कहानी का उददेश्य: विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि स्वयं की मस्ती के लिए उठाए कदम से किसी और का बुरा न हो। साथ ही वे दूसरों के सहयोग के लिए तत्पर रहें।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
पार्क में कुछ बच्चे समूह में खेल रहे थे। श्वेता की आँख पर पट्टी बंधी थी। वह दूसरों को छूने के लिए इधर-उधर जा रही थी। बाकी बच्चे शोर करते हुए उसे अपनी ओर बुलाने में लगे थे। तभी रोहित को शरारत सूझी। वह उसके पास आवाज़ लगाते हुए एक छोटे से गड्ढे के पास ले आया। अचानक से श्वेता गड्ढे में गिर गई। वह दर्द से चिल्लाई। उसका गिरना देख बच्चे हँस पड़े। पर उसे दर्द में देखकर रोहित रूआंसा हो गया। उसे दुःख हुआ कि उसके कारण श्वेता दर्द से कराह रही थी।
वहीं अर्जुन अपने दादा जी के साथ पार्क में टहलने आया था। जैसे ही उसने चिल्लाने की आवाज़ सुनी, दादा जी का हाथ छोड़ वह उधर भागा। पीछे-पीछे “अर्जुन-अर्जुन” पुकारते हुए दादा जी भागे। अर्जुन ने श्वेता को सहारा देने की कोशिश की। पर उस छोटे से बच्चे से भला वह कैसे उठाई जा पाती!
कोई बात नहीं! तब तक दादा जी पहुँच गए। दोनों ने मिलकर उसे बाहर निकाला। उसे मोच आ गई थी। रोहित ने श्वेता से माफ़ी मांगी और उसे सहारा देते हुए उसके घर तक छोड़ने के लिए चल पड़ा।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. इस कहानी में आपके विचार से किस-किसका व्यवहार गलत था?
2. इस कहानी में किनका व्यवहार सही था?
3. क्या रोहित का उद्देश्य श्वेता को चोट पहुँचाना रहा होगा? फिर उसने वैसा क्यों किया?
4. आपको वह बच्चा कैसा लगता है जो आप पर हँसता है?
5. क्या कभी ऐसा हुआ है कि आपने थोड़ी सी मस्ती करनी चाही परन्तु उससे दूसरे व्यक्ति को परेशानी हो गई? ऐसे में आपने क्या किया?
6. क्या आपने कभी किसी की मुसीबत में मदद की है?
चर्चा की दिशा:
कई बार देखा जाता है कि बच्चे हों या बड़े, थोड़ी सी मस्ती के लिए ऐसा कुछ कर जाते हैं, जिससे दूसरे को चोट लगती है या कोई नुकसान हो जाता है। जबकि बुरा करना या नुकसान पहुँचाना उनका उद्देश्य नहीं होता। विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि उनकी वह छोटी सी मस्ती किसी के लिए परेशानी का कारण तो नहीं बन जाएगी। साथ ही स्थिति पर हँसने वाले या मूकदर्शक बनने वाले लोग ऐसा न करके स्थिति को ठीक करने में अपना योगदान देने की ओर बढ़ें।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम ध्यान देंगे कि किसी और की गलती पर हमें हँसी आयी या हमने उस काम को ठीक करने में सहयोग दिया।
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
पार्क में कुछ बच्चे समूह में खेल रहे थे। श्वेता की आँख पर पट्टी बंधी थी। वह दूसरों को छूने के लिए इधर-उधर जा रही थी। बाकी बच्चे शोर करते हुए उसे अपनी ओर बुलाने में लगे थे। तभी रोहित को शरारत सूझी। वह उसके पास आवाज़ लगाते हुए एक छोटे से गड्ढे के पास ले आया। अचानक से श्वेता गड्ढे में गिर गई। वह दर्द से चिल्लाई। उसका गिरना देख बच्चे हँस पड़े। पर उसे दर्द में देखकर रोहित रूआंसा हो गया। उसे दुःख हुआ कि उसके कारण श्वेता दर्द से कराह रही थी।
वहीं अर्जुन अपने दादा जी के साथ पार्क में टहलने आया था। जैसे ही उसने चिल्लाने की आवाज़ सुनी, दादा जी का हाथ छोड़ वह उधर भागा। पीछे-पीछे “अर्जुन-अर्जुन” पुकारते हुए दादा जी भागे। अर्जुन ने श्वेता को सहारा देने की कोशिश की। पर उस छोटे से बच्चे से भला वह कैसे उठाई जा पाती!
कोई बात नहीं! तब तक दादा जी पहुँच गए। दोनों ने मिलकर उसे बाहर निकाला। उसे मोच आ गई थी। रोहित ने श्वेता से माफ़ी मांगी और उसे सहारा देते हुए उसके घर तक छोड़ने के लिए चल पड़ा।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. इस कहानी में आपके विचार से किस-किसका व्यवहार गलत था?
2. इस कहानी में किनका व्यवहार सही था?
3. क्या रोहित का उद्देश्य श्वेता को चोट पहुँचाना रहा होगा? फिर उसने वैसा क्यों किया?
4. आपको वह बच्चा कैसा लगता है जो आप पर हँसता है?
5. क्या कभी ऐसा हुआ है कि आपने थोड़ी सी मस्ती करनी चाही परन्तु उससे दूसरे व्यक्ति को परेशानी हो गई? ऐसे में आपने क्या किया?
6. क्या आपने कभी किसी की मुसीबत में मदद की है?
चर्चा की दिशा:
कई बार देखा जाता है कि बच्चे हों या बड़े, थोड़ी सी मस्ती के लिए ऐसा कुछ कर जाते हैं, जिससे दूसरे को चोट लगती है या कोई नुकसान हो जाता है। जबकि बुरा करना या नुकसान पहुँचाना उनका उद्देश्य नहीं होता। विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि उनकी वह छोटी सी मस्ती किसी के लिए परेशानी का कारण तो नहीं बन जाएगी। साथ ही स्थिति पर हँसने वाले या मूकदर्शक बनने वाले लोग ऐसा न करके स्थिति को ठीक करने में अपना योगदान देने की ओर बढ़ें।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम ध्यान देंगे कि किसी और की गलती पर हमें हँसी आयी या हमने उस काम को ठीक करने में सहयोग दिया।
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- मिलजुल कर
- लंच ब्रेक
- आलू का पराँठा
- रोहन की जुराबें
- एक नई धुन
- मन का बोझ
- एक जूता
- दो दोस्त
- किसकी पेंसिल अच्छी?
- एक चिट्ठी दादाजी के नाम
- चंदू की सूझ-बूझ
- थोड़ी सी मस्ती
- फूलदान या गमला
- दोस्ती की दौड़
- मैं भी मदद करूँगा
- वो पैसे
- मेरे दोस्त की नाव
- बीच का पन्ना
- मैजिक स्ट्रॉ
- मोबाइल गेम
- हमारा प्यारा चाँद
- रोहित भैया का रॉकेट
- ऐसा क्यों?
- पिकनिक
- दादी का जन्मदिन
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