कहानी का उद्देश्य: कुछ कार्य हमें अच्छे लगते हैं। पर कुछ समय बाद, हमें उनसे परेशानी होने लगती है। विद्यार्थी अच्छा लगने और अच्छा होने के अंतर को समझ पाएँ।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
देव को झूला झूलना बहुत अच्छा लगता था। मम्मी-पापा के साथ जब भी वह कहीं घूमने जाता था, तो हमेशा झूले पर चढ़ने की ज़िद करता था।
एक दिन वह झूले से उतर ही नहीं रहा था। “मुझे फिर से झूलना है।” कहकर ज़ीद कर रहा था।
पापा उसे समझा रहे थे कि ज़्यादा झूलने से चक्कर आ जाएँगे पर वह था कि उतर ही नहीं रहा था। बड़ी मुश्किल से उसके पापा ने उसे झूले से उतारा।
अगले महीने उसके घर के सामने वाले मैदान में दशहरे का मेला लगा।
“अरे वाह! अब तो मुझे बहुत सारे झूले झूलने को मिलेंगे। कितना मज़ा आएगा!” देव ने सोचा।
मम्मी, पापा, देव और उसकी छोटी बहन मेला देखने गए। देव और उसकी बहन सबसे छोटे झूले की तरफ बढ़े। “चल बहन! सबसे पहले हम तेरी पसंद के झूले पर झूलते हैं।
उस झूले से उतरा तो बहन को मम्मी-पापा के पास छोड़ कर अब अकेला ही बड़े झूले पर चढ़ा। झूला धीरे-धीरे तेज़ हो रहा था। देव को बड़ा मज़ा आ रहा था।
2 मिनट का समय पूरा हो गया पर किसी गड़बड़ी की वजह से झूला 2 मिनट और चलता रहा। पहले तो देव को बड़ा मज़ा आया, पर 1 मिनट बाद ही उसे चक्कर आने लगे और डर लगने लगा। वह “मम्मी-मम्मी” चिल्लाने लगा।
जैसे ही झूला रुका, वह लड़खड़ाता हुआ मम्मी-पापा के पास गया और वहीं बैठ कर रोने लगा।
चर्चा के प्रश्न:
1. ऐसे कौन-कौन से काम हैं जो मम्मी-पापा आपको करने से मना करते हैं?
2. क्या तब भी आप वह काम करते हैं? क्यों या क्यों नहीं?
3.आपको क्या लगता है कि वे आपको क्यों मना करते हैं?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा :
अच्छा लगने और अच्छा होने मे अंतर होता है। किसी भी चीज की अधिकता हमारी परेशानी का कारण बन सकती है।विद्यार्थियो के साथ चर्चा की जा सकती है कि ऐसा क्या-क्या है जो उन्हें अच्छा तो लगता है पर अच्छा होता नहीं। अपने बड़ों की बात न मान कर कब-कब पछताना पड़ा, बच्चे अपना अनुभव साझा कर सकते हैं।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज ध्यान देंगे कि हमने ऐसी कौन-सी चीज़ें लीं या कौन-से काम किए जो हमें अच्छे तो लगते हैं, पर ज़्यादा लेने या करने पर नुकसान पहुँचाते हैं।
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
कहानी:
देव को झूला झूलना बहुत अच्छा लगता था। मम्मी-पापा के साथ जब भी वह कहीं घूमने जाता था, तो हमेशा झूले पर चढ़ने की ज़िद करता था।
एक दिन वह झूले से उतर ही नहीं रहा था। “मुझे फिर से झूलना है।” कहकर ज़ीद कर रहा था।
पापा उसे समझा रहे थे कि ज़्यादा झूलने से चक्कर आ जाएँगे पर वह था कि उतर ही नहीं रहा था। बड़ी मुश्किल से उसके पापा ने उसे झूले से उतारा।
अगले महीने उसके घर के सामने वाले मैदान में दशहरे का मेला लगा।
“अरे वाह! अब तो मुझे बहुत सारे झूले झूलने को मिलेंगे। कितना मज़ा आएगा!” देव ने सोचा।
मम्मी, पापा, देव और उसकी छोटी बहन मेला देखने गए। देव और उसकी बहन सबसे छोटे झूले की तरफ बढ़े। “चल बहन! सबसे पहले हम तेरी पसंद के झूले पर झूलते हैं।
उस झूले से उतरा तो बहन को मम्मी-पापा के पास छोड़ कर अब अकेला ही बड़े झूले पर चढ़ा। झूला धीरे-धीरे तेज़ हो रहा था। देव को बड़ा मज़ा आ रहा था।
2 मिनट का समय पूरा हो गया पर किसी गड़बड़ी की वजह से झूला 2 मिनट और चलता रहा। पहले तो देव को बड़ा मज़ा आया, पर 1 मिनट बाद ही उसे चक्कर आने लगे और डर लगने लगा। वह “मम्मी-मम्मी” चिल्लाने लगा।
जैसे ही झूला रुका, वह लड़खड़ाता हुआ मम्मी-पापा के पास गया और वहीं बैठ कर रोने लगा।
चर्चा के प्रश्न:
1. ऐसे कौन-कौन से काम हैं जो मम्मी-पापा आपको करने से मना करते हैं?
2. क्या तब भी आप वह काम करते हैं? क्यों या क्यों नहीं?
3.आपको क्या लगता है कि वे आपको क्यों मना करते हैं?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
चर्चा की दिशा :
अच्छा लगने और अच्छा होने मे अंतर होता है। किसी भी चीज की अधिकता हमारी परेशानी का कारण बन सकती है।विद्यार्थियो के साथ चर्चा की जा सकती है कि ऐसा क्या-क्या है जो उन्हें अच्छा तो लगता है पर अच्छा होता नहीं। अपने बड़ों की बात न मान कर कब-कब पछताना पड़ा, बच्चे अपना अनुभव साझा कर सकते हैं।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज ध्यान देंगे कि हमने ऐसी कौन-सी चीज़ें लीं या कौन-से काम किए जो हमें अच्छे तो लगते हैं, पर ज़्यादा लेने या करने पर नुकसान पहुँचाते हैं।
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- मीठा सेब
- राजू का टिफिन बॉक्स
- ख़ुशबूदार रबड़
- नया दोस्त
- गुठली किसकी?
- नोनी की चोट
- चलो बनाएँ पकौड़े
- रानी की गुड़िया
- भैया का रूमाल
- रिया गई स्कूल
- बड़ी बिल्डिंग
- मेरी गुल्लक
- रंग-बिरंगा दरवाज़ा
- संजू का तौलिया
- बिस्कुट किसका?
- हम लोग
- मैं कर सकता हूँ
- डर भगाओ
- वाणी और लाल गुब्बारा
- मुझे अच्छा लगता है
- टूटी पेंसिल
- जॉय की खुशी
- नन्ही बहन
- मेला
- पेन सेट
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