कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर दिलाना कि संबंधों में ज़िम्मेदारी निभाने से सुख मिलता है।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
विद्यालय से लौटते समय रागिनी बहुत ख़ुश थी। उसे आज मम्मी को कुछ विशेष बात बतानी थी। जब वह घर पहुँची तो रोज़ की तरह दरवाज़े पर मम्मी उसका इंतज़ार कर रही थी।
मम्मी ने मुस्कुराते हुए पूछा, "कैसा रहा आज का दिन?" रागिनी ने जवाब दिया कि आज उसे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है। मम्मी ने पूछा, "आख़िर आज ऐसा क्या हुआ जिस कारण मेरी बच्ची को अच्छा महसूस हो रहा है?"
यह पूछते वक़्त मम्मी ने उसका बैग खोल लिया था। मम्मी ने बैग में देखा कि रागिनी की नई पेंसिल टूटी हुई थी। जैसे ही उन्होंने टूटी पेंसिल देखी, वह पिछला प्रश्न भूल चुकी थीं और अगला प्रश्न किया, "रागिनी! पेंसिल कैसे टूटी?" रागिनी ने जवाब दिया, "मम्मी टूटी नहीं! मैंने ख़ुद ही तोड़ी है।"
मम्मी ने कहा, "क्या? ख़ुद तोड़ दी! मतलब अपनी पेंसिल ख़ुद तोड़ दी! यह तो ग़लत बात हुई न रागिनी!", मम्मी ने समझाया।
(रुककर पूछें - रागिनी ने पेंसिल क्यों तोड़ी होगी?)
रागिनी ने धीरे से कहा, "मम्मी! वह मेरी सहेली श्वेता है ना! आज उसके पास पेंसिल नहीं थी। वह काम पूरा नहीं कर पाती तो मैंने सोचा कि पेंसिल के दो टुकड़े करके एक से मैं लिख लूँ और दूसरे से वह लिख ले।"
इतना सुनते ही मम्मी ने उसे गले से लगा लिया।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
● आप अपने दोस्तों और विद्यालय की कौन-कौन सी बातें अपने घर में बताते हैं?
● आप अपनी कौन-कौन सी वस्तुएँ अपने दोस्तों या भाई-बहन के साथ साझा करते हैं और क्यों?
● रागिनी अगर पेंसिल न तोड़ती तो और किस तरह श्वेता की मदद कर सकती थी?
● आप रागिनी की जगह होते तो क्या करते?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा:
किसी भी वस्तु का महत्व उसकी उपयोगिता से है। जब हम किसी को अपना स्वीकार कर लेते हैं, तब हम अपनी वस्तुओं को साझा करने को लेकर न केवल सहज हो जाते हैं, बल्कि वैसा करके हमें बड़ी ख़ुशी का एहसास होता है। बच्चे वस्तुओं को लेकर एक - दूसरे के सहयोगी बनें, ऐसा इस चर्चा का आशय है। पर एक सावधानी की आवश्यकता भी है। कहानी में सहयोग का एक तरीका साझा किया गया है। बच्चों का ध्यान अन्य ऐसे विकल्पों की तरफ ले जाया जाए, जिसमें नुकसान की संभावना कम हो। इस दिशा में अंतिम दो प्रश्न मददगार होंगे।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज ध्यान देंगे कि अगर हम अपने परिवार के साथ सभी बातें साझा करते है तो हमें कैसा लगता है? आज की कहानी घर पर सुनाएँ और बातें करें।
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
विद्यालय से लौटते समय रागिनी बहुत ख़ुश थी। उसे आज मम्मी को कुछ विशेष बात बतानी थी। जब वह घर पहुँची तो रोज़ की तरह दरवाज़े पर मम्मी उसका इंतज़ार कर रही थी।
मम्मी ने मुस्कुराते हुए पूछा, "कैसा रहा आज का दिन?" रागिनी ने जवाब दिया कि आज उसे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है। मम्मी ने पूछा, "आख़िर आज ऐसा क्या हुआ जिस कारण मेरी बच्ची को अच्छा महसूस हो रहा है?"
यह पूछते वक़्त मम्मी ने उसका बैग खोल लिया था। मम्मी ने बैग में देखा कि रागिनी की नई पेंसिल टूटी हुई थी। जैसे ही उन्होंने टूटी पेंसिल देखी, वह पिछला प्रश्न भूल चुकी थीं और अगला प्रश्न किया, "रागिनी! पेंसिल कैसे टूटी?" रागिनी ने जवाब दिया, "मम्मी टूटी नहीं! मैंने ख़ुद ही तोड़ी है।"
मम्मी ने कहा, "क्या? ख़ुद तोड़ दी! मतलब अपनी पेंसिल ख़ुद तोड़ दी! यह तो ग़लत बात हुई न रागिनी!", मम्मी ने समझाया।
(रुककर पूछें - रागिनी ने पेंसिल क्यों तोड़ी होगी?)
रागिनी ने धीरे से कहा, "मम्मी! वह मेरी सहेली श्वेता है ना! आज उसके पास पेंसिल नहीं थी। वह काम पूरा नहीं कर पाती तो मैंने सोचा कि पेंसिल के दो टुकड़े करके एक से मैं लिख लूँ और दूसरे से वह लिख ले।"
इतना सुनते ही मम्मी ने उसे गले से लगा लिया।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
● आप अपने दोस्तों और विद्यालय की कौन-कौन सी बातें अपने घर में बताते हैं?
● आप अपनी कौन-कौन सी वस्तुएँ अपने दोस्तों या भाई-बहन के साथ साझा करते हैं और क्यों?
● रागिनी अगर पेंसिल न तोड़ती तो और किस तरह श्वेता की मदद कर सकती थी?
● आप रागिनी की जगह होते तो क्या करते?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा:
किसी भी वस्तु का महत्व उसकी उपयोगिता से है। जब हम किसी को अपना स्वीकार कर लेते हैं, तब हम अपनी वस्तुओं को साझा करने को लेकर न केवल सहज हो जाते हैं, बल्कि वैसा करके हमें बड़ी ख़ुशी का एहसास होता है। बच्चे वस्तुओं को लेकर एक - दूसरे के सहयोगी बनें, ऐसा इस चर्चा का आशय है। पर एक सावधानी की आवश्यकता भी है। कहानी में सहयोग का एक तरीका साझा किया गया है। बच्चों का ध्यान अन्य ऐसे विकल्पों की तरफ ले जाया जाए, जिसमें नुकसान की संभावना कम हो। इस दिशा में अंतिम दो प्रश्न मददगार होंगे।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज ध्यान देंगे कि अगर हम अपने परिवार के साथ सभी बातें साझा करते है तो हमें कैसा लगता है? आज की कहानी घर पर सुनाएँ और बातें करें।
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- मीठा सेब
- राजू का टिफिन बॉक्स
- ख़ुशबूदार रबड़
- नया दोस्त
- गुठली किसकी?
- नोनी की चोट
- चलो बनाएँ पकौड़े
- रानी की गुड़िया
- भैया का रूमाल
- रिया गई स्कूल
- बड़ी बिल्डिंग
- मेरी गुल्लक
- रंग-बिरंगा दरवाज़ा
- संजू का तौलिया
- बिस्कुट किसका?
- हम लोग
- मैं कर सकता हूँ
- डर भगाओ
- वाणी और लाल गुब्बारा
- मुझे अच्छा लगता है
- टूटी पेंसिल
- जॉय की खुशी
- नन्ही बहन
- मेला
- पेन सेट
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