कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों का ध्यान समय के महत्व को जानने और उसके अनुसार योजना बनाकर जीने की ओर ले जाना।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
राहुल सुबह देर से उठता था। रोज़ देर से विद्यालय जाना तो जैसे उसकी आदत हो चुकी थी। उसकी मम्मी रोज़ उसे उठाती रहती पर वो आलस करता रहता।
एक दिन मैडम ने बताया, “बच्चों! कल हम सब पिकनिक के लिए जाएँगे और आप सब को सुबह आठ बजे विद्यालय आना है, नहीं तो बस छूट जाएगी।”
रात को राहुल ने सोचा कि जल्दी सो जाता हूँ, कल पिकनिक पर बहुत मज़े करने हैं। लेटे-लेटे वो पिकनिक के बारे में सोचने लगा। उसने सोचा कि कल तो मैं खूब घूमूंगा,दोस्तों के साथ मिलकर खाना खाऊंगा, झूले भी झूलूँगा और बॉल से खेलूँगा। ऐसा सोचते-सोचते वह सो गया।
इतने में राहुल की मम्मी ने आवाज़ दी, “अरे राहुल! जल्दी उठो!”
राहुल अलसाते हुए बोला, “मुझे अभी और सोना है।” वह भूल ही गया था कि उसे विद्यालय भी जाना है। उसकी मम्मी बोली, “जल्दी उठो! तुम्हें पिकनिक नहीं जाना क्या?” पिकनिक का नाम सुनकर राहुल उछल पड़ा। उसने घड़ी की ओर देखा तो 7.30 बज चुके थे और अभी तो उसे तैयार भी होना था। राहुल विद्यालय देर से पहुँचा और उसने देखा कि पिकनिक की बस जा चुकी थी।
तभी राहुल की मम्मी ने उसे जगाया और तैयार होने को कहा। राहुल बोल उठा, “अरे यह तो सपना था!” इसके बाद वह जल्दी जल्दी तैयार हो कर मम्मी के साथ तेज़ क़दमों से विद्यालय पहुंचा और देखा कि बस चलने ही वाली थी। ऐसा लगा जैसे सब केवल उसी के इंतजार में रूके थे।
राहुल के मन में आया कि आगे से वह समय का थोड़ा और ध्यान रखेगा।
चर्चा के प्रश्न:
● आप को क्या लगता है सपने में राहुल की बस क्यों छूटी?
● आपको पिकनिक पर जाना क्यों अच्छा लगता है?
● राहुल चाहते हुए भी सुबह क्यों नहीं उठ पाया?
● यदि आप पिकनिक पर जाएँगे तो वहाँ किस तरह से मज़े करेंगे?
● यदि हम कोई काम समय पर न करें तो क्या होगा?
● आप कौन-कौन सा काम समय पर करते हैं?
चर्चा की दिशा :
यदि हम अपने सभी कार्य समय से करते हैं तो हमारा जीवन व्यवस्थित रहता है। दूसरों के साथ तालमेल में जीने के लिए समयबद्धता आवश्यक है। साथ ही यदि हम समय के अनुसार अपने कार्य करते हैं तो हम ज़्यादा काम कर पाते हैं और उस कार्य का स्तर ऊंचा भी होता है।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम घर पर परिवार के सदस्यों से बात करेंगे कि क्या कभी तय समय पर काम न कर पाने के कारण किसी को कोई दिक्कत आई। ऐसे में उन्होंने क्या किया?
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
राहुल सुबह देर से उठता था। रोज़ देर से विद्यालय जाना तो जैसे उसकी आदत हो चुकी थी। उसकी मम्मी रोज़ उसे उठाती रहती पर वो आलस करता रहता।
एक दिन मैडम ने बताया, “बच्चों! कल हम सब पिकनिक के लिए जाएँगे और आप सब को सुबह आठ बजे विद्यालय आना है, नहीं तो बस छूट जाएगी।”
रात को राहुल ने सोचा कि जल्दी सो जाता हूँ, कल पिकनिक पर बहुत मज़े करने हैं। लेटे-लेटे वो पिकनिक के बारे में सोचने लगा। उसने सोचा कि कल तो मैं खूब घूमूंगा,दोस्तों के साथ मिलकर खाना खाऊंगा, झूले भी झूलूँगा और बॉल से खेलूँगा। ऐसा सोचते-सोचते वह सो गया।
इतने में राहुल की मम्मी ने आवाज़ दी, “अरे राहुल! जल्दी उठो!”
राहुल अलसाते हुए बोला, “मुझे अभी और सोना है।” वह भूल ही गया था कि उसे विद्यालय भी जाना है। उसकी मम्मी बोली, “जल्दी उठो! तुम्हें पिकनिक नहीं जाना क्या?” पिकनिक का नाम सुनकर राहुल उछल पड़ा। उसने घड़ी की ओर देखा तो 7.30 बज चुके थे और अभी तो उसे तैयार भी होना था। राहुल विद्यालय देर से पहुँचा और उसने देखा कि पिकनिक की बस जा चुकी थी।
तभी राहुल की मम्मी ने उसे जगाया और तैयार होने को कहा। राहुल बोल उठा, “अरे यह तो सपना था!” इसके बाद वह जल्दी जल्दी तैयार हो कर मम्मी के साथ तेज़ क़दमों से विद्यालय पहुंचा और देखा कि बस चलने ही वाली थी। ऐसा लगा जैसे सब केवल उसी के इंतजार में रूके थे।
राहुल के मन में आया कि आगे से वह समय का थोड़ा और ध्यान रखेगा।
चर्चा के प्रश्न:
● आप को क्या लगता है सपने में राहुल की बस क्यों छूटी?
● आपको पिकनिक पर जाना क्यों अच्छा लगता है?
● राहुल चाहते हुए भी सुबह क्यों नहीं उठ पाया?
● यदि आप पिकनिक पर जाएँगे तो वहाँ किस तरह से मज़े करेंगे?
● यदि हम कोई काम समय पर न करें तो क्या होगा?
● आप कौन-कौन सा काम समय पर करते हैं?
चर्चा की दिशा :
यदि हम अपने सभी कार्य समय से करते हैं तो हमारा जीवन व्यवस्थित रहता है। दूसरों के साथ तालमेल में जीने के लिए समयबद्धता आवश्यक है। साथ ही यदि हम समय के अनुसार अपने कार्य करते हैं तो हम ज़्यादा काम कर पाते हैं और उस कार्य का स्तर ऊंचा भी होता है।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम घर पर परिवार के सदस्यों से बात करेंगे कि क्या कभी तय समय पर काम न कर पाने के कारण किसी को कोई दिक्कत आई। ऐसे में उन्होंने क्या किया?
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- मिलजुल कर
- लंच ब्रेक
- आलू का पराँठा
- रोहन की जुराबें
- एक नई धुन
- मन का बोझ
- एक जूता
- दो दोस्त
- किसकी पेंसिल अच्छी?
- एक चिट्ठी दादाजी के नाम
- चंदू की सूझ-बूझ
- थोड़ी सी मस्ती
- फूलदान या गमला
- दोस्ती की दौड़
- मैं भी मदद करूँगा
- वो पैसे
- मेरे दोस्त की नाव
- बीच का पन्ना
- मैजिक स्ट्रॉ
- मोबाइल गेम
- हमारा प्यारा चाँद
- रोहित भैया का रॉकेट
- ऐसा क्यों?
- पिकनिक
- दादी का जन्मदिन
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