कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों का ध्यान हमारे सहयोगियों की तरफ ले जाना ताकि वो उनके योगदान को समझकर उनके प्रति कृतज्ञ हो सकें।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
शुभम दूसरी कक्षा में पढ़ता था। अपनी कक्षा में जाते ही उसने देखा कि आज उसका कक्षा रूम रोज़ाना की तरह साफ़ नहीं था। यहाँ-वहाँ काग़ज़ के टुकड़े बिखरे पड़े थे। फर्श भी रोज़ की तरह नहीं चमक रहा था।
सुबह की प्रार्थना के बाद सर ने आते ही कहा कि आज पढ़ाई शुरू करने से पहले हम अपनी कक्षा की सफ़ाई करेंगे। शुभम ने पूछा, “सर! हमारी कक्षा की सफ़ाई करने वाले ऋषि भैया आज नहीं आए क्या?”
सर ने बताया कि वो आज बीमार हैं इसलिए हमारी कक्षा की सफ़ाई नहीं हो पाई। शुभम ने भी बाक़ी बच्चों की तरह अपना बैग बाहर रखा और पूरे उत्साह से कक्षा की सफ़ाई में लग गया।
सभी बच्चे मिल-जुलकर सफ़ाई करने लगे। अंकित तो झाड़ू के ऊपर बैठकर हैरी पॉटर ही बन गया था। विशाल कोने-कोने में जाकर जैसे कूड़े के साथ ‘ऑईस-पाईस ’ खेल खेलकर कूड़ा ढूँढ रहा था। लगभग 15 मिनट में सबने मिलकर कक्षा को साफ़ कर दिया और अपने हाथ-पैर धो कर वापस कक्षा में आ गए।
शिक्षक ने कहा, “क्योंकि हम सबको अपनी कक्षा की सफ़ाई करने में समय लगा इसलिए हमें पढ़ाई के लिए आज कम समय मिलेगा।” शुभम का ध्यान गया कि ऋषि भैया कक्षा की सफ़ाई करके उनका कितना वक़्त बचाते हैं और उन्हें पढ़ाई करने के लिए साफ़ कमरा देते हैं।
अगले दिन जब ऋषि भैया कक्षा में आए, इस बार उन्हें फ़र्श पर न तो कागज़ के टुकड़े मिले और न पेंसिल की छीलन। कक्षा के कूड़ेदान का कूड़ा उन्होंने अपने बड़े कूड़ेदान में उड़ेला और बच्चों की ओर मुस्कुराकर देखते हुए कहा, “सहयोग के लिए धन्यवाद बच्चों!” शुभम ने कहा, “आप हमारे लिए इतनी मेहनत करते हैं, हम इतना तो कर ही सकते हैं!”
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
● आपके विद्यालय को चलाने में कौन-कौन अपना सहयोग देता है?
● यदि ये लोग अपना काम न करें तो क्या होगा?
● इन सब के साथ बेहतर संबंध बनाने के लिए अब आप क्या प्रयास कर सकते हैं?
● क्या हमारे घर में और घर के आस-पास भी कुछ लोग हैं, जिनके होने से हमारे काम आसान हो जाते हैं? वे कौन कौन हैं?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा :
हमारा जीवन सुचारु रूप से चल सके, इसके लिए बहुत सारे सहयोगियों का योगदान होता है। हमें उन सभी का आभारी होना चाहिए। साथ ही यदि हम वह काम नहीं कर सकते, तो उनका काम बढ़ाएँ तो नहीं। विद्यार्थियों की चर्चा इस निष्कर्ष की ओर बढ़े।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज घर मे ध्यान देंगे कि हमारा जीवन आराम से चल पाए, इसके लिए घर पर कौन- कौन हमारा सहयोग करते हैं।
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
शुभम दूसरी कक्षा में पढ़ता था। अपनी कक्षा में जाते ही उसने देखा कि आज उसका कक्षा रूम रोज़ाना की तरह साफ़ नहीं था। यहाँ-वहाँ काग़ज़ के टुकड़े बिखरे पड़े थे। फर्श भी रोज़ की तरह नहीं चमक रहा था।
सुबह की प्रार्थना के बाद सर ने आते ही कहा कि आज पढ़ाई शुरू करने से पहले हम अपनी कक्षा की सफ़ाई करेंगे। शुभम ने पूछा, “सर! हमारी कक्षा की सफ़ाई करने वाले ऋषि भैया आज नहीं आए क्या?”
सर ने बताया कि वो आज बीमार हैं इसलिए हमारी कक्षा की सफ़ाई नहीं हो पाई। शुभम ने भी बाक़ी बच्चों की तरह अपना बैग बाहर रखा और पूरे उत्साह से कक्षा की सफ़ाई में लग गया।
सभी बच्चे मिल-जुलकर सफ़ाई करने लगे। अंकित तो झाड़ू के ऊपर बैठकर हैरी पॉटर ही बन गया था। विशाल कोने-कोने में जाकर जैसे कूड़े के साथ ‘ऑईस-पाईस ’ खेल खेलकर कूड़ा ढूँढ रहा था। लगभग 15 मिनट में सबने मिलकर कक्षा को साफ़ कर दिया और अपने हाथ-पैर धो कर वापस कक्षा में आ गए।
शिक्षक ने कहा, “क्योंकि हम सबको अपनी कक्षा की सफ़ाई करने में समय लगा इसलिए हमें पढ़ाई के लिए आज कम समय मिलेगा।” शुभम का ध्यान गया कि ऋषि भैया कक्षा की सफ़ाई करके उनका कितना वक़्त बचाते हैं और उन्हें पढ़ाई करने के लिए साफ़ कमरा देते हैं।
अगले दिन जब ऋषि भैया कक्षा में आए, इस बार उन्हें फ़र्श पर न तो कागज़ के टुकड़े मिले और न पेंसिल की छीलन। कक्षा के कूड़ेदान का कूड़ा उन्होंने अपने बड़े कूड़ेदान में उड़ेला और बच्चों की ओर मुस्कुराकर देखते हुए कहा, “सहयोग के लिए धन्यवाद बच्चों!” शुभम ने कहा, “आप हमारे लिए इतनी मेहनत करते हैं, हम इतना तो कर ही सकते हैं!”
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
● आपके विद्यालय को चलाने में कौन-कौन अपना सहयोग देता है?
● यदि ये लोग अपना काम न करें तो क्या होगा?
● इन सब के साथ बेहतर संबंध बनाने के लिए अब आप क्या प्रयास कर सकते हैं?
● क्या हमारे घर में और घर के आस-पास भी कुछ लोग हैं, जिनके होने से हमारे काम आसान हो जाते हैं? वे कौन कौन हैं?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा :
हमारा जीवन सुचारु रूप से चल सके, इसके लिए बहुत सारे सहयोगियों का योगदान होता है। हमें उन सभी का आभारी होना चाहिए। साथ ही यदि हम वह काम नहीं कर सकते, तो उनका काम बढ़ाएँ तो नहीं। विद्यार्थियों की चर्चा इस निष्कर्ष की ओर बढ़े।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज घर मे ध्यान देंगे कि हमारा जीवन आराम से चल पाए, इसके लिए घर पर कौन- कौन हमारा सहयोग करते हैं।
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- मीठा सेब
- राजू का टिफिन बॉक्स
- ख़ुशबूदार रबड़
- नया दोस्त
- गुठली किसकी?
- नोनी की चोट
- चलो बनाएँ पकौड़े
- रानी की गुड़िया
- भैया का रूमाल
- रिया गई स्कूल
- बड़ी बिल्डिंग
- मेरी गुल्लक
- रंग-बिरंगा दरवाज़ा
- संजू का तौलिया
- बिस्कुट किसका?
- हम लोग
- मैं कर सकता हूँ
- डर भगाओ
- वाणी और लाल गुब्बारा
- मुझे अच्छा लगता है
- टूटी पेंसिल
- जॉय की खुशी
- नन्ही बहन
- मेला
- पेन सेट
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