कहानी का उददेश्य: विद्यार्थियों का ध्यान शिक्षा पाने और उसमें विद्यालय के महत्व की ओर जाए।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
आहान को मम्मी के साथ बाज़ार जाना बहुत पसंद था।
एक दिन मम्मी दुकानदार को पैसे देकर सामान ले ही रही थीं कि आहान झट से बोला, “नहीं अंकल! हमें प्लास्टिक की थैली मत दीजिए, यह हमारे वातावरण के लिए हानिकारक है।”
दुकानदार और मम्मी एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराए।
“यह तो सही बात है!” मम्मी ने पूछा,” पापा ने बताया?”
आहान ने कहा, “नहीं! हमारी मैम ने बताया।”
कुछ दिन बाद शाम को आहान, मम्मी और पापा एक साथ बैठें हुए थे। पापा बोले,”अगले साल आहान का एडमिशन बड़े स्कूल में करवाएँगे। "
मम्मी ने कुछ सोचा फिर पूछा, “बड़ा स्कूल क्यों?”
“अरे! वहाँ बड़ी बिल्डिंग है, और भी अच्छी-अच्छी सुविधाएँ हैं। आहान वहाँ बहुत कुछ सीख पाएगा।"
अभी तक आहान चुप-चाप अपने मम्मी-पापा की बातें सुन रहा था।
मम्मी ने आहान की तरफ़ देखकर पूछा, “बेटा! आपको अपने स्कूल जाना पसंद है?”
आहान की आँखें चमक उठीं। उसने कहा, “बहुत पसंद है! हमें मैम बहुत प्यार करती हैं। खेल भी खिलाती हैं और अच्छी-अच्छी बातें भी बताती हैं और मेरे सारे दोस्त भी बहुत अच्छे हैं।”
“यह बात तो सही है।", मम्मी ने पापा को दुकानदार वाली बात भी बताई।
आहान ने पापा से कहा कि वह इसी स्कूल में पढ़ना चाहता है। तीनों ने मिलकर तय किया कि जिस स्कूल में आहान जा रहा है, उसी में जाएगा।
चर्चा के प्रश्न:
1. क्या घर के तीनों सदस्यों ने मिलकर सही तय किया? क्यों?
2. मम्मी और दुकानदार एक- दूसरे को देखकर क्यों मुस्कुराए?
3. क्या आपको स्कूल आना पसंद है? क्यों?
4. विद्यालय में आप जो भी सीखते हैं क्या आप उन्हें घर पर बताते हैं?
5. जब आप कुछ बताते हैं, तब आपके परिवार के लोग क्या कहते हैं?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा :
सही शिक्षा ठीक समझ के विकास में सहयोगी होती है और मानवीयता पूर्ण जीवन जीने में सहायक होती है। विद्यार्थियों से चर्चा की जा सकती है कि किस प्रकार शिक्षा हमारे जीवन के लिए और सही समझ के लिए महत्वपूर्ण है। सही समझ से ही हम व्यवस्था में भागीदारी कर सकते हैं।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
घर जाकर चर्चा करें कि आपके मम्मी-पापा या दादा-दादी का विद्यालय कैसा था और वहाँ पढ़ाई कैसी होती थी।
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
आहान को मम्मी के साथ बाज़ार जाना बहुत पसंद था।
एक दिन मम्मी दुकानदार को पैसे देकर सामान ले ही रही थीं कि आहान झट से बोला, “नहीं अंकल! हमें प्लास्टिक की थैली मत दीजिए, यह हमारे वातावरण के लिए हानिकारक है।”
दुकानदार और मम्मी एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराए।
“यह तो सही बात है!” मम्मी ने पूछा,” पापा ने बताया?”
आहान ने कहा, “नहीं! हमारी मैम ने बताया।”
कुछ दिन बाद शाम को आहान, मम्मी और पापा एक साथ बैठें हुए थे। पापा बोले,”अगले साल आहान का एडमिशन बड़े स्कूल में करवाएँगे। "
मम्मी ने कुछ सोचा फिर पूछा, “बड़ा स्कूल क्यों?”
“अरे! वहाँ बड़ी बिल्डिंग है, और भी अच्छी-अच्छी सुविधाएँ हैं। आहान वहाँ बहुत कुछ सीख पाएगा।"
अभी तक आहान चुप-चाप अपने मम्मी-पापा की बातें सुन रहा था।
मम्मी ने आहान की तरफ़ देखकर पूछा, “बेटा! आपको अपने स्कूल जाना पसंद है?”
आहान की आँखें चमक उठीं। उसने कहा, “बहुत पसंद है! हमें मैम बहुत प्यार करती हैं। खेल भी खिलाती हैं और अच्छी-अच्छी बातें भी बताती हैं और मेरे सारे दोस्त भी बहुत अच्छे हैं।”
“यह बात तो सही है।", मम्मी ने पापा को दुकानदार वाली बात भी बताई।
आहान ने पापा से कहा कि वह इसी स्कूल में पढ़ना चाहता है। तीनों ने मिलकर तय किया कि जिस स्कूल में आहान जा रहा है, उसी में जाएगा।
चर्चा के प्रश्न:
1. क्या घर के तीनों सदस्यों ने मिलकर सही तय किया? क्यों?
2. मम्मी और दुकानदार एक- दूसरे को देखकर क्यों मुस्कुराए?
3. क्या आपको स्कूल आना पसंद है? क्यों?
4. विद्यालय में आप जो भी सीखते हैं क्या आप उन्हें घर पर बताते हैं?
5. जब आप कुछ बताते हैं, तब आपके परिवार के लोग क्या कहते हैं?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा :
सही शिक्षा ठीक समझ के विकास में सहयोगी होती है और मानवीयता पूर्ण जीवन जीने में सहायक होती है। विद्यार्थियों से चर्चा की जा सकती है कि किस प्रकार शिक्षा हमारे जीवन के लिए और सही समझ के लिए महत्वपूर्ण है। सही समझ से ही हम व्यवस्था में भागीदारी कर सकते हैं।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
घर जाकर चर्चा करें कि आपके मम्मी-पापा या दादा-दादी का विद्यालय कैसा था और वहाँ पढ़ाई कैसी होती थी।
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- चलो बनाएँ पकौड़े
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