कहानी का उद्देश्य: बच्चों में संबंध की स्वीकार्यता की ओर ध्यान ले जाना।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
अभी कुछ दिन पहले ही धीरज के घर एक नन्हा सा मेहमान आया था। धीरज की नन्ही सी बहन का जन्म हुआ था और सब लोग बहुत ख़ुश थे। आज उसके नामकरण का कार्यक्रम था। बहुत सारे मेहमान घर पर आए थे। सभी कुछ न कुछ उपहार उस नन्ही बच्ची के लिए लाए थे।
सारे मेहमान उसी को देखना चाहते थे। जो भी आता उसे गोद में लेकर बहुत प्यार करता। ये सब देखकर धीरज को लगा- “आज मेरे लिए तो कोई भी उपहार लेकर नहीं आया और सभी उसे ही प्यार कर रहे हैं!” धीरज बहुत उदास हो गया और बाहर आकर अकेले बैठ गया।
तभी वहाँ उसके मामा जी आए और उन्होंने धीरज से पूछा, “तुम यहाँ अकेले क्यों बैठे हो?”
धीरज ने नाराज़गी से कहा, “मुझे नहीं जाना अंदर। मुझे कोई प्यार नहीं करता।”
मामाजी ने कहा, “मैं प्यार करता हूँ न तुम्हें! बताओ क्या बात हो गई?”
अभी वह कुछ बोलता कि तभी उसे अपनी नन्ही बहन के रोने की आवाज़ सुनाई दी। वह अंदर भागा। बहन उपहार में मिले झूले में लेटी थी। उसने अपनी बहन की ओर मुस्कुराकर देखा और झूले को हल्का सा झुलाया और उसमें टंगे झुनझुने को बजाने लगा। उसकी नन्ही बहन उसकी ओर टुकुर टुकुर देखकर मुस्कुराने लगी।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. धीरज उदास क्यों हो गया था?
2. क्या आप भी कभी नाराज़ हुए हैं? कब और क्यों?
3. आप परिवार में किनसे प्यार करते हैं?
4. आपको परिवार में कौन कौन प्यार करता है?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा:
हर व्यक्ति अपनापन चाहता है। वह महत्व पाना चाहता है। पर ज़िंदगी में आ रहे बदलावों की समझ के साथ अपनी अपेक्षाएँ निर्धारित करना भी ज़रूरी है। इसी समझ की तैयारी करवाना इस चर्चा का उद्देश्य है, जिससे वह बदलती परिस्थिति को स्वीकार करते हुए तालमेल बिठा सके। साथ ही वह खुशी के बड़े आधार की ओर अग्रसर हो।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम घर पर सबसे बात करेंगे कि वे किसी से कब नाराज़ हुए थे और क्यों। उनकी नाराज़गी कैसे दूर हुई?
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
अभी कुछ दिन पहले ही धीरज के घर एक नन्हा सा मेहमान आया था। धीरज की नन्ही सी बहन का जन्म हुआ था और सब लोग बहुत ख़ुश थे। आज उसके नामकरण का कार्यक्रम था। बहुत सारे मेहमान घर पर आए थे। सभी कुछ न कुछ उपहार उस नन्ही बच्ची के लिए लाए थे।
सारे मेहमान उसी को देखना चाहते थे। जो भी आता उसे गोद में लेकर बहुत प्यार करता। ये सब देखकर धीरज को लगा- “आज मेरे लिए तो कोई भी उपहार लेकर नहीं आया और सभी उसे ही प्यार कर रहे हैं!” धीरज बहुत उदास हो गया और बाहर आकर अकेले बैठ गया।
तभी वहाँ उसके मामा जी आए और उन्होंने धीरज से पूछा, “तुम यहाँ अकेले क्यों बैठे हो?”
धीरज ने नाराज़गी से कहा, “मुझे नहीं जाना अंदर। मुझे कोई प्यार नहीं करता।”
मामाजी ने कहा, “मैं प्यार करता हूँ न तुम्हें! बताओ क्या बात हो गई?”
अभी वह कुछ बोलता कि तभी उसे अपनी नन्ही बहन के रोने की आवाज़ सुनाई दी। वह अंदर भागा। बहन उपहार में मिले झूले में लेटी थी। उसने अपनी बहन की ओर मुस्कुराकर देखा और झूले को हल्का सा झुलाया और उसमें टंगे झुनझुने को बजाने लगा। उसकी नन्ही बहन उसकी ओर टुकुर टुकुर देखकर मुस्कुराने लगी।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. धीरज उदास क्यों हो गया था?
2. क्या आप भी कभी नाराज़ हुए हैं? कब और क्यों?
3. आप परिवार में किनसे प्यार करते हैं?
4. आपको परिवार में कौन कौन प्यार करता है?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा:
हर व्यक्ति अपनापन चाहता है। वह महत्व पाना चाहता है। पर ज़िंदगी में आ रहे बदलावों की समझ के साथ अपनी अपेक्षाएँ निर्धारित करना भी ज़रूरी है। इसी समझ की तैयारी करवाना इस चर्चा का उद्देश्य है, जिससे वह बदलती परिस्थिति को स्वीकार करते हुए तालमेल बिठा सके। साथ ही वह खुशी के बड़े आधार की ओर अग्रसर हो।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम घर पर सबसे बात करेंगे कि वे किसी से कब नाराज़ हुए थे और क्यों। उनकी नाराज़गी कैसे दूर हुई?
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- मीठा सेब
- राजू का टिफिन बॉक्स
- ख़ुशबूदार रबड़
- नया दोस्त
- गुठली किसकी?
- नोनी की चोट
- चलो बनाएँ पकौड़े
- रानी की गुड़िया
- भैया का रूमाल
- रिया गई स्कूल
- बड़ी बिल्डिंग
- मेरी गुल्लक
- रंग-बिरंगा दरवाज़ा
- संजू का तौलिया
- बिस्कुट किसका?
- हम लोग
- मैं कर सकता हूँ
- डर भगाओ
- वाणी और लाल गुब्बारा
- मुझे अच्छा लगता है
- टूटी पेंसिल
- जॉय की खुशी
- नन्ही बहन
- मेला
- पेन सेट
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