गुड़िया वापस मिलेगी?
ढूँढते-ढूँढते वह बहुत थक गयी और जाकर अपने घर के दरवाज़े के पास बैठ गयी। तभी उसकी मम्मी ने रानी को उदास बैठे देखा । मम्मी ने पूछा क्या हुआ? रानी बोली “ मम्मी! मेरी गुड़िया नहीं मिल रही, अभी तो यहीं थी।” मम्मी बोली, “तुम अपनी चीज़ों का ध्यान नहीं रखती हो, कहीं रख कर भूल गई होगी।”
रानी सोचने लगी हां शायद मुझे और सजग हो कर काम करना चाहिए। तभी उसे ध्यान आया कि जब वो चूड़ी वाले भैया के लिए पानी लेने गई थी गुड़िया वहीं रख कर गई थी। शायद भैया ही गुड़िया ले गए होंगे। रानी ने सोचा कि गुड़िया ही तो है, चूड़ी वाले भैया की बेटी भी खेल लेगी।
विद्यार्थियों से प्रश्न पूछें -
1. रानी ने ऐसा क्यों सोचा कि चूड़ीवाले भैया की बेटी भी गुड़िया से खेल लेगी?
2. अगर आपके पास आपके खिलौना न हों तो आपको कैसा लगेगा?
इतने में ही किसी ने दरवाज़ा खटखटाया। खट्ट खट्ट!
उसने लपक कर दरवाज़ा खोला तो देखा चूड़ीवाले भैया उसकी गुड़िया लिए खड़े थे । भैया बोले “ये लो तुम्हारी गुड़िया, ये मेरी टोकरी में गिर गई थी शायद!” चूड़ी वाले भैया गुड़िया वापस देकर मुस्कुराते हुए चले गए।
चर्चा के प्रश्न:
- जब आपकी कोई वस्तु खो जाती है तो आप क्या सोचते हैं कि आपकी वस्तु कहाँ चली गई होगी?
- कब-कब ऐसा हुआ कि आपकी खोई वस्तु मिल गई हो? कैसे मिली? साझा करें।
- क्या कभी ऐसा हुआ है कि आपके मित्र की कोई वस्तु खो गई हो? क्या आपने उसकी मदद की? मदद कैसे की?
- अपनी चीज़ों का ध्यान आप किस प्रकार रखते हैं?
चर्चा की दिशा :
यदि हम अपने आस-पास के वातावरण के प्रति सजग रहते हैं, तो हम सभी कार्य अच्छी तरह कर सकते हैं। विद्यार्थियों से चर्चा की जा सकती है कि यदि हम सजग नही रहते तो क्या-कुछ होने की संभावनाएँ रहती हैं । चर्चा कर सकते हैं कि हमारी प्यारी वस्तुएँ कितनी उपयोगी हैं और अगर वह हमारे पास न रहें तो हमारे जीवन पर क्या प्रभाव होगा।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम घर जाकर यह देखेंगे कि -
1. क्या घर में कभी किसी को कुछ ढूंढने में कोई परेशानी आई? क्यों?
2. यदि किसी को भी परेशानी नहीं आई, तो स्कूल आने से पहले सबको सारे सामान ठीक स्थान पर रखने के लिए धन्यवाद कहें।
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- मीठा सेब
- राजू का टिफिन बॉक्स
- ख़ुशबूदार रबड़
- नया दोस्त
- गुठली किसकी?
- नोनी की चोट
- चलो बनाएँ पकौड़े
- रानी की गुड़िया
- भैया का रूमाल
- रिया गई स्कूल
- बड़ी बिल्डिंग
- मेरी गुल्लक
- रंग-बिरंगा दरवाज़ा
- संजू का तौलिया
- बिस्कुट किसका?
- हम लोग
- मैं कर सकता हूँ
- डर भगाओ
- वाणी और लाल गुब्बारा
- मुझे अच्छा लगता है
- टूटी पेंसिल
- जॉय की खुशी
- नन्ही बहन
- मेला
- पेन सेट
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