कहानी का उद्देश्य: अच्छी लगने वाली वस्तुओं से ज़्यादा संबंधों को महत्व देना। परिवार में एक-दूसरे का ध्यान रखना।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
सौरभ और आस्था को आम बहुत पसंद हैं। आज उनके पापा काम से लौटते समय आम लेते आए। उनकी मम्मी ने दोनों को एक-एक आम दे दिया। अब बस एक ही आम और बचा था। सौरभ ने जल्दी से अपना आम खाकर उस बचे हुए आम की ओर हाथ बढ़ाया। तभी आस्था बोली, “मुझे भी आम खाना है, आधा आम मुझे भी दो”। सौरभ ने अपना हाथ पीछे खींच लिया और मम्मी से कहा कि वह आम उनके बीच बाँट दे। मम्मी ने आम काटा और दोनों को एक-एक टुकड़ा दे दिया। अब गुठली वाला भाग किसे दे? दोनों की नज़र उस पर थी।
माँ के यह पूछने पर सौरभ ने मुस्कुराकर कहा, "इसे आप खा लीजिए!" आस्था बोल पड़ी, "पापा जी को तो मिला ही नहीं?" आस्था कुछ सोचने लगी।
(अब रुककर प्रश्न किया जाए - आपको क्या लगता है आस्था ने क्या किया होगा?)
आस्था उठकर पापा के पास दौड़ कर गई और उसके हाथ में जो आम का टुकड़ा था उनकी ओर बढ़ाते हुए कहा, "पापा यह आपके लिए है!"
सौरभ अभी भी आम का टुकड़ा हाथ में लिए था। वह आस्था के पास गया और उसे अपना टुकड़ा देते हुए कहा, “यह मेरी प्यारी बहन के लिए जो सबका ध्यान रखती है!”
सौरभ अपने आम का टुकड़ा अपनी बहन को दे कर बहुत ख़ुश था। परिवार में सभी बहुत ख़ुश थे और एक-दूसरे को प्रसन्नता से आम खाते देख रहे थे।
चर्चा के प्रश्न:
चर्चा की दिशा :
सामान से ज्यादा संबंध महत्वपूर्ण हैं संबंधों में यदि हम एक-दूसरे का ध्यान रखते हैं तो हमें तो अच्छा लगता ही है, दूसरे व्यक्ति को भी अच्छा लगता है। विद्यर्थियों से चर्चा की जा सकती है कि संबंधों में संवेदनशील होना क्यों आवश्यक है। संबंधों में परस्पर एक-दूसरे का ध्यान रखना और विश्वास करना दोनों पक्षों के लिए ही सुख का आधार है। परिवार में हम सभी एक-दूसरे के लिए कुछ न कुछ करते हैं। हम उन बातों का ध्यान रखते हुए मिलकर जीने का प्रयास करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज ध्यान देंगे कि हमारे परिवार में सभी आपस में क्या-क्या साझा करते हैं और क्यों साझा करते हैं?
-------------------------
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
सौरभ और आस्था को आम बहुत पसंद हैं। आज उनके पापा काम से लौटते समय आम लेते आए। उनकी मम्मी ने दोनों को एक-एक आम दे दिया। अब बस एक ही आम और बचा था। सौरभ ने जल्दी से अपना आम खाकर उस बचे हुए आम की ओर हाथ बढ़ाया। तभी आस्था बोली, “मुझे भी आम खाना है, आधा आम मुझे भी दो”। सौरभ ने अपना हाथ पीछे खींच लिया और मम्मी से कहा कि वह आम उनके बीच बाँट दे। मम्मी ने आम काटा और दोनों को एक-एक टुकड़ा दे दिया। अब गुठली वाला भाग किसे दे? दोनों की नज़र उस पर थी।
माँ के यह पूछने पर सौरभ ने मुस्कुराकर कहा, "इसे आप खा लीजिए!" आस्था बोल पड़ी, "पापा जी को तो मिला ही नहीं?" आस्था कुछ सोचने लगी।
(अब रुककर प्रश्न किया जाए - आपको क्या लगता है आस्था ने क्या किया होगा?)
आस्था उठकर पापा के पास दौड़ कर गई और उसके हाथ में जो आम का टुकड़ा था उनकी ओर बढ़ाते हुए कहा, "पापा यह आपके लिए है!"
सौरभ अभी भी आम का टुकड़ा हाथ में लिए था। वह आस्था के पास गया और उसे अपना टुकड़ा देते हुए कहा, “यह मेरी प्यारी बहन के लिए जो सबका ध्यान रखती है!”
सौरभ अपने आम का टुकड़ा अपनी बहन को दे कर बहुत ख़ुश था। परिवार में सभी बहुत ख़ुश थे और एक-दूसरे को प्रसन्नता से आम खाते देख रहे थे।
चर्चा के प्रश्न:
- आस्था ने अपने आम का टुकड़ा पापा को क्यों दे दिया?
- सौरभ ने आस्था को अपना हिस्सा क्यों दे दिया?
- अपना कोई अनुभव साझा करें जब आपने अपनी पसंद की वस्तुएँ किसी के साथ बाँटी हों।
- अगर हम अपनी चीजें सबके साथ साझा करते हैं तो हमें कैसा लगता है?
चर्चा की दिशा :
सामान से ज्यादा संबंध महत्वपूर्ण हैं संबंधों में यदि हम एक-दूसरे का ध्यान रखते हैं तो हमें तो अच्छा लगता ही है, दूसरे व्यक्ति को भी अच्छा लगता है। विद्यर्थियों से चर्चा की जा सकती है कि संबंधों में संवेदनशील होना क्यों आवश्यक है। संबंधों में परस्पर एक-दूसरे का ध्यान रखना और विश्वास करना दोनों पक्षों के लिए ही सुख का आधार है। परिवार में हम सभी एक-दूसरे के लिए कुछ न कुछ करते हैं। हम उन बातों का ध्यान रखते हुए मिलकर जीने का प्रयास करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज ध्यान देंगे कि हमारे परिवार में सभी आपस में क्या-क्या साझा करते हैं और क्यों साझा करते हैं?
-------------------------
- मीठा सेब
- राजू का टिफिन बॉक्स
- ख़ुशबूदार रबड़
- नया दोस्त
- गुठली किसकी?
- नोनी की चोट
- चलो बनाएँ पकौड़े
- रानी की गुड़िया
- भैया का रूमाल
- रिया गई स्कूल
- बड़ी बिल्डिंग
- मेरी गुल्लक
- रंग-बिरंगा दरवाज़ा
- संजू का तौलिया
- बिस्कुट किसका?
- हम लोग
- मैं कर सकता हूँ
- डर भगाओ
- वाणी और लाल गुब्बारा
- मुझे अच्छा लगता है
- टूटी पेंसिल
- जॉय की खुशी
- नन्ही बहन
- मेला
- पेन सेट
No comments:
Post a Comment